Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आज डूबते सूर्य को देंगे अर्घ्य, खरना के साथ शुरू हुआ 36 घंटे का उपवास

छठ मैया के गूंजे गीत अलवर. छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे का उपवास शुरू हुआ। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गन्ने के रस में बनी खीर, दूध-चावल का पिट्ठा और घी लगी रोटी बनाकर सूर्य भगवान को अर्पित किया और प्रसाद ग्रहण करने के बाद निर्जल उपवास का संकल्प लिया। […]

2 min read
Google source verification

अलवर

image

Jyoti Sharma

Oct 27, 2025

छठ मैया के गूंजे गीत

अलवर. छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना के साथ 36 घंटे का उपवास शुरू हुआ। शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गन्ने के रस में बनी खीर, दूध-चावल का पिट्ठा और घी लगी रोटी बनाकर सूर्य भगवान को अर्पित किया और प्रसाद ग्रहण करने के बाद निर्जल उपवास का संकल्प लिया। इस दौरान छठ मैया के गीत गूंजते रहे।

महापर्व के तहत तीसरे दिन षष्ठी पर सोमवार को व्रती निर्जला उपवास रखकर शाम को नदी, तालाब या किसी जल स्रोत के किनारे पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसके लिए एक बांस के बनी टोकरी (दउरा) में फल, ठेकुआ, गन्ना, नारियल और अन्य प्रसाद रखा जाएगा। घर का पुरुष इसे अपने सिर पर उठाएंगे। इस दौरान महिलाएं छठ गीत गाती हुई घाट पर जाएंगी, जहां सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद कार्तिक शुक्ल सप्तमी पर चौथे दिन 28 अक्टूबर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद उपवास समाप्त हो जाएगा। अलवर के सागर जलाशय पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। मौसम विभाग के अनुसार अलवर में सूर्यास्त का समय शाम 5.43 बजे है।

त्रेता युग में भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के बाद छठ व्रत की शुरुआत हुई। रावण का वध करने के बाद भगवान राम को ब्रह्महत्या का पाप लगा था। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों से उपाय पूछा। तब ऋषि मुद्गल ने उन्हें कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य देव की आराधना करने का निर्देश दिया। श्रीराम और माता सीता ने छह दिनों तक मुद्गल ऋषि के आश्रम में रहकर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा की। तभी से यह परंपरा लोक आस्था में छठ पर्व के रूप में मनाई जाने लगी। द्वापरयुग में कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वह प्रतिदिन कमर तक पानी में ख़ड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे। जब पांडव कठिन समय से गुजर रहे थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखकर सूर्य देव से अपने परिवार के कल्याण की प्रार्थना की थी।

© 2025 All Rights Reserved. Powered by Summit