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किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 51 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (15 अक्टूबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 51 में भेजी गई उनमें ये सराहनीय रही हैं।

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 51 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां परिवार परिशिष्ट (15 अक्टूबर 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 51 में भेजी गई उनमें ये सराहनीय रही हैं।

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जयपुर

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Tasneem Khan

Oct 22, 2025

(प्यार और मिठास)
दो लड़कियां थी उनमें से एक का नाम मिकी था जो बहुत सुंदर और दयालु थी पीले और बैगनी रंग के कपड़े पहनी थी। दूसरी का नाम चिंकी था वह भी बहुत सुंदर और दयालु थी वह जामुनी रंग के कपड़े और जूते पहनी थी और सुंदर काले बाल में जमुनी रबर लगाई थी। दोनों में बहुत गहरी मित्रता थी वह एक दिन सोच रही थे कि हम दोनों पिकनिक पर चलते हैं जहां सिर्फ हम लोग रहे और कोई न हो। मिकी बोली मुझे तो स्कूल का होमवर्क करना है टीचर लोग इतना होमवर्क देते हैं कि हाथ दर्द करने लगता है चिंकी बोली अभी दिवाली की छुट्टी मिलने वाली है वह छुट्टी 18 से 23 तक रहने वाली है उसमें तुम पूरा अपना होमवर्क कर लेना। मिकी बोली सही बात है वे दोनों काफी देर तक इस बारे में बात कर रहे थे। थकहार कर उन दोनों ने फैसला लिया कि वे पिकनिक पर जाएंगे। फिर अगले दिन वे दोनों सोचने लगे कि हम लोग क्या बनाएंगे चिंकी बोली मैगी लेकिन मिकी ने बोला इसको तो हम लोग घर में भी बना सकते हैं ऐसे ही बहुत देर तक वो लोग बात करते रहे। फिर फैसला किया कि सबसे आसान पैन केक रहेगा। यह बात उनकी मम्मी सुन रही थी। चिंकी की मम्मी ने मिंकी की मम्मी से कहा-हम लोग अपने काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि बच्चों पर ध्यान ही नहीं देते उनका ढंग से ख्याल भी नहीं रख पाते! मिकी की मम्मी ने कहा हां बिल्कुल इसलिए वह लोग सो रहे थे कि इन लोग जो पिकनिक करने वाले हैं। उसी को हम लोग पूरा परिवार एक साथ मनाएंगे और मिंकी और चिंकी से इस बात को नहीं बताएगे फिर उन्हें सरप्राइस देंगे। यह बात चुपके से चिंकी ने सुन ली और फिर मिकी को बता दिया दोनों खुश हो गए। मिकी ने बोला तब तो और मजे की बात है। आखिरकार जब संडे आया तब उन्होंने अपने पिकनिक में उनके पसंदीदा पैन केक बनाया और सबसे पहले चिंकी ने पैनकेक पकड़ा और मिंकी ने सिरप। मिकी फिर पैनकेक में सिरप डालने लगी और सबको दिया सब ने संडे को खूब एंजॉय किया।
सीख-अपने काम में इतना व्यस्त नहीं होना चाहिए कि अपने बच्चों की और ध्यान नहीं दे आते हैं इससे बच्चों की परवरिश में बहुत असर पड़ता है। इसलिए हर एक संडे हमें अपने परिवार के साथ बिताना चाहिए।
प्रिंसी साहू, उम्र 12 साल


दोस्तों में भी होती है लड़ाई
दो दोस्त थे एक का नाम पिंकी व दूसरे दोस्त का नाम चिंकी था। एक दिन दोनों कि किसी बात पर लड़ाई हो जाती है फिर दोनों एक —दूसरे से बात करना बंद कर देते हैं। चिंकी घर जाकर सारी बात दादी मां को बताती है फिर दादी मां कहती हैं कि यह दीपावली पर सब प्रेम से रहते है और यह एक प्रेम का त्यौहार है। दूसरे दिन से दोनों कि दोस्ती हो गई ।
आरव जैन, उम्र 10 वर्ष


