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लडऩा है तो स्वयं से लड़ो, बाहरी शत्रुओं से नहीं: मुनि विलोकसागर

भगवान महावीर का 2552वां मोक्ष कल्याणक मनाया, महावीर स्वामी ने पढ़ाया था सत्य और अहिंसा का पाठ, उसी मार्ग करें समाजबंधु अनुसरण

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मुरैना. भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर निर्वाण लाडू दिवस पर मुनि विलोकसागर महाराज ने बड़ा जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने जियो और जीने दो के सिद्धांत का प्रचार प्रसार करते हुए प्राणी मात्र को अहिंसा का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि इस संसार में सभी जीवों को जीने का अधिकार है, फिर हम किसी जीव को कैसे कष्ट दे सकते हैं, कैसे उसकी हत्या कर सकते हैं। महावीर स्वामी ने सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य का संदेश देकर विश्व को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास किया।


जैन मुनि ने कहा कि स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लडऩा। लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से अच्छा है स्वयं पर विजय प्राप्त करना। जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा उसे आनंद की अनुभूति होगी। आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, मान, माया और लोभ। क्रोध को क्षमा से, मान को मृदुता, माया को सरलता और लोभ को संतोष से जीतना चाहिए। किसी भी प्राणी को न मारें, उन पर शासन करने का प्रयास नहीं करें। जिस प्रकार आप दु:ख पसंद नहीं करते उसी प्रकार अन्य प्राणी भी इसे पसंद नहीं करते। किसी भी जीव को नुकसान न पहुचाएं, गाली ना दें, अत्याचार न करें, उसे दास न बनायें, उसका अपमान न करें, उसे प्रताडि़त न करें तथा उसकी हत्या न करें। सुख और दु:ख में, आनंद में और कष्ट में, हमें हर जीव के प्रति वैसी ही भावना रखनी चाहिए जैसा कि हम अपने प्रति रखते हैं।

समाजबंधुओं ने समर्पित किया लाडू

भगवान महावीर स्वामी मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर मुनि विलोकसागर एवं मुनि विबोधसागर महाराज के सान्निध्य एवं विद्वत नवनीत शास्त्री के आचार्यत्व में आयोजित भव्य समारोह में मोक्ष लक्ष्मी की कामना के साथ निर्वाण लाडू समर्पित किया गया। इसका मौका प्रथम 24 समाजबंधुओं सहित उपस्थित सभी बंधुओं मिला। इससे पूर्व सुबह सामूहिक रूप से भगवान महावीर स्वामी का अभिषेक, शांतिधारा एवं अष्टदृव्य से संगीतमय पूजन किया गया। भक्तिमय भजनों की सुंदर प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम के अंत में पुण्यार्जक परिवारों को चातुर्मास कलश वितरित किए गए।