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बेटे जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे; सीतापुर जेल की दर्दनाक यादें सुनाते हुए भावुक हुए आजम खान

Azam Khan News: सीतापुर जेल में बैरक बदले जाने पर सपा नेता आजम खान भावुक हो उठे। कपिल सिब्बल से बातचीत में उन्होंने बताया कि रात तीन बजे बेटे अब्दुल्ला को दूसरी जेल ले जाते वक्त उन्हें एनकाउंटर का डर था।

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सीतापुर जेल की दर्दनाक यादें सुनाते हुए भावुक हुए आजम खान | Image Source - 'YT' @dilsewithkapilsibal

Azam Khan Interview and Encounter Fear: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान ने सीतापुर जेल में अपनी बैरक बदलने को लेकर भावनात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एनकाउंटर की अफवाहों के बीच उन्हें सबसे ज्यादा डर इस बात का था कि वह अपने बेटे से दोबारा नहीं मिल पाएंगे।

रात तीन बजे लगा, अब कभी मुलाकात नहीं होगी

सपा नेता आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल से हुई बातचीत में खुलासा किया कि एक रात तीन बजे उनकी बैरक से बेटे अब्दुल्ला आजम को दूसरी जेल में ले जाया गया तो उन्होंने कहा कि मैंने जेल में सुना था कि एनकाउंटर हो रहे हैं। जब अब्दुल्ला को अलग गाड़ी में ले जाया गया, तो मैंने सोचा अब शायद हम कभी नहीं मिलेंगे। उस वक्त मैंने कहा- "बेटे, जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे, नहीं तो ऊपर मिलेंगे।”

आजम खान ने बताया कि वह रात और अगला दिन उनकी जिंदगी का सबसे कठिन और डरावना वक्त था, जब तक उन्हें यह खबर नहीं मिली कि उनका बेटा जिंदा है।

छात्र राजनीति से लेकर जेल तक

सिब्बल से संवाद के दौरान आजम खान ने अपने जीवन की राजनीतिक यात्रा के उतार-चढ़ाव पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान लगी इमर्जेंसी के वक्त उन पर देशद्रोह का आरोप लगा और जेल भेजा गया। उन्होंने कहा- “मुझे उस अंधेरी कोठरी में रखा गया, जहां कभी सुंदर डाकू बंद था। जब जमानत मिली, तो नया मुकदमा मीसा के तहत दर्ज करा दिया गया।” जेल से लौटने के बाद उन्होंने रामपुर के बीड़ी श्रमिकों और बुनकरों की आवाज उठाई और चौधरी चरण सिंह को एक सच्चा जननेता बताया।

अब राजनीति में आत्मीयता नहीं, बदले की भावना है हावी

साल 2017 के बाद दर्ज हुए मामलों पर आजम खान ने कहा कि अब राजनीति का चरित्र पूरी तरह बदल गया है। पहले सदन में बहस के बाद पक्ष-विपक्ष के नेता बाहर मिलकर गले लगते थे, पर अब माहौल बदला लेने वाला बन गया है। उन्होंने बताया कि पिछली बार उन्हें पत्नी व बेटे के साथ एक ही जेल भेजा गया, लेकिन दूसरी बार आधी रात को अलग-अलग वाहनों में ले जाकर डराने की कोशिश की गई।

यूनिवर्सिटी बनाना मेरा गुनाह बताया गया

आजम खान ने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज 94 मुकदमे पूरी तरह झूठे और बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा- “मैंने यूनिवर्सिटी बनाई, यही मेरा गुनाह है। मुझ पर रिश्वतखोरी या कमीशनखोरी का एक भी दाग नहीं है, लेकिन मुझे ऐसे ट्रीट किया गया जैसे कोई अपराधी हो।” उन्होंने आरोप लगाया कि जेल में उन्हें फांसीघर जैसी कोठरी में रखा गया, वायरल की तकलीफ में तड़पने के बावजूद डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आते थे।

अखिलेश यादव से नाराजगी के सवाल पर दी सफाई

अखिलेश यादव से मतभेदों की खबरों को खारिज करते हुए आजम खान ने कहा कि उनका समाजवादी पार्टी से कोई विवाद नहीं है। उनका एक ही उद्देश्य है, जब तक पार्टी की सरकार बने, तब तक मेरे ऊपर से मुकदमों का दाग मिट जाए, ताकि मैं मुजरिम के रूप में विधानसभा न जाऊं।

बिहार चुनाव पर दिया संदेश

अजमेर शरीफ की यात्रा के दौरान बिहार चुनाव पर सवाल पूछे जाने पर आजम खान ने कहा कि यह वक्त है जब सभी को मिलकर लोकतंत्र की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने कहा- “देश की सभी एजेंसियों को आजाद होना चाहिए, दीये रोशन किए जाएं और लोकतंत्र को फिर से जीवंत बनाया जाए।” उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण फिलहाल प्रचार के लिए बिहार जाने की स्थिति में नहीं हैं।