प्यारी बहनें
एक बार की बात है, दो बहनें घर में अकेली थी और उनके माता पिता बाजार में सामान लेने गए थे। उनमे से छोटी बहन को भूख लग रही थी, तब छोटी बहन ने बड़ी बहन को बुलाया और कहा दीदी भूख लग रही है कुछ खाने का बना दो, तब बड़ी बहन ने कहा रुको में कुछ बना देती हूं। वह रसोईघर जाकर कु छ बनाने लग जाती है और छोटी बहन को वह महक इतनी अच्छी लगती है की वह दौड़ते-दौड़ते रसोईघर जाती है और पूछती है कि दीदी आप क्या बना रही हो। बड़ी बहन ने जवाब दिया कि मेने पैनकेक बनाएं है और दोनों बहन डायनिंग टेबल पर जाकर पैनकेक खाने लगती हैं।
मनस्व छापिया, उम्र 11 साल


सिरप की बूंदें
संध्या की हल्की रोशनी में दो बच्चियां—अन्वी और रूही—स्कू ल से लौटते हुए एक पुरानी रसोई के कोने में बैठी थीं। वहां कोई चूल्हा नहीं था, कोई बर्तन नहीं, बस एक पुराना टिफिन और उसमें रखी थी—चार गोल गोल पैनकेक। अन्वी ने सिरप की छोटी सी बोतल निकाली। रूही ने पैनकेक को दोनों हाथों में थामा, जैसे कोई दीपक थामे हो। सिरप की पहली बूंद गिरी—धीरे, मंथर, जैसे कोई विता उतर रही हो किसी पन्ने पर। हर बूंद में एक कहानी है," अन्वी बोली। "क्या?" रूही ने पूछा। "पहली बूंद—जब मां ने पहली बार मेरे बालों में तेल लगाया था। दूसरी—जब पापा ने मुझे पहली बार स्कू ल छोड़ा था। तीसरी—जब तुमने मुझे बिना पूछे अपना रबर दे दिया था।" रूही मुस्कुराई। "तो ये चौथी बूंद किसकी?" अन्वी ने सिरप की आखिरी बूंद गिराई और कहा, "ये उस दिन की है, जब हम दोनों ने बिना किसी वजह के एक-दूसरे को गले लगाया था।" पैनकेक अब सिरप से भीग चुका था, लेकिन उससे ज्यादा भीगी थीं उनकी आंखें—खुशी से। उस दिन उन्होंने पैनकेक नहीं खाया, उन्होंने उसे बांटा और सिरप की बूंदें, अब सिर्फ स्वाद नहीं थीं—वो स्मृतियां थीं, जो हर बार मीठी होकर लौटती थीं।
लक्ष्य जांगिड़ (समदड़ी, बालोतरा)
उम्र 8 वर्ष


सुबह की कोमल धूप खिडक़ी से छनकर रसोई के कोनों में फैल रही थी। हवा में हल्की-हल्की घी की महक घुली थी। मीरा छोटी सी लडक़ी थी — मुश्किल से नौ-दस वर्ष की। आज रविवार था और मां ने उसे सिखाया था कि दूसरों के लिए कुछ बनाना सबसे अच्छा काम होता है। वह अपने नन्हे हाथों से पूरियां सेंक रही थी। हर पुरी पर सुनहरी चमक थी, जैसे सूरज की किरणें तवे पर उतर आई हों। बगल में रखे कटोरे में मीरा ने ताजा शहद रखा था — वही जो उसके पापा गांव से लाए थे। तभी दरवाजे पर धीमी-सी दस्तक हुई। मीरा ने दरवाजा खोला तो सामने उसकी पड़ोसी राधा खड़ी थी। राधा की उम्र भी उतनी ही थी, पर चेहरा थोड़ा उदास था। उसने हाथों में खाली प्लेट पकड़ी हुई थी। धीरे से बोली —"मीरा दीदी, मां बीमार हैं। उन्होंने कहा था अगर तुम्हारे घर कुछ बना हो तो थोड़ा दे देना।" मीरा ने एक पल उसे देखा, फिर बिना कु छ कहे मुस्कुरा दी। उसने राधा की प्लेट अपने पास खींची और उसमें एक-एक कर पूरियां रख दीं। जब थाली भर गई तो उसने कटोरे से थोड़ा शहद लिया और पूरियों पर धीरे-धीरे डालने लगी। शहद की सुनहरी धार पूरियों पर ऐसे बह रही थी जैसे दया का मधुर स्वर किसी के जीवन में उतर आया हो। मीरा बोली —"ये लो राधा, अपनी मां को देना। ये आज की पहली पूरियां हैं, सबसे मीठी और सुनो, कल तुम आना — मैं तुम्हें भी सिखाऊंगी बनाना।" राधा ने प्लेट को दोनों हाथों से संभाला। उसकी आंखें चमक उठीं, पर होंठों पर शब्द नहीं थे। बस उसने हल्के से कहा — "धन्यवाद दीदी, मां हमेशा कहती हैं कि मीठे लोग ही मीठी चीज़े बांटते हैं।" मीरा के चेहरे पर एक अनोखी शांति थी। उसने धीरे से सिर हिलाया और दरवाज़ा बंद कर दिया।
रसोई में घी और शहद की खुशबू फिर फैल गई, लेकिन इस बार उसमें इंसानियत की मिठास भी घुली थी। बाहर गली में राधा नंगे पांव चलती जा रही थी — प्लेट से हल्की-सी मिठास टपक रही थी, और उसके पीछे छोटी-सी चींटियों की कतार बन रही थी। सच्ची मिठास शहद या भोजन में नहीं, बल्कि उस दिल में होती है जो बाटना जानता है।
कार्तिक जांगिड़, उम्र 12 वर्ष


