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भारत से लड़ना कोई खेल नहीं: सेना 9 अरब डॉलर की मिसाइलें और तोपें खरीदेगी, जानें क्या है DRDO की भूमिका

India Defense Deals: भारत ने 790 अरब रुपये के रक्षा सौदों को मंजूरी दी, जिसमें मिसाइल और वाहन शामिल हैं, जो सेना को मजबूत करेंगे।

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भारत

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MI Zahir

Oct 23, 2025

India Defense Deals

भारत की ओर से आकाश हथियार प्रणाली'। ( फाइल फोटो: ANI)

India Defense Deals: भारत सरकार ने अपनी सेना को मजबूत बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने गुरुवार को सशस्त्र बलों के लिए नई मिसाइल सिस्टम, हाई-मोबिलिटी वाहन, नौसेना की सतह वाली तोपें और अन्य उपकरण खरीदने के प्रस्तावों को हरी झंडी दे दी(India Defence Deals) है। ये सौदे कुल 790 अरब रुपये (लगभग 9 अरब डॉलर) के हैं। ये खरीदें चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के साथ तनाव के बीच देश की सीमा सुरक्षा को और मजबूत करेंगी। DAC (DAC Approvals 2025) की यह मंजूरी आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देगी, जहां ज्यादातर सामान देश में ही बनेंगे।

भारतीय सेना की क्षमता में इजाफा होगा

ये नए उपकरण भारतीय सेना की क्षमता को कई गुना बढ़ाएंगे। मिसाइल सिस्टम दुश्मन के हवाई हमलों को रोकेंगे, जबकि हाई-मोबिलिटी वाहन पहाड़ी इलाकों में तेजी से तैनाती सुनिश्चित करेंगे। नौसेना की तोपें हिंद महासागर में पेट्रोलिंग को मजबूत करेंगी। ये खरीदें न केवल तत्काल जरूरतें पूरी करेंगी, बल्कि लंबे समय तक सेना को आधुनिक रखेंगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये सौदे 'मेक इन इंडिया' को प्राथमिकता देंगे, जिससे निजी कंपनियों को भी फायदा मिलेगा। कुल मिलाकर, ये 9 अरब डॉलर का निवेश भारत को एशिया की सैन्य महाशक्ति बनाएगा।

अब स्वदेशी हथियार बढ़ रहे हैं

भारत की सामरिक ताकत पहले से ही मजबूत है। ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 में भारत चौथे स्थान पर है। सेना के पास 14.6 लाख सक्रिय सैनिक हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े हैं। हथियारों में T-90 और अर्जुन टैंक, ब्रह्मोस और अग्नि मिसाइलें शामिल हैं। वायुसेना में 2229 विमान हैं, जिनमें 600 फाइटर जेट जैसे राफेल और सुखोई-30 शामिल। नौसेना के पास 293 जहाज हैं, दो एयरक्राफ्ट कैरियर (INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत) के साथ। ये हथियार अमेरिका, रूस और फ्रांस से आयातित हैं, लेकिन DRDO के योगदान से अब स्वदेशी हथियार बढ़ रहे हैं।

भारतीय फौज की ताकत

थल सेना की शक्ति भारत की रक्षा का मुख्य आधार है। सेना में 4201 टैंक हैं, जिनमें T-72 और T-90 मुख्य हैं। तोपखाने में 3000 से ज्यादा धनुष और कुपिंका तोपें हैं। इन्फैंट्री के पास इंसास राइफल और AK-203 हैं। पहाड़ी क्षेत्रों के लिए लाइट टैंक जैसे ज़ोरावर विकसित हो रहे हैं। सेना की ताकत न केवल संख्या में, बल्कि प्रशिक्षण और तकनीक में है। बॉर्डर पर तैनाती के साथ, ये यूनिट्स क्विक रिस्पॉन्स देती हैं। 2025 में, नई खरीदें सेना को और तेज बनाएंगी।

भारत अब ड्रोन और साइबर वेपन्स में आगे

रक्षा वैज्ञानिकों का योगदान भारत की सैन्य प्रगति का मूल है। DRDO के वैज्ञानिकों ने आकाश एयर डिफेंस, तेजस फाइटर जेट और नाग एंटी-टैंक मिसाइल जैसे हथियार विकसित किए। ये वैज्ञानिक निजी कंपनियों के साथ मिलकर स्वदेशी तकनीक पर काम कर रहे हैं। 2025 में, DRDO ने 100 से ज्यादा प्रोजेक्ट पूरे किए, जो आयात पर निर्भरता कम कर रहे हैं। वैज्ञानिकों की मेहनत से भारत अब ड्रोन और साइबर वेपन्स में आगे है। ये योगदान न केवल सेना को मजबूत कर रहे, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बूस्ट दे रहे हैं।

भारत का रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़

भारत का रक्षा बजट 2025-26 के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये (81 अरब डॉलर) है, जो पिछले साल से 9.5% ज्यादा है। यह जीडीपी का 1.9% है। बजट में कैपिटल आउटले 1.72 लाख करोड़ हैं, जो आधुनिकीकरण के लिए हैं। पेंशन और सैलरी पर 3.11 लाख करोड़ खर्च होंगे। DRDO को 26,816 करोड़ मिले हैं, जो R&D को बढ़ावा देंगे। यह बजट आत्मनिर्भरता पर फोकस करता है, जहां 75% खरीदें देशी होंगी।

DRDO की वजह से भारत अब एक्सपोर्टर बन रहा (DRDO Contributions)

बहरहाल DRDO की भूमिका रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी है। यह संगठन 50 लैब्स के साथ मिसाइल, रडार और एयरक्राफ्ट विकसित करता है। ब्रह्मोस, पिनाका रॉकेट और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर जैसे प्रोजेक्ट DRDO के हैं। 2025 में, DRDO ने 32 मिसाइल टेस्ट सफल किए। यह निजी क्षेत्र के साथ पार्टनरशिप बढ़ा रहा है। DRDO की वजह से भारत अब एक्सपोर्टर बन रहा है, जिससे विदेशी मुद्रा आ रही है। कुल मिलाकर, DRDO आत्मनिर्भर भारत का इंजन है। ( Input : DRDO)