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Railway: छठ पर ट्रेनों में मचा हाहाकार: जनरल कोचों में भूसे की तरह भरे यात्री, फोटो-वीडियो खींचने पर पाबंदी

Railway Alert: छठ पूजा पर घर लौटने वालों की भारी भीड़ के आगे रेलवे की तैयारियां ध्वस्त नजर आईं। लखनऊ चारबाग स्टेशन पर ट्रेनों में जनरल कोच भूसे की तरह भर गए। यात्रियों को 24 घंटे खड़े-खड़े सफर करना पड़ा। वीडियो वायरल होते ही प्लेटफॉर्म पर फोटो-वीडियो लेने पर पाबंदी लगा दी गई।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 27, 2025

घर जाने की ललक में जिंदगी दांव पर (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

घर जाने की ललक में जिंदगी दांव पर (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)

Railway Chaos: दिवाली और छठ पर्व के अवसर पर घर लौटने वाले लाखों यात्रियों के बीच इस बार राज्य व केंद्र सरकार द्वारा घोषणाएँ अधिक थीं, लेकिन व्यवहार में व्यवस्था ध्वस्त नजर आई। Indian Railways ने 12 हजार अतिरिक्त फेरे चलाने का दावा किया था। लेकिन शनिवार को दिल्ली-एनसीआर एवं पूर्वांचल की दिशा में रवाना हुई ट्रेनों में ऐसा दृश्य था कि उसकी तुलना “भूसे में भरे जनरल कोच” से की जा सकती है।

लखनऊ के Charbagh Railway Station पर आई ट्रेन Avadh Assam Express के जनरल कोच में यात्रियों की भीड़ इतनी थी कि खड़े होने तक की उचित जगह नहीं बची थी। कुछ यात्रियों ने चादर बिछा कर लेटने की कोशिश की, जबकि कई खड़े-खड़े सफर कर रहे थे। यात्रियों ने बताया कि वे करीब 24 घंटे से न तो आराम से बैठ सके, न हिल-डुल पाए। वॉशरूम जाने का डर, पानी लेने की समस्या बताई गयी। इस कोच का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के तुरंत बाद स्टेशन में फोटो-वीडियो लेने पर पाबंदी लग गयी। रेलवे पुलिस ने आदेश जारी किया कि प्लेटफॉर्म पर किसी को भी फोटो/वीडियो लेने नहीं दिया जाएगा। आरपीएफ इंस्पेक्टर Bhupendra Singh ने इस बात की पुष्टि की।

वादा और वास्तविकता के बीच अंतर

भारतीय रेलवे ने त्योहारों के दौरान यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 12 हजार स्पेशल ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी। यह कदम यात्रा की सुविधा व भीड़ नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण था। लेकिन लखनऊ मंडल और चारबाग स्टेशन पर मिले दृश्य ने संकेत दिया कि घोषणाओं के विपरीत जमीन-हकीकत कमजोर रही। जनरल कोचों की भीड़, चेकिंग व्यवस्था की कमी व अनियंत्रित प्रवाह यात्रियों की मुसीबत का कारण बने।

चारबाग स्टेशन-परिस्थिति

चारबाग स्टेशन पर प्रवेश द्वार पर लगेज स्कैनर बंद पड़े थे। यात्रियों को बिना जांच स्टेशन में आने-जाने की अनुमति मिली। आरक्षित कोचों में अनधिकृत प्रवेश, खड़े खड़े यात्रा करने वाले यात्रियों की शिकायतें सामने आईं। टीटीई (ट्रेन टिकट निरीक्षक), आरपीएफ व जीआरपी की मौजूदगी के बावजूद नियंत्रण संभव नहीं रहा। यात्रियों का कहना था कि टिकट कन्फर्म होने के बावजूद उन्हें खड़े होकर सफर करना पड़ा। स्टेशन के प्लेटफार्म पर वायरल वीडियो व तस्वीरों ने इस समस्या को और उजागर किया, जिसके बाद फोटो-वीडियो पर पाबंदी लगायी गयी।

यात्रियों की स्थिति और शिकायतें

यात्रियों ने सफर के दौरान कठिनाइयां गिनाईं: “हम करीब 24‐घंटे से खड़े-बैठे हिल नहीं पा रहे हैं। वॉशरूम जाने का डर है तो पानी भी नहीं ले पा रहे।” ऐसा हाल था कि कुछ ने चादर बिछा कर लेटने की कोशिश की। इन कहानियों से स्पष्ट है कि जनरल कोचों में यात्रा उपयुक्त नहीं थी। छठ-त्योहार के दौरान घर लौटने वालों की संख्या बहुत अधिक होती है , विशेष रूप से पूर्वांचल, बिहार एवं उत्तर प्रदेश के लोग। वर्ष-दर-वर्ष ऐसा देखा गया है कि त्योहारों पर ट्रेनों व प्लेटफॉर्म पर भीड़ नियंत्रण चुनौती बन जाती है।

फोटो-वीडियो प्रतिबंध: विवाद या सुरक्षा

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो व तस्वीरों के बाद रेलवे प्रशासन ने फोटो-वीडियो खींचने पर रोक लगायी। प्लेटफॉर्म पर कैमरा लिए आना प्रतिबंधित कर दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि ऐसा निर्णय यात्रियों की सुरक्षा व प्लेटफॉर्म पर अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के दृष्टिकोण से लिया गया। हालांकि यात्रियों व सामाजिक मंचों ने इसे समस्या को छिपाने की कोशिश बताया।

त्योहार के माहौल में कुछ रंग खो गए

यद्यपि रेलवे ने कुछ सकारात्मक पहल भी की थी, जैसे स्टेशन पर छठ गीतों की धुनें चलाना, यात्रियों से संवाद करना आदि, लेकिन यात्रियों की असुविधा इन पहलों से overshadow हो गई। रेलवे ने stations पर छठ गीतों को प्रसारित किया था, ताकि त्योहार का माहौल बनाए रखा जा सके।  लेकिन तय रूप से यह कहा जा सकता है कि “माहौल बनाने वाली” पहल अच्छी थीं, मगर यात्रा-अनुभव को सुधारने में बहुत कुछ पीछे रह गया।

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आगे क्या किया जाना चाहिए

  • यात्रियों की संख्या व कोचों की क्षमता का विस्तृत विश्लेषण कर, अतिरिक्त कोच समय पर लगाये जाएँ।
  • प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा व चेक-प्रवेश व्यवस्था पुख्ता होनी चाहिए: लगेज स्कैनर चालू हों, टिकट व प्लेटफॉर्म प्रविष्टि को मॉनिटर किया जाए।
  • जनरल कोचों में यात्रियों की सुविधा हेतु विशेष इंतजाम: पानी, वॉशरूम, बैठने की जगह आदि सुनिश्चित हो।
  • फोटो-वीडियो प्रतिबंध को “सुरक्षा” के नाम पर लागू करने के बजाय पारदर्शिता व भीड़-प्रबंधन की दृष्टि से समीक्षा की जाए।
  • रेलवे तथा राज्य परिवहन विभाग सहयोग से बस आदि अतिरिक्त परिवहन भी बेहतर ट्रैक पर हों, ताकि ट्रेनों व बसों की भीड़ संतुलित हो।