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सौभाग्य व सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा रक्षाबंधन

बेंगलूरु. भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व शनिवार को सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ संयोगों में मनाया जाएगा। इस बार खास बात यह है कि रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिससे बहनें दिनभर निर्बाध रूप से अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। पंडितों […]

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बेंगलूरु.

भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व शनिवार को सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ संयोगों में मनाया जाएगा। इस बार खास बात यह है कि रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा, जिससे बहनें दिनभर निर्बाध रूप से अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। पंडितों के अनुसार रक्षाबंधन के दिन श्रवण नक्षत्र के दौरान सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं। जो भाई -बहन के रिश्तों को और अधिक मजबूत करने में मदद करेगा।

पंडित मंगलानंद मिश्रा, पंडित कमलेश तिवारी और पंडित राजेंद्र उपाध्याय ने काशी विश्वनाथ पंचांग के आधार पर बताया कि पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2:15 बजे प्रारंभ होकर 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक रहेगी। चूंकि रक्षाबंधनउदयातिथि के आधार पर मनाया जाता है, इसलिए 9 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधना संभव होगा।

पंडित तेजप्रकाश दवे ने कहा कि शनिवार को सुबह 7.42 बजे से 9.16 बजे तक शुभ वेला और दोपहर में 12.25 बजे से 1.59 बजे तक चंचल वेला में राखी बांधना शुभ रहेगा। इसके साथ दोपहर 1.59 बजे से शाम 5.11 बजे तक लाभ अमृत वेला भी राखी बांधी जा सकती है। भ्रदा नहीं होने के कारण पूरे दिन राखी बांध सकते हैं।

कई योगों का संयोग

इस वर्ष रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र, सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग एक साथ बन रहे हैं, जो पर्व को और भी विशेष और शुभ बनाते हैं। सौभाग्य योग जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य को बढ़ाने वाला योग माना जाता है। यह परिवार और रिश्तों में सकारात्मकता बढ़ाता है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग सभी कार्यों में सफलता दिलाने वाला अद्भुत संयोग है। श्रवण नक्षत्र रिश्तों को गहराई, आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ने में सहायक होता है।