सच्ची दोस्ती का स्वाद
एक दिन रीना और टीना स्कूल से लौट रही थीं। रास्ते में रीना ने देखा कि टीना बहुत उदास है। उसने पूछा, "क्या हुआ टीना?" टीना बोली, "आज मेरा जन्मदिन है, लेकिन मम्मी-पापा बाहर गए हैं, इसलिए कोई केक नहीं बना।" रीना मुस्कुराई और बोली, "रुको, मैं कु छ करती हूं।" वह तुरंत घर गई और अपने हाथों से पैनकेक बनाए। उसने उन पर शहद डाला और मोमबत्ती लगाई। फिर वह टीना के घर पहुंची और बोली, "जन्मदिन मुबारक हो, टीना!" टीना की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। दोनों ने मिलकर पैनकेक खाए और हंसते-खेलते दिन बिताया। उस दिन उन्हें समझ आया कि सच्ची दोस्ती का स्वाद सबसे मीठा होता है।
अनय नामा उम्र-13 वर्ष


छोटी सिम्मी (फ्रॉक में) और उसकी बड़ी बहन रीना (पीले टॉप में) रसोई में थीं। सिम्मी ने मेहनत से पैनकेक का एक ऊंचा ढ़ेर तैयार किया था। वह प्लेट थामे मुस्कुरा रही थी। "रीना दीदी, क्या यह काफी अच्छा है?" सिम्मी ने पूछा। रीना ने प्यार से सिर हिलाया। "हां। यह परफेक्ट है! लेकिन असली जादू तो अब होगा।" रीना ने शहद का जग लिया। उसने धीरे से सुनहरी शहद की धार पैनकेक पर डाली। जैसे-जैसे शहद बहता गया, सिम्मी की आंखों में चमक आ गई। यह सिर्फ नाश्ता नहीं था, यह दो प्यारी बहनों के बीच का स्नेह था। वे जानती थीं कि जब कोई चीज प्यार से बनाई जाती है, तो उसका स्वाद दुनिया में सबसे मीठा होता है।
दक्ष सोनी, 13 वर्ष


दो बहनो का साथ
छोटी बहन भूख से उदास थी उसने अपनी बड़ी बहन से कहा कि मुझे भूख लगी है तो बड़ी बहन ने कहा कि जो किचन में देखो कुछ रखा होगा छोटी बहन ब्रेड लेकर आई तो बड़ी बहन ने उसे पर चाय डाली और उन्होंने उसे मजे से खाया फिर छोटी बहन ने कहा कि अगर दीदी आप मुझे नहीं बताती तो मैं समझ ही नहीं पाती कि मुझे क्या खाना है
इसीलिए छोटी बहन का हमेशा ध्यान रखना चाहिए बड़ी बहन को

हार्दिक शर्मा उम्र 10 साल


मां की मदद
मीना और टीना दो बहनें थी। उनकी मां कहीं बाहर जा रही थी तो उन दोनों बहनों ने खाना बनाने का सोचा फिर उन्होने बहुत सारा खाना बनाया। उनकी मां थकी हुई आई थी तो उन दोनो ने मां को खाना खाने को दिया। मीना ने मां से कहा की लाओ मां मैं घी लगा दु। फिर टीना बहुत सारी रोटियां लाई और मीना ने घी लगाया फिर सबने मजे से खाना खाया।
शिक्षा- हमे अपने माता पिता की मदद करनी चाहिए।
कृष्ण अभिमन्यु कुमावत, उम्र -7 वर्ष


