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सम्पादकीयः अधिक प्रभावी बनाना होगा ड्रोन-रोधी तकनीक को

ड्रोन के इस्तेमाल पर यह सख्ती इसलिए भी जरूरी समझी जा रही है क्योंकि ड्रोन तकनीक अब इतनी सहज-सुलभ हो गई है कि कोई भी इसका इस्तेमाल अपना हित साधने में कर सकता है।

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इसमें कोई संदेह नहीं कि तकनीक ने हमारे जीवन को आसान किया है, लेकिन जब इसी तकनीक का बेजा इस्तेमाल होने लगे तो नए खतरे सामने आना तय है। नागरिक (सिविल) ड्रोन उड़ाने पर पंजीयन की अनिवार्यता और दूसरे सख्त नियम लागू करने की तैयारी को इन्हीं खतरों से जोडक़र देखा जा सकता है। केंद्र सरकार की ओर से तैयार किए गए सिविल ड्रोन (प्रोत्साहन व विनियमन) विधेयक 2025 के मसौदे में पांच सिविल ड्रोन को विशिष्ट पहचान नम्बर देने, तय क्षेत्रों में ही इसे उड़ाने की अनुमति देने व नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त सजा तक का प्रावधान किया जा रहा है। ड्रोन उड़ान को लेकर आकाश में भी तीन जोन बनेंगे।
ड्रोन के इस्तेमाल पर यह सख्ती इसलिए भी जरूरी समझी जा रही है क्योंकि ड्रोन तकनीक अब इतनी सहज-सुलभ हो गई है कि कोई भी इसका इस्तेमाल अपना हित साधने में कर सकता है। पिछले वर्षों में ड्रोन का इस्तेमाल युद्धों में खूब हुआ है। बड़ी चिंता ड्रोन का जासूसी, तस्करी व आतंकी हमलों में इस्तेेमाल करने से भी जुड़ी है। इसीलिए ड्रोन उद्योग सुरक्षित बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है। जासूसी, तस्करी या आतंकी गतिविधियों में इनका इस्तेमाल होता है तो भारी जुर्माना व जेल की सजा तक का प्रावधान होगा। सेना, पुलिस व खुफिया एजेेंसियों के ड्रोन प्रस्तावित कानून के दायरे से बाहर होंगे। वैसे तो केंद्र व राज्यों की सरकारों ने ड्रोन के इस्तेमाल को रेगुलेट करने के लिहाज से कुछ नियम-कायदे बना रखे हैं। हवाईअड्डों व सैन्य क्षेत्र में सिविल ड्रोन के इस्तेमाल पर पाबंदी भी है। लेकिन ड्रोन से जुड़े नित नए खतरों से निपटने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत महसूस की जा रही है। पांच सौ किलो वजन वाले ड्रोन इस कानून के दायरे में होंगे। भारी वजन का ड्रोन तकनीकी खराबी से नियंत्रण खो दे तो जाहिर है ड्रोन जितना बड़ा होगा, उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। आने वाले वर्षों में ड्रोन में नित नई तकनीक का इस्तेमाल इसकी क्षमता को बढ़ाने वाला ही होगा। ऐसे में फायदे के साथ-साथ खतरे भी कम नहीं होने वाले। सीमा पार से ड्रोन के जरिए नशीले पदार्थों की तस्करी के बढ़ते मामलों को लेकर तो अदालतें तक चिंता जता चुकी हैं। आतंकियों का भी ड्रोन नया हथियार बन गया है। ऐसे में विभिन्न आकार और क्षमताओं वाले ड्रोन पर निगरानी की तकनीक भी उसी के अनुरूप विकसित करनी होगी। ड्रोन का पता लगाने, उन्हें निष्क्रिय करने के लिए ड्रोन-रोधी तकनीक को भी अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि नियमों में सख्ती से ड्रोन के दुरुपयोग को न केवल रोका जा सकेगा, बल्कि इन पर निगरानी भी आसान होगी। पंजीकृत होने वाले ड्रोन का इस्तेमाल भी सुरक्षित और जिम्मेदारीपूर्वक हो, इसके लिए प्रशिक्षण के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाने होंगे।