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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे को मिल रही धमकी, स्कूलों में RSS की गतिविधियों को बैन करने की कही थी बात

प्रियांक खरगे ने कहा कि उन्हें धमकियां देने वाले कॉल आने पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ। अगर कोई सोचता है कि मुझे चुप करा देंगे तो यह उनकी गलतफहमी है।

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मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे को मिल रही धमकी (Photo-IANS)

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने मंगलवार को कहा- सरकारी स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में RSS की गतिविधियों पर सवाल उठाने पर उन्हें फोन पर धमकी मिल रही है। खरगे ने बताया कि उन्हें गालियां भी दे रहे है। एक्स पर पोस्ट करते हुए कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने लिखा- पिछले दो दिनों से मेरे फोन की घंटी बजना बंद नहीं हुई है।

‘फोन पर दे रहे धमकी’

उन्होंने आगे कहा- मुझे और मेरे परिवार को धमकियों, डराने-धमकाने और सबसे गंदी गालियों से भरे फोन आ रहे हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक संस्थानों में आरएसएस की गतिविधियों पर सवाल उठाने और उन्हें रोकने की हिम्मत की थी।

RSS को लेकर कही ये बात

प्रियांक खरगे ने कहा कि उन्हें धमकियां देने वाले कॉल आने पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ। अगर कोई सोचता है कि मुझे चुप करा देंगे तो यह उनकी गलतफहमी है। उन्होंने कहा कि RSS ने महात्मा गांधी और बाबासाहेब अंबेडकर को नहीं छोड़ा तो वे मुझे क्यों छोडेंगे?

खरगे ने सीएम सिद्धारमैया को लिखा था पत्र

बता दें कि इससे पहले मंत्री प्रियांक खरगे ने सीएम सिद्धारमैया को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने सरकारी स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में आरएसएस की गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की थी। जैसे ही खरगे का यह पत्र सार्वजनिक हुआ उसके बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। 

बीजेपी ने की खरगे के मांग की आलोचना

भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस ने प्रियांक खरगे की मांग की आलोचना की और इसे प्रचार का हथकंडा बताया। फडणवीस ने कहा- वह सिर्फ़ प्रचार के लिए इस तरह के बयान देते हैं। इंदिरा गांधी ने भी यही कोशिश की थी और उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी थी।

सीएम ने दिए निर्देश

सीएम सिद्धारमैया ने मुख्य सचिव को तमिलनाडु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है, जिसने हाल ही में सरकारी स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। सिद्धारमैया ने इस बात पर ज़ोर दिया कि खड़गे का अनुरोध तमिलनाडु के उदाहरण पर आधारित है और कहा कि राज्य भी इसी तरह के उपायों पर विचार करेगा।

‘क्या भारत के विशेष नागरिक है RSS कार्यकर्ता’

कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा- मुझे नहीं पता कि तमिलनाडु में क्या नियम है, हम बस इतना कह रहे हैं कि हमें इन गतिविधियों को निजी जगहों तक सीमित रखना चाहिए। उन्हें अपने घरों में, निजी खेतों में ऐसा करने दें, उन्हें होटल किराए पर लेने दें और जो चाहें करने दें। लेकिन सांप्रदायिकता के बीज बोने और लोगों को धमकाने का यह सार्वजनिक प्रदर्शन ठीक नहीं है। क्या आरएसएस के कार्यकर्ता भारत के विशेष नागरिक हैं? 

उन्होंने आगे कहा- वे इलाकों में, लाठियों के साथ मार्च पास्ट कैसे कर सकते हैं? ज़रा सोचिए, अगर कोई और समुदाय, दलित, पिछड़ा, ओबीसी, अपने समुदाय के रंग की शर्ट पहनकर, लाठियाँ लेकर मार्च पास्ट करे, तो क्या कोई इसकी अनुमति देगा? वे इतने सालों से ऐसा करते आ रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें ऐसा करते रहना है? एक कानून है। उन्हें अनुमति लेने दीजिए। क्या वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे भारत के संविधान से बड़े हैं? वे देश के कानून से बड़े हैं? मुझे माफ़ करना, वे नहीं हैं।