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मुकेश सहनी बिहार में RJD-कांग्रेस के लिए क्यों हैं इतने VIP? महागठबंधन को बनाना पड़ा डिप्टी CM का चेहरा

Bihar Elections: बिहार की 2.5% आबादी वाले निषाद समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले सहनी महागठबंधन के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। गंगा किनारे के जिलों में फैले इस पिछड़े समुदाय की जमीनी पकड़ मजबूत है।

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Vikassheel Insaan Party (VIP) national convener Mukesh Sahani

विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय संयोजक मुकेश सहनी (Photo-ANI)

Bihar Elections: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी को 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन का उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन ने यह घोषणा गुरुवार को संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में की। सहनी ने कहा, मैं साढ़े तीन साल से इस पल का इंतजार कर रहा था। उन्होंने भाजपा पर अपनी पार्टी तोड़ने और विधायकों को लुभाने का आरोप लगाते हुए शपथ ली, भाजपा को जब तक हम तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं।

मुकेश सहनी ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप

महागठबंधन की संयुक्त प्रेस वार्ता में VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा, भाजपा ने जिस तरह हमारी पार्टी को तोड़ा, हमारे विधायक को खरीदा उस समय से हमने संकल्प लिया था कि जब तक भाजपा को तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं। वो समय आ चुका है। हम मजबूती के साथ महागठबंधन के साथ रहकर बिहार में सरकार बनाएंगे और भाजपा को बिहार से बाहर करेंगे। महागठबंधन मजबूत और एकजुट है।

निषाद समुदाय की मजबूत पकड़

बिहार की 2.5% आबादी वाले निषाद समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले सहनी महागठबंधन के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। गंगा किनारे के जिलों में फैले इस पिछड़े समुदाय की जमीनी पकड़ मजबूत है। वीआईपी केवल 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, फिर भी सहनी को डिप्टी सीएम चेहरा बनाना गठबंधन की जातीय गणित को मजबूत करने की रणनीति है। उनकी वेबसाइट उन्हें 'मल्लाह का बेटा' बताती है, जिन्होंने गरीबी में बचपन बिताया और निषादों के पिछड़ेपन को करीब से देखा। 31 मार्च 1981 को सुपौल जिले के मछुआरा परिवार में जन्मे सहनी हाशिए के समुदायों की अपील बढ़ा रहे हैं।

गठबंधन में बने रहने की जद्दोजहद

यह सौदा आसान नहीं था। पीटीआई सूत्रों के अनुसार, सीट बंटवारे पर असंतोष के चलते वीआईपी महागठबंधन से बाहर होने की कगार पर थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हस्तक्षेप से पार्टी बनी रही। सहनी ने राजद के आगे झुकने से इनकार किया और दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जहां राजद के प्रत्याशी भी मैदान में हैं। खुद चुनाव नहीं लड़ रहे सहनी ने गौरा बौराम से भाई संतोष को टिकट दिया। उनकी चुनावी सफलता सीमित रही (2019 लोकसभा में कोई सीट नहीं जीती, 2020 में एनडीए के साथ चार सीटें हासिल कीं) लेकिन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव माना जाता है।

बदलते गठबंधनों की राजनीतिक यात्रा

सहनी की यात्रा गठबंधनों और महत्वाकांक्षा से भरी है। 2015 विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया, जब नरेंद्र मोदी ने उन्हें निषाद प्रतिनिधि के रूप में सराहा। भाजपा द्वारा निषादों को एससी दर्जा देने के वादे पूरा न होने पर मोहभंग हुआ। 2015 में निषाद विकास संघ और 2018 में वीआईपी गठित की। 2019 में महागठबंधन से शुरुआत की, लेकिन असफल रहे। 2020 में एनडीए ज्वाइन कर चार सीटें जीतीं और मार्च 2022 तक पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री रहे। एनडीए से बर्खास्तगी के बाद महागठबंधन में लौटे।

चुनावी समीकरण और चुनौतियां

6 व 11 नवंबर को दो चरणों में होने वाले चुनाव में एनडीए (बीजेपी, जदयू, लोजपा-रामविलास, हम, रालोमो) और महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, सीपीआई-एमएल, सीपीआई, सीपीएम, वीआईपी) के बीच सीधा मुकाबला है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी सभी 243 सीटों पर उतर रही है। परिणाम 14 नवंबर को आएंगे। सहनी का समावेश महागठबंधन को पिछड़ों में मजबूती देगा, लेकिन भाजपा विरोधी प्रतिज्ञा और सीमित सीटें चुनौती बनी हुई हैं।