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Bhai Dooj 2025: रक्षाबंधन से अलग क्यों होता है भाई दूज? जानिए खास वजह

Bhai Dooj 2025: अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता होगा कि रक्षाबंधन और भाई दूज में क्या अंतर है, क्योंकि यह पर्व भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक होता है। तो फिर ये दो त्योहार एक जैसे होने के बावजूद अलग-अलग क्यों मनाए जाते हैं? जानिए...

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भारत

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MEGHA ROY

Oct 13, 2025

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Why Bhai Dooj is different from Raksha Bandhan|फोटो सोर्स – Patrika.com

Bhai Dooj 2025: भाई दूज, जो दीपावली के तुरंत बाद आता है,एक खास अवसर होता है जब बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और भाई उन्हें उपहार और आशीर्वाद देते हैं। लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता होगा कि रक्षाबंधन और भाई दूज में क्या अंतर है, क्योंकि यह पर्व भाई-बहन के पवित्र बंधन का प्रतीक होता है। तो फिर ये दो त्योहार एक जैसे होने के बावजूद अलग-अलग क्यों मनाए जाते हैं?अगर आपके मन में भी यही सवाल है, तो यहां जानिए रक्षाबंधन और भाई दूज के त्योहारों के बीच के अंतर।

पर्वों की पहचान संस्कृत में


रक्षा बंधन को संस्कृत में "रक्षिका" या "रक्षा सूत्र बंधन" कहा जाता है, जबकि भाई दूज को "भागिनी हस्ता भोजना" के नाम से जाना जाता है। मतलब यह कि एक दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, तो दूसरे दिन वह उसे स्नेहपूर्वक भोजन कराती है।

पर्वों में बहनों की भूमिका का अंतर


रक्षा बंधन पर भाई अपनी बहन को आमंत्रित करता है, राखी बंधवाता है और उपहार देकर उसे सम्मानित करता है। वहीं भाई दूज पर बहन अपने भाई को आमंत्रित करती है, तिलक लगाकर आरती उतारती है और अपने हाथों से भोजन कराकर स्नेह जताती है।

परंपरा


रक्षा बंधन एक तरह से मौली या कलावा बांधने की परंपरा का विस्तार है, जो प्राचीन काल से चली आ रही है। इसके विपरीत, भाई दूज एक स्वतंत्र पर्व है, जिसकी परंपरा किसी अन्य रीति से नहीं जुड़ी हुई।

पौराणिक आधार


रक्षा बंधन के पीछे इंद्र, राजा बली और श्रीकृष्ण जैसे चरित्रों की कथाएं जुड़ी हैं। वहीं भाई दूज की नींव यमराज और यमुना के प्रेम पर आधारित है, इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।

कथाओं का महत्व


रक्षा बंधन पर प्रायः राजा बली की कथा सुनने का चलन है, जबकि भाई दूज पर यमराज और यमुना से जुड़ी कथा को महत्व दिया जाता है।

भोजन और भेंट की परंपरा


रक्षा बंधन के दिन मिठाई बांटी जाती है, जबकि भाई दूज पर बहन भाई को संपूर्ण भोजन कराती है और अंत में पान खिलाने की विशेष परंपरा निभाती है। यह माना जाता है कि पान भेंट करने से बहन का सौभाग्य बना रहता है।

स्नान की विशेष परंपरा


भाई दूज पर यदि भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं तो ऐसी मान्यता है कि यमराज उन्हें अपने लोक की यातनाओं से मुक्ति देते हैं। इस दिन यम और यमुना दोनों की पूजा की जाती है, जो रक्षा बंधन में नहीं होती।

भाई दूज को अलग-अलग राज्यों में अलग नामों से जाना जाता

  • गुजरात: भाई बीज
  • बंगाल: भाई फोटा
  • महाराष्ट्र: भाऊ बीज
  • कर्नाटक: सौदर बिदिगे
  • नेपाल: भाई टीका
  • मिथिला: यम द्वितीया