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Bhai Dooj 2025: जानिए भाईदूज की तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Bhai Dooj 2025 Puja Vidhi: भाई दूज केवल एक रस्म नहीं, बल्कि वह दिन होता है जब भाई-बहन बचपन की यादें ताजा करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। अक्सर भाई दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों में भ्रम बना रहता है।

2 min read

भारत

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MEGHA ROY

Oct 09, 2025

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Bhai Dooj 2025 rituals and significance|फोटो सोर्स – Freepik

Bhai Dooj 2025 Date: भाई दूज का यह त्योहार प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है, जिसमें बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए विशेष पूजा करती हैं। भाई दूज केवल एक रस्म नहीं, बल्कि वह दिन होता है जब भाई-बहन बचपन की यादें ताजा करते हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। अक्सर भाई दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों में भ्रम बना रहता है। ऐसे में नीचे स्पष्ट रूप से भाई दूज 2025 की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि दी गई है।

भाई दूज का धार्मिक और पौराणिक महत्व

दीपावली के ठीक दो दिन बाद मनाया जाने वाला भाई दूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व है। भाई दूज केवल एक पारिवारिक परंपरा ही नहीं, बल्कि इसका धार्मिक आधार भी बहुत गहरा है। माना जाता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुनाजी के निमंत्रण पर उनके घर गए थे। यमुनाजी ने उन्हें तिलक कर आदरपूर्वक भोजन कराया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि जो बहन इस दिन अपने भाई को तिलक कर आदरपूर्वक भोजन कराएगी, उसके भाई की आयु लंबी होगी और उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।इसके बाद से यह परंपरा शुरू हुई जो आज तक पूरे भारत में हर्षोल्लास से निभाई जाती है।

भाई दूज 2025 शुभ मुहूर्त(Bhai Dooj 2025 Date And Time)


द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर रात 8:16 बजे से शुरू होकर 23 अक्टूबर रात 10:46 बजे तक रहेगी। इसलिए भाई दूज 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। तिलक का शुभ समय दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा।

देशभर में भाई दूज के विभिन्न नाम

भारत की सांस्कृतिक विविधता भाई दूज जैसे त्योहार में भी झलकती है। बंगाल में इसे भाई फोटा, महाराष्ट्र और गोवा में भाऊ बीज, जबकि नेपाल में भाई तिहार कहा जाता है। नाम और परंपराएं भले ही अलग हों, लेकिन इस पर्व की मूल भावना भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा की होती है।

पूजन विधि और सामग्री

भाई दूज की पूजा सादगी में ही बड़ी होती है। सुबह स्नान कर साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। बहनें एक थाली में पूजा की सामग्री सजाती हैं जिसमें रोली, चावल, मौली (कलावा), चंदन, नारियल, मिठाई, फूल और सुपारी होती है। साथ में एक दीपक भी जलाया जाता है।भाई को तिलक करते समय बहनें उसके सामने दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर बैठती हैं। तिलक के बाद आरती उतारी जाती है और मिठाई खिलाकर भाई की लंबी उम्र, सफलता और रक्षा की कामना की जाती है।नारियल का गोला भाई की सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह भाई को दिया जाता है ताकि बुरी नजर, संकट और नकारात्मकता उससे दूर रहे।