Kachra Plant Damoh
दमोह. स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में भले ही दमोह फिसड्डी रहा हो, लेकिन उसे कचरा प्रसंस्करण के नंबर मिले थे। मौका स्थल पर देखने से स्पष्ट होता है कि सर्वेक्षण टीम को दिखाने के लिए यहां पूरा तामझाम किया गया था, लेकिन इसके बाद से यहां कोई आया तक नहीं है, जिससे प्लांट पर वीरानी देखने मिलती है। देखरेख शून्य होने के कारण यहां पहुंचने वाले चोरों और आसामाजिक तत्वों ने गेट और बाउंड्रीवॉल तक तोड़ दी है। इतना ही नहीं यहां से कुछ साम्रगी चोरी होने की भी आशंका है।
विदित हो कि शहर से निकलने वाले गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग कर उससे खाद बनाने और अन्य प्रक्रियाएं संपन्न कराने दमोह में कचरा प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना हुए पांच साल हो गए हैं, लेकिन इसका उपयोग कब होता है, यह जानकर आश्चर्य होना लाजमी हैं।
ग्राउंड पर सामने आई हकीकत
नगरपालिका के रेकॉर्ड में चालू कचरा प्रसंस्करण केंद्र पहुंचकर जब पत्रिका ने पड़ताल की तो पूरी हकीकत सामने आ गई। नगरपालिका के सर्वेक्षण संबंधी रेकॉर्ड में कचरा प्रसंस्करण केंद्र का संचालन बताया जा रहा है, लेकिन जब लाडऩबाग पहुंचकर हकीकत देखी गई तो संचालन तो छोडि़ए, यहां के हालात ऐसे दिखे कि वर्षों से यहां कोई आया ही नहीं हो। पूरे प्लांट पर घास उग आई है, यहां पहुंचने मार्ग भी अब नजर नहीं आता। यहां देखकर ऐसा लगता है कि जैसे वर्षों से यहां कोई आया तक नहीं हो। इतना ही नहीं केंद्र की बाउंड्रीवॉल, मुख्य गेट सहित अन्य निर्माण भी यहां लोगों ने तोड़ दिए हैं।
फोटोग्राफी के लिए तैयार फिल्मी सेट की तरह आया नजर
पत्रिका ने कचरा प्रसंस्करण केंद्र पर देखा कि यहां सब कुछ बंद था। कोई भी कर्मचारी यहां देखरेख तक के लिए नहीं था। शहर से दूर यह किसी फिल्मी सेट की तरह नजर आ रहा था। जैसे कचरा प्रसंस्करण केंद्र का फिल्मी सूट होने के बाद इसे ऐसे ही निर्देशक ने छोड़ दिया हो और चला गया हो। यहां फोटोग्राफी के लिए बकायदा हर एक सुविधा और प्रसंस्करण केंद्र के बोर्ड लगे हुए थे। कुछ बोर्ड तो इस तरह पास-पास लगे थे कि आम आदमी देखकर ही डर जाए कि कहीं वह कब्रस्तान में तो नहीं आ गया। केंद्र को घूमने के बाद यहां एक ही चीज देखने मिली कि इसका उपयोग सिर्फ सर्वेक्षण टीम की आंखों में धूल झोंकने के लिए यानि फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी के लिए किया जाता है। इसके अलावा यहां किसी तरह का काम नहीं होता है।
यहां तक पहुंचने के रास्ते भी खोदे
पत्रिका ने कचरा प्रसंस्करण केंद्र तक पहुंचने के लिए आम रास्ते का उपयोग किया। जो कि बायपास से निकले हाइवे से पहाड़ की ओर है। यहां से हम कचरा फेकने वाली जगह तक तो पहुंच गए, लेकिन आगे जाने के लिए रास्ता ही नजर आया। दरअसल, नगरपालिका या अन्य ने यहां से आगे यानि कचