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दीपावली से क्रिसमस तक पहुंची राजनीति! अखिलेश के बयान ने बदल दिया यूपी में चुनावी एजेंडा; सीएम योगी ने बढ़ाई सियासी गर्मी

UP Politics: दीपावली पर अखिलेश यादव के ‘दीया विवाद’ वाले बयान ने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा ने इसे हिंदुत्व बनाम सेक्युलरिज़्म का मुद्दा बना लिया है और अखिलेश पर हिंदू विरोधी होने के आरोप लगाए हैं।

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लखनऊ

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Aman Pandey

Oct 23, 2025

akhilesh yadav diya controversy bjp hindutva politics up election

दीपावली से क्रिसमस तक पहुंची राजनीति! Image Source - 'X' @myogiadityanath/samajwadiparty

Akhilesh yadav diya controversy: उत्तर प्रदेश की सियासत इन दिनों एक बयान से गर्माई हुई है। दीपावली के मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान ने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को हिला दिया है। उन्होंने कहा था कि दीपावली पर दीयों की जगह क्रिसमस जैसी रोशनी की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस एक वाक्य ने विपक्ष को संभलने का मौका ही नहीं दिया और भाजपा ने इसे हिंदुत्व बनाम सेक्युलरिज़्म की बहस में तब्दील कर दिया।

भाजपा के लिए नया ‘हिंदुत्व’ हथियार

अखिलेश यादव का बयान भाजपा के लिए मानो राजनीतिक वरदान साबित हुआ है। भाजपा ने तुरंत इस बयान को हिंदू भावनाओं से जोड़ते हुए अखिलेश पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा दिया। अब तक अखिलेश यादव 2027 के चुनाव को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण के सहारे जीतने की रणनीति बना रहे थे, लेकिन इस विवाद ने उनकी जमीन को हिला दिया है। भाजपा अब इस मुद्दे को जातीय राजनीति की काट के रूप में इस्तेमाल करने में जुटी है।

सपा के लिए बढ़ी मुश्किलें

अखिलेश यादव के इस बयान से समाजवादी पार्टी में भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। सपा के कई वरिष्ठ नेता खुद को रक्षात्मक मुद्रा में पाए जा रहे हैं। भाजपा के हर हमले का जवाब देना अब सपा के लिए भारी पड़ रहा है। पार्टी के नेता मुद्दे को समझाने के बजाय रोकथाम की राजनीति में उलझे हैं। इससे सपा के लिए न केवल नैरेटिव बनाना कठिन हो गया है, बल्कि उसका पारंपरिक वोट बैंक भी असमंजस में दिख रहा है।

अखिलेश का क्रिसमस वाला उदाहरण बना विवाद की जड़

अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा था कि विदेशों में क्रिसमस के दौरान महीनों तक रोशनी की जगमगाहट रहती है और यूपी सरकार को भी ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। लेकिन भाजपा ने इसी बयान को हिंदू त्योहारों का अपमान बताते हुए अखिलेश पर हमला बोल दिया। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह बयान हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने वाला है और अखिलेश को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

योगी आदित्यनाथ ने दिया जवाब

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बयान पर सीधा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि दीपावली के दीये केवल प्रकाश का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि इसके पीछे किसान और कुम्हार समुदाय की आजीविका जुड़ी है। दीयों का तेल किसान उगाता है, मिट्टी कुम्हार तैयार करता है, अखिलेश यादव का बयान इन दोनों की मेहनत पर चोट है। योगी आदित्यनाथ के इस बयान ने भाजपा के हिंदुत्व नैरेटिव को और मजबूत कर दिया है।

सपा का पलटवार

सपा नेताओं ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह धार्मिक भावनाओं को भड़काकर असली मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है। पार्टी ने कहा कि भाजपा बेरोज़गारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे विवादों को हवा दे रही है। हालांकि, भाजपा की रणनीति स्पष्ट है, वह अखिलेश यादव को हिंदू विरोधी छवि में ढालने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।

बदल रहा है यूपी का राजनीतिक समीकरण

इस पूरे विवाद ने यूपी की राजनीति का चुनावी एजेंडा बदल दिया है। भाजपा ने जातीय समीकरण की जगह धार्मिक एकता के भावनात्मक एजेंडे को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। वहीं, अखिलेश यादव की सबसे बड़ी चुनौती है कि वे अपने PDA फार्मूले को धर्म की राजनीति से ऊपर कैसे स्थापित करें।

सीएम योगी ने बढ़ाई सियासी गर्मी, अखिलेश को बताया राम-विरोधी

गोरखपुर में आरएसएस के एक कार्यक्रम के दौरान योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव पर और भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव न सिर्फ राम विरोधी हैं, बल्कि कृष्णद्रोही भी हैं।” भाजपा अब इस बयान को हिंदू वोट बैंक को एकजुट करने के लिए एक सशक्त संदेश के रूप में इस्तेमाल कर रही है।

2027 के पहले हिंदुत्व बनाम सेक्युलर एजेंडा तय

दीपावली के दीये से शुरू हुआ विवाद अब 2027 के यूपी चुनाव की नई राजनीतिक पिच तैयार कर रहा है। भाजपा इस विवाद को लंबा खींचना चाहती है, ताकि ‘हिंदुत्व’ का मुद्दा फिर से चर्चा के केंद्र में बना रहे। दूसरी ओर, अखिलेश यादव के सामने चुनौती है कि वे अपने बयान को गलत अर्थों में न लिए जाने की व्याख्या कर सकें और PDA राजनीति को वोट में तब्दील कर पाएं।