एक शहर में एक स्कूल था, जहां दो लड़कियां पढ़ती थीं। वे दोनों बहुत अच्छी सहेलियां ग्रुप में स्टडी करेंगे।" मिकी ने कहा, "ठीक है, कल मिलेंगे।" दोनों ने एक-दूसरे को बाय-बाय कहा और अपने-अपने घर की ओर चली गईं। अगले दिन, स्कूल खत्म होने के बाद, वे दोनों ग्रुप स्टडी के लिए मिकी के घर गईं। जैसे ही वे घर पहुंचीं, मिकी की मम्मी ने मिकी को एक सरप्राइज दिया। दोनों बहुत खुश हो गईं, लेकिन जब मिकी की मम्मी ने रितु को देखा तो वह थोड़ी चौंक गईं, लेकिन फिर बहुत खुश हुईं। जब वे दोनों घर में गईं तो उन्होंने देखा कि घर सजा हुआ था। मिकी ने पूछा, "मम्मी, यह सब तैयारी क्यों चल रही है? क्या कोई खास मौका है?" मिकी की मम्मी ने कहा, "तुमने ही तो कहा था कि तुम्हें एक दिन अच्छा सरप्राइज देना है।" मिकी को याद आया। उसकी मम्मी ने उन दोनों को पैनकेक बनाकर दिए, जो अक्सर विदेश में किसी खास अवसर पर बनाए जाते हैं। दोनों ने पहली बार पैनकेक खाया और उन्हें बहुत स्वाद लगा। फिर, मिकी की मम्मी ने उन्हें और पैनकेक लाकर दिए और उन्होंने बहुत स्वाद से खाए। इसके बाद दोनों ने ग्रुप स्टडी की। "कल मिलेंगे" कहकर रितु अपने घर चली गई।
चेतना, उम्र 10 साल


मिठास बांटने की सीख
एक बार की बात है, दो सहेलियां थीं। प्रिया और पिंकी। दोनों साथ-साथ स्कूल जाती थीं और हर काम में एक-दूसरे की मदद करती थीं। एक दिन छुट्टी के बाद वे घर लौटीं तो प्रिया की मां ने नाश्ते में गरम-गरम पैनकेक बनाए। प्रिया बोली, "मां क्या मैं पिंकी के साथ भी बांट सकती हूं?" मां ने मुस्कराकर कहा, "बिलकुल बेटा, बांटने से खुशी बढ़ती है।" प्रिया ने प्लेट में कुछ पैनकेक रखे और उन पर शहद डालने लगी। वह ध्यान से डाल रही थी ताकि एक-एक पैनकेक पर मीठापन बराबर फैले। पिंकी मुस्कराकर बोली, "धन्यवाद प्रिया, तुम बहुत प्यारी हो।" पिंकी ने कहा, "अगर हम सब बांटकर खाएं तो हर चीज स्वादिष्ट लगती है।" दोनों ने साथ बैठकर पैनकेक खाए और खूब बातें कीं। उसी समय प्रिया को एहसास हुआ कि असली खुशी केवल स्वाद में नहीं, बल्कि साझा करने में होती है।
उस दिन से दोनों ने तय किया कि जो भी चीज़ उन्हें मिले, वे उसे बांटकर खाएंगी — चाहे वह मिठाई हो, खिलौना हो या खुशी। सच्ची मित्रता वही है जिसमें हम दूसरों के साथ अपनी खुशियां बांटें। बांटने से मिठास बढ़ती है और दिलों में प्यार खिलता है।
काव्यांश पुरोहित, उम्र 10


