Udaipur MB Hospital (Patrika File Photo)
Udaipur MB Hospital: उदयपुर: एक तरफ त्योहारी खुशियां छाई हुई थी। वहीं, दूसरी ओर दो परिवारों में ठन गई। चिकित्साकर्मियों की गफलत से दो नवजात बच्चों की अदला-बदली हो गई। एक लड़का और दूसरी लड़की। लड़के पर दोनों परिवारों ने हक जता दिया। दोनों परिवार 'लक्ष्मी' अपनाने को तैयार नहीं थे, बल्कि दोनों को 'कुबेर' चाहिए था।
एक परिवार ने थाने में रिपोर्ट दे दी। तस्वीर साफ करने के लिए पुलिस ने अब डीएनए टेस्ट की तैयारी की है। दरअसल, दोनों परिवारों में पहले लड़कियां ही होने से लड़के की चाह दोनों तरफ है।
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित जनाना अस्पताल में मंगलवार रात दो नवजात बच्चों के बदले जाने पर बुधवार सुबह हंगामा हो गया। ऑपरेशन थिएटर में मीरानगर उदयपुर निवासी अनिता रावत और चित्तौड़गढ़ निवासी रामेश्वरी सोनी ने आधे घंटे के अंतराल में बच्चों को जन्म दिया था। एक ने बेटे और दूसरी ने बेटी को जन्म दिया।
जब वार्ड आया ने ऑपरेशन थिएटर से बाहर आकर दोनों परिवारों को सूचना देने में गलती कर दी। करीब एक घंटे बाद चिकित्सकों ने जब यह गलती पकड़ी और सूचना में सुधार किया वह परिवार उखड़ गया, जिसे पहले लड़का होने की सूचना दी थी। इसके बाद दोनों परिवार लड़के पर हक जताने लगे। सूचना पर हाथीपोल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों परिवारों से समझाइश का प्रयास किया।
अनिता रावत के पति मीरा नगर निवासी सुनील रावत ने थाने जाकर रिपोर्ट दी। बताया कि जनाना अस्पताल में उसकी पत्नी का प्रसव हुआ। दावा है कि उसने बेटे को ही जन्म दिया। दोनों ही दंपतियों में पहले से एक-एक बेटी है। ऐसे में दोनों फिर से बेटी का जन्म होने को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं थे।
नवजात बेटा और बेटी किसका है ये तो डीएनए जांच रिपोर्ट आने पर पता लगेगा। इसके लिए प्रक्रिया शुरू की गई। डीएनए जांच रिपोर्ट 15 दिन बाद आएगी, तब तक बच्चे चिकित्साकर्मियों की देखरेख में रहेंगे। पुलिस और चिकित्सकों ने दोनों परिवारों को सलाह दी है कि वे फिलहाल रिकॉर्ड के अनुसार ही अपनी संतान माने।
सुनील रावत ने बताया कि उसकी पत्नी अनिता का प्रसव दोपहर 12 बजे हुआ था। कार्मिकों ने बच्चा सौंपते हुए बेटा होने की बधाई दी थी। एक घंटे बाद वापस आकर बच्चा ले लिया और बच्ची थमा दी। उन्होंने लापरवाह स्टॉफ पर गैरजिम्मेदारी का आरोप लगाया और कहा कि वे नेग के रुपए लेने में व्यस्त थे।
गलती से बच्चा बदल गया था, लेकिन अस्पताल में प्रसव से संबंधित रिकॉर्ड पूरा है। दरअसल, पहले प्रसव का बच्चा पहले, जबकि दूसरे प्रसव की प्रसूता को पहले बाहर भेज दिया। ऐसे में गलतफहमी हो गई। परिजनों को संदेह है। उनकी मांग पर डीएनए टेस्ट करवाया जाएगा। रिपोर्ट 15 दिन बाद आएगी। परिजनों को समझाया है कि वे फिलहाल अस्पताल रिकॉर्ड के अनुसार अपना बच्चा मानें। डीएनए रिपोर्ट आने पर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
-योगेंद्र व्यास, सीआई, हाथीपोल थाना
Updated on:
22 Oct 2025 08:38 pm
Published on:
22 Oct 2025 06:08 pm
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