Putrada Ekadashi Vrat Hindi: अजमेर की ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। एक पौष माह की शुक्ल पक्ष में और दूसरी सावन माह के शुक्ल पक्ष में।
इस साल पौष माह की पुत्रदा एकादशी व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा। इस व्रत में जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। मान्यता है कि पति-पत्नी के एक साथ पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के पुण्य के बराबर मिलता है। साथ ही संतान से जुड़ी मनोकामना पूरी होती है और संतान के कार्यों की बाधा दूर होती है।
पौष पुत्रदा एकादशी व्रत और भगवान विष्णु मां लक्ष्मी की पूजा करने से दोनों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही लंबे समय से रूके काम पूरे होते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर और अन्य पांडवों के बारे में बताया था। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में एकादशियों की कथाएं बताई गई हैं। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें सुख-शांति के साथ ही सफलता भी मिलती है। जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
अजमेर की ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार पुत्रदा एकादशी व्रत संतान के सुख की कामना से रखा जाता है। मान्यता है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से जल्द ही पुत्र प्राप्ति होती है। इसलिए जो लोग नि:संतान हैं, उन्हें इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और अच्छी संतान मिलती है। यही नहीं इस व्रत से संतान को अच्छा भविष्य मिलता है और वह अपनी लाइफ में स्वस्थ रहता है।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी 2025 अत्यंत कल्याणकारी है। इस दिन दिन भर ब्रह्म योग का विशेष संयोग रहेगा। शास्त्रों में इस शुभ संयोग में दान करने का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस पवित्र अवसर पर व्रत करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस साल पौष पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 09 जनवरी को दोपहर 12:22 बजे होगी।
वहीं, 10 जनवरी को सुबह 10:19 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। उदया तिथि में व्रत 10 जनवरी को माना जाएगाष साधक स्थानीय पंचांग के अनुसार व्रत रख सकते हैं।
1.पुत्रदा एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
2. घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
3. इसके बाद भगवान गणेश और फिर भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें।
4. दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर श्रीकृष्ण का भी अभिषेक करें और विधिवत पूजा करें।
5. जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें पूरे दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। फलाहार करें और दूध पी सकते हैं।
1. ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार पुत्रदा एकादशी की सुबह घर के मंदिर में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
2. इसके बाद शंख में जल और दूध लेकर प्रतिमा का अभिषेक करें और भगवान को चंदन का तिलक लगाएं।
3. चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से पूजा करें और इसके बाद धूप-दीपक जलाएं।
4. लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें, मौसमी फलों के साथ सुपारी भी रखें।
5. गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं और भगवान की आरती करें।
6. ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
7. इस पूजा करने के बाद भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए भगवान से क्षमा याचना करें।
8. पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
Updated on:
08 Jan 2025 06:38 am
Published on:
07 Jan 2025 07:36 pm