गुटबाजी और पार्टी अनुशासन तोड़ने का आरोप, प्रदेश अध्यक्ष ने किया निष्कासन का ऐलान- मायावती ने सख्त रुख अपनाया
BSC Discipline: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में एक बार फिर संगठनात्मक सख्ती देखने को मिली है। पार्टी ने लखनऊ और कानपुर मंडल के प्रभारी शमशुद्दीन राईन को अनुशासनहीनता और गुटबाजी के आरोपों में पार्टी से निष्कासित कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राईन को कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने पार्टी लाइन का पालन नहीं किया और संगठन में असंतोष फैलाने का काम किया। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब बसपा सुप्रीमो मायावती 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो चुकी हैं और संगठन को नए सिरे से मजबूत करने की कवायद में जुटी हैं।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि शमशुद्दीन राईन लंबे समय से पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे थे और संगठन की नीतियों के विपरीत बयानबाजी कर रहे थे। उन्हें इस संबंध में कई बार मौखिक और लिखित चेतावनी दी गई, मगर उन्होंने सुधार नहीं किया।
पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि पार्टी अनुशासन का पालन करना हर पदाधिकारी का दायित्व है। जो भी कार्यकर्ता या नेता पार्टी की एकजुटता को कमजोर करेगा, उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। बसपा की राजनीति में यह पहला मौका नहीं है जब संगठन ने किसी वरिष्ठ पदाधिकारी को इस तरह बाहर का रास्ता दिखाया हो। पार्टी की पहचान अपने सख्त अनुशासन और स्पष्ट आदेश प्रणाली के लिए जानी जाती है।
शमशुद्दीन राईन बसपा संगठन में लंबे समय से सक्रिय थे और उन्हें लखनऊ व कानपुर मंडल का प्रभारी बनाया गया था। इन दोनों मंडलों में बसपा की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की जिम्मेदारी उन्हीं के पास थी। बताया जा रहा है कि राईन पर संगठन में अपने समर्थकों का गुट बनाकर निर्णयों को प्रभावित करने और पार्टी की रणनीतियों को लीक करने के आरोप लगे थे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, हाल ही में हुए बैठकों में भी उन्होंने प्रदेश नेतृत्व की नीतियों को लेकर असहमति जताई थी, जिससे प्रदेश नेतृत्व नाराज़ था।
मायावती ने हमेशा यह कहा है कि बसपा में अनुशासन सर्वोपरि है। उन्होंने कई मौकों पर दोहराया है कि “पार्टी व्यक्ति विशेष पर नहीं, विचारधारा पर चलती है। लखनऊ में 9 अक्तूबर को हुई रैली के बाद मायावती लगातार संगठन में सक्रिय हैं। इस रैली में उन्होंने साफ संदेश दिया था कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरेगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था कि पार्टी के अंदर किसी भी प्रकार की गुटबाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में राईन पर कार्रवाई को मायावती की “संगठन शुद्धि मुहिम” का हिस्सा माना जा रहा है।
9 अक्टूबर की रैली के बाद मायावती ने प्रदेश स्तर पर कई बैठकों की अध्यक्षता की। इनमें पार्टी पदाधिकारियों और जोनल प्रभारियों से संगठन की जमीनी स्थिति पर चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि इसी दौरान कुछ प्रभारियों के खिलाफ शिकायतें आई थीं, जिनकी रिपोर्ट डीजी स्तर पर तैयार की गई थी। शमशुद्दीन राईन पर गुटबाजी और व्यक्तिगत स्वार्थ के आरोपों को गंभीर मानते हुए कार्रवाई की गई। बसपा अब संगठन के पुनर्गठन पर जोर दे रही है ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सभी जोनों और जिलों में संगठन पूरी तरह सक्रिय हो सके।
बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “मायावती जी की स्पष्ट नीति है कि जो भी पार्टी लाइन से हटकर काम करेगा, उसके लिए बसपा में कोई जगह नहीं है। पार्टी अनुशासन तोड़ने वालों पर कार्रवाई जारी रहेगी। पार्टी में अब प्रदेश स्तर पर अनुशासन समिति को और सशक्त किया जा रहा है ताकि शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
बसपा ने हाल ही में विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों को लेकर अपने सभी जिलों और मंडलों में संगठन की समीक्षा शुरू की है। मायावती ने खुद कहा था कि पार्टी “जमीन से जुड़े” कार्यकर्ताओं को आगे लाएगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि वे सोशल मीडिया से ज्यादा जनता के बीच सक्रिय रहें। इसके अलावा, बूथ स्तर पर संगठन की मजबूती और नए मतदाताओं से जुड़ने की रणनीति भी तय की जा रही है। शमशुद्दीन राईन का निष्कासन इसी दिशा में एक सख्त संदेश माना जा रहा है कि बसपा में अनुशासन भंग करने वालों के लिए अब कोई जगह नहीं बची है।
सूत्रों के मुताबिक मायावती अब उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर भी सक्रिय हो रही हैं। उन्होंने आने वाले हफ्तों में बिहार के कई जिलों में रैलियों को संबोधित करने की योजना बनाई है।लखनऊ रैली में उन्होंने कहा था कि बसपा कार्यकर्ताओं को यूपी में बहुमत की सरकार लाने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी। समाज के हर तबके तक बसपा की नीतियां पहुंचनी चाहिए। उनकी इन तैयारियों के बीच संगठनात्मक शुद्धता और एकजुटता बनाए रखना पार्टी की पहली प्राथमिकता बन गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती का यह निर्णय पार्टी के भीतर संदेश देने की कोशिश है कि “डिसिप्लिन से ही सत्ता का रास्ता निकलेगा।” हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि बसपा को आज के समय में न केवल अनुशासन, बल्कि जमीनी सक्रियता और जनसंपर्क को भी बढ़ाने की जरूरत है। लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आर.के. सिंह का कहना है,मायावती संगठन को पुनर्जीवित करने में लगी हैं। लेकिन केवल सख्ती से नहीं, बल्कि नए चेहरों को मौका देकर ही बसपा अपनी पुरानी ताकत वापस पा सकती है।
Published on:
23 Oct 2025 02:34 pm
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