इस कहानी में दो बहने मिल-बाटकर नाश्ता कर रही है। नाश्ते में स्वादिष्ट और मीठे मीठे से पेन कैक है। छोटी बहन ने एक प्लेट में एक नहीं दो नहीं तीन नहीं बल्कि सात पैनकेक है। बड़ी बहन पैन केक में शहद डाल रही है। बड़ी बहन ने पीले रंग का स्वेटर और नीले रंग की स्कर्ट वह नीले रंग के जूते पहन रखे हैं और अपने बालों में सुंदर सा पीले रंग का रिबन भी लगा रखा है और छोटी बहन ने गुलाबी रंग का स्वेटर और गुलाबी रंग की स्कर्ट व उसने गुलाबी रंग के जूते भी पहन रखे हैं और उसने अपने बालों में सुंदर सा गुलाबी रंग का रिबन भी लगा रखा है। प्लेट और जग बहुत ही ज्यादा सुंदर है। जग पर सुंदर सा पीले रंग का दिल भी बना हुआ है। बड़ी बहन और छोटी बहन दोनों ही बहाने बहुत सुंदर भोली वह चंचल स्वभाव की है। बड़ी बहन 10 वर्ष की है तथा छोटी बहन 7 वर्ष की है। बड़ी बहन के बाल बहुत लंबे वह सुंदर है तथा छोटी बहन के बहुत छोटे हैं। पैन केक की खुशबू बहुत-बहुत- बहुत- बहुत बहुत ही अच्छी है। मां ने बड़ी ही मुश्किल और प्यार से बनाए है। छोटी बहन की सुंदर सी गुलाबी रंग की स्कर्ट में सफेद रंग की डिजाइन वह एक छोटी और प्यारी सी जब भी है। बड़ी बहन के स्वेटर पर भी सफेद रंग के डिजाइन है मगर उसकी स्कर्ट में जब नहीं है बड़ी बहन के नीले रंग के जूते पर पीले रंग की डिजाइन भी बनी है और छोटी बहन के गुलाबी जूते पर सफेद रंग की डिजाइन बनी हुई है
मोहित वैष्णव, उम्र 12 वर्ष


मीठी दोस्ती का तोहफा
एक छोटे से गांव में दो प्यारे दोस्त रहते थे, जिनका नाम था राहुल और सोनिया। राहुल और सोनिया बहुत अच्छे दोस्त थे और हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे। सोनिया को मीठी चीजें बहुत पसंद थीं और राहुल को खाना बनाना। एक दिन, सोनिया का जन्मदिन था और राहुल उसे कुछ खास तोहफा देना चाहता था। उसे पता था कि सोनिया को पैनकेक बहुत पसंद हैं, इसलिए उसने उसे अपने हाथों से बनाए हुए गरमागरम पैनकेक खिलाने का फैसला किया। सुबह-सुबह, राहुल अपनी रसोई में लग गया। उसने अंडे, दूध, मैदा और चीनी मिलाकर पैनकेक का घोल तैयार किया। जैसे ही पैनकेक पक गए, राहुल ने उन्हें एक प्लेट में रखा। एक-एक करके उसने तीन पैनकेक एक के ऊपर एक रखे। राहुल ने पैनकेक के ऊपर बटर भी लगाया। सोनिया को ये पैनकेक बहुत पसंद आए और उसने अपने दोस्त को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। यह दिन राहुल और सोनिया दोनों के लिए बहुत खास बन गया।
ह्रिदयांश पंचोली, उम्र 11 वर्ष


चीकू और मोना का लजीज पकवान
एक गांव में चीकू और मोना रहते थे। वे दोनों साथ मिलकर खाना बनाना बहुत पसंद करती थी। उनकी मां हमेशा अपनी बेटियों को नए व्यंजन बनाने की विधि बताती थी । एक दिन गांव में एक प्रतियोगिता हुई "स्वाद की दुनिया "। चीकू और मोना दोनों ने भाग लेने का फैसला किया। उन दोनों ने वफल्स बनाने को सोचा । फिर वे दोनों प्रतियोगिता में वफल्स बनने लगीं। अंत में उन्होंने शहद और पजोर ब्लूबेरी और रेडबेरी को डाला । जजेस की बारी आ गई व्यंजन चखने की। जजेस ने सबके व्यंजन चखे पर उन्हें कुछ खास पसंद नही आया । अब बारी थी चीकू और मोना की डिश ट्राई करने की , वे दोनों थोड़ी घबराए हुए थे। जब जजों ने वहां उनका व्यंजन चखा तो वह बहुत आश्चर्यचकित हो गए । उन्हें व्यंजन बहुत पसंद आया जजों ने चीकू और मोना को स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए प्रथम पुरस्कार दिया।
भव्या चंद्राकर, उम्र 12 वर्ष

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