
युवाओं में बढ़ते मानसिक दबाव की दर्दनाक तस्वीर (फोटो सोर्स : Whatsapp Group)
लखनऊ के हजरतगंज इलाके में शनिवार देर रात हुई आत्महत्या की घटना ने सभी को झकझोर दिया। जिलाधिकारी आवास के पास अपनी कार में बैठे युवक ने खुद को गोली मारकर जीवन समाप्त कर लिया। रविवार को पुलिस के सामने मृतक की बहन के बयान के बाद घटना के पीछे छिपा कर्ज और मानसिक तनाव सामने आया।
मृतक की पहचान 38 वर्षीय ईशान गर्ग के रूप में हुई, जो राजाजीपुरम थाना तालकटोरा क्षेत्र का निवासी था। परिवार में माता और एक बहन हैं। पिता पराग गर्ग का निधन कोरोना काल में हो गया था, जिसके बाद से घर की ज़िम्मेदारी इशान पर ही आ गई थी। बहन, जो शादी के बाद गुड़गांव में रहती हैं, ने पुलिस को बताया कि पिता के निधन और कारोबारी असफलता के बाद इशान मानसिक रूप से काफी टूट चुके थे।
बहन के अनुसार इशान कुछ ऐसे शौक पाल बैठे थे, जिनमें आर्थिक खर्च अत्यधिक था। व्यवसाय भी उनकी अपेक्षा के अनुरूप खड़ा नहीं हो पा रहा था। धीरे-धीरे कर्ज का बोझ बढ़ता गया और तनाव लगातार गहराता गया। कर्ज चुकाने की नाकाम कोशिशों और बढ़ते दबाव ने उन्हें मानसिक रूप से बेहद कमजोर कर दिया था। परिवार और रिश्तेदार समझ नहीं पाए कि अंदर ही अंदर वे कितने बड़े संघर्ष से गुजर रहे हैं।
शनिवार रात करीब 11:40 बजे इशान अपनी सफेद होंडा बीआर-वी (UP 32 KE 8099) कार लेकर हजरतगंज क्षेत्र में पहुँचे। कार स्टार्ट ही थी और वे ड्राइविंग सीट पर बैठे थे। अचानक उन्होंने लाइसेंसी रिवॉल्वर से कनपटी पर गोली मार ली। आवाज़ सुनते ही आस-पास से लोग दौड़े और तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।
सूचना मिलते ही पुलिस उपायुक्त (मध्य) ,अपर पुलिस उपायुक्त,सहायक पुलिस आयुक्त,हजरतगंज पुलिस और फील्ड यूनिट टीम ने पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया। कार के अंदर इशान के दाहिने हाथ में रिवाल्वर थी। एक कारतूस फायर हुआ था जबकि चार कारतूस छोटी पोटली में और बाकी हथियार में पाए गए। रिवॉल्वर का लाइसेंस भी उनके वॉलेट में मिला।
रविवार को शव का पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद परिजनों ने नम आँखों के साथ अंतिम संस्कार किया। मौके पर रिश्तेदारों और पड़ोसियों की भीड़ मौजूद रही। सभी यही सवाल पूछते दिखाई दिए-क्या यह त्रासदी रोकी जा सकती थी। करीबी लोगों के अनुसार इशान कई दिनों से चुप-चुप रहते थे। काम-धंधे की बात करने से बचते थे। कई बार भोजन तक नहीं करते थे। परिवार ने समझा कि समय के साथ सब ठीक हो जाएगा, पर हालात उनकी सोच से ज्यादा गंभीर थे।
आत्महत्या से पहले व्यक्ति कई संकेत देता है। अकेलापन, गुमसुम रहना, कर्ज या असफलता की बातें दोहराना, नींद-भूख में बदलाव, भविष्य के प्रति नकारात्मक दृष्टि। दुर्भाग्यवश, अक्सर परिवार इन संकेतों को सामान्य तनाव समझकर नजरअंदाज कर देता है।
पिता की मौत के बाद इशान का बोझ बढ़ चुका था। कमाई और शौक के बीच असंतुलन कर्ज में डूबने का कारण बना। आर्थिक दबाव आज कई युवाओं के सामने सबसे बड़ा मानसिक संकट बनता जा रहा है।व्यावसायिक असफलता और समाज में "सफल दिखने" का दबाव इस तनाव को और खतरनाक बना देता है।
हालांकि घटना को आत्महत्या के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन पुलिस मोबाइल, कॉल डिटेल और कर्ज सम्बंधी दस्तावेजों की जांच कर रही है ताकि यह पता चल सके कि किसी ने दबाव, धमकी या प्रताड़ना तो नहीं दी।
माँ अपनी दुनिया का सहारा खो चुकी हैं। बहन हर वाक्य के साथ यही कह रही थी कि काश हम उसे समझ पाते कि जिंदगी इतनी सस्ती नहीं कि एक असफलता पर खत्म कर दी जाए। आंसुओं में डूबी यह बात पूरे माहौल को और भी पीड़ादायक बना गई।
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Updated on:
27 Oct 2025 10:07 am
Published on:
27 Oct 2025 08:29 am
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