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चरनोई की भूमि को बचाने के लिए शासन को मिली थी स्वतंत्रता, न सुप्रीम कोर्ट गए, न सिविल सूट दायर किया

Neoteric had established Green South Avenue on the grazing land of Kedarpur. After establishing Green South Avenue Township, it was also sold; name transfers are also taking place.

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Neoteric had established Green South Avenue on the grazing land of Kedarpur. After establishing Green South Avenue Township, it was also sold; name transfers are also taking place.

Neoteric had established Green South Avenue on the grazing land of Kedarpur. After establishing Green South Avenue Township, it was also sold; name transfers are also taking place.


Neoteric Developers Pvt Ltd शहर की शासकीय व चरनोई जमीनों को धीरे-धीरे अपने नाम कर ली। इन जमीनों को बचाने के लिए शासन के पास विकल्प भी थे, लेकिन उन विकल्पों का उपयोग नहीं किया। जमीनें हाथ से निकल गई। ऐसा ही एक मामला केदारपुर की चरनोई जमीन का है। नियोटेरिक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (जीएलआर रियल एस्टेट समूह) ग्रीन साउथ एवेन्यू नाम से टाउनशिप बसाई। इस टाउनशिप को चरनोई (शासकीय भूमि) भूमि पर बसाया गया। प्रशासन के संज्ञान में आया तो जमीन शासकीय घोषित की गई। यह मामला हाईकोर्ट में भी चल, लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य शासन को मामले को उचित फोरम पर ले जाने की स्वतंत्रता दी थी। जमीन को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी या फिर सिविल सूट दायर किया जा सकता था, लेकिन शासन आगे नहीं बढ़ा। न एसएलपी हुई और न सिविल सूट। नियोटेरिक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने पूरी टाउनशिप बेच दी। इस टाउनशिप में बिकने वाले प्लॉट के नामांतरण भी हो रहे हैं। महलगांव तहसीलदार शिवदत्त कटारे का कहना है के पूर्व के आदेश के आधार पर नामांतरण हो रहे हैं।

क्या है मामला

नियोटेरिक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने केदारपुर के सर्वे क्रमांक 29/3, 37/2, 38/2, 25/2, 29/4, 36/2, 37/1, 25/3, 29/1, 30/2, 31/1, 33/2, 36/1 पर टाउनशिप विकसित की थी।

- दिसंबर 2010 में कलेक्टर ने मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए जमीन के जांच के आदेश दिए और जमीन चरनोई की निकली। जमीन को शासकीय घोषित किया गया।

- मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्पीकिंग आदेश पारित करने का आदेश दिया। संभागायुक्त ने फैसला पलट दिया और कहा कि जमीन चरनोई नहीं है।

- हाईकोर्ट ने संभागायुक्त के फैसले के आधार पर रिट अपील का निराकरण कर दिया। आदेश दिया कि राज्य शासन उचित फोरम पर अपना दावा लगा सकता है। राज्य शासन के पास तत्कालीन संभागायुक्त के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने का विकल्प था। साथ ही हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी व जिला न्यायालय में सिविल सूट भी दायर कर सकते थे। इसमें से किसी विकल्प का चुनाव नहीं किया।

संवत 2007 व 2008 में जमीन थी सरकारी, 2009 में निजी नाम आए

- जमीन के सर्वे संवत 2007 (वर्ष 1950) व संवत 2008 (वर्ष 1951) में शासकीय दर्ज थे, लेकिन संवत 2009 (सन 1952) में जमीन निजी हो गई। चननोई की जगह नाम आ गए। खसरों में कांटछांट थी, जिसके आधार पर जमीन शासकीय की गई थी।

- ग्रीन साउथ एवेन्यू रीसेल में प्लॉट मिल रहे हैं। रजिस्ट्री से संभागायुक्त व रिट अपील में हुए आदेश का हवाला देकर नामांतरण हो रहे हैं।