चमक गई दिवाली की रातें, लेकिन मंद पड़ी सोने की आभा (फोटो सोर्स : AI)
Gold Price Crash: त्योहारी रौनक खत्म होते ही कीमती धातुओं के बाजार में भूचाल आ गया है। दिवाली के बाद सोने की कीमतों में ऐसी गिरावट दर्ज की गई है, जिसने 12 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। वहीं चांदी की चमक भी फीकी पड़ गई है। बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, यह गिरावट न केवल मुनाफावसूली का परिणाम है, बल्कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के दबाव का भी असर है। मंगलवार 21 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 6.3% तक लुढ़क गया। वहीं चांदी 7.1% तक टूट गई। बुधवार को भी गिरावट का सिलसिला जारी रहा। एशियाई बाजार में सोने की कीमत 2.9% गिरकर 4004.26 डॉलर प्रति औंस पर पहुंची, जबकि चांदी 47.89 डॉलर प्रति औंस पर सिमट गई। दो दिनों में निवेशकों के अरबों डॉलर डूब गए।
त्योहारी सीजन के दौरान भारत में सोने की मांग परंपरागत रूप से बढ़ जाती है, लेकिन इस बार दिवाली खत्म होते ही बाजार ने करवट ले ली। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाला सोना दो दिनों में ₹2,500 प्रति 10 ग्राम सस्ता हो गया। इसी अवधि में चांदी ₹8,100 प्रति किलो टूट गई। 17 अक्टूबर को जहां 24 कैरेट सोना ₹1,30,874 प्रति 10 ग्राम पर था, वहीं अब यह ₹1,23,907 प्रति 10 ग्राम पर आ गया है - यानी कुल ₹7,000 की गिरावट।
सोने-चांदी में बीते एक साल में लगभग 50% तक की तेजी देखने को मिली थी। निवेशकों ने त्योहारी सीजन की ऊंचाई पर मुनाफावसूली शुरू कर दी, जिससे कीमतें नीचे आ गईं।
अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से वैश्विक स्तर पर सोने की कीमत पर दबाव पड़ा। डॉलर इंडेक्स 106 के ऊपर पहुंचा, जिससे गोल्ड की आकर्षणता घटी।
दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत में सकारात्मक संकेत मिलने से निवेशकों ने सोने जैसी सुरक्षित निवेश संपत्ति से दूरी बनाई।
फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती की अटकलों के बीच निवेशक सतर्क हैं। ब्याज दरें घटने की संभावना से पहले ही कई निवेशकों ने अपनी पोजीशन क्लियर की।
दिवाली और शादियों का सीजन खत्म होते ही भारत में सोने की मौसमी खरीदारी कम हो गई। मांग की कमी ने बाजार में गिरावट को और तेज कर दिया।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, यह 12 साल में सोने की सबसे बड़ी एक-दिवसीय गिरावट है। 2013 में भी गोल्ड में लगभग 5.8% की गिरावट आई थी, लेकिन इस बार 6.3% तक का क्रैश दर्ज हुआ। यह संकेत है कि निवेशकों का ध्यान अब अन्य एसेट्स- खासतौर पर इक्विटी और डॉलर बॉन्ड्स की ओर बढ़ रहा है।
लखनऊ के सर्राफा व्यापारी अनिल अग्रवाल के मुताबिक दीवाली के बाद हमेशा थोड़ी गिरावट आती है, लेकिन इस बार जो तेजी से सोना टूटा है, वह निवेशकों की भारी मुनाफावसूली का परिणाम है। फिलहाल यह शॉर्ट-टर्म ट्रेंड है, लंबे समय में सोना फिर स्थिरता पा सकता है। वहीं अर्थशास्त्री डॉ. संजय श्रीवास्तव का कहना है,डॉलर की मजबूती और अमेरिकी नीति में बदलाव की उम्मीदों ने सोने पर दबाव बनाया है। भारत में मांग घटने के बावजूद, अगर वैश्विक स्थिति स्थिर हुई तो अगले तीन महीनों में सोना फिर उभर सकता है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक मौका भी हो सकता है। यदि कीमतें कुछ दिन और नीचे जाती हैं, तो ये स्तर निवेश के लिए आकर्षक माने जा सकते हैं। हालांकि, अल्पकालिक ट्रेडिंग के लिए जोखिम बना रहेगा।
गिरावट से ज्वेलर्स की बिक्री पर असर पड़ा है, क्योंकि खरीदार अभी कीमतों में और कमी की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं छोटे निवेशकों को राहत है - क्योंकि सोने में शादी या दीर्घकालिक निवेश अब थोड़ा सस्ता पड़ सकता है।
Published on:
23 Oct 2025 09:04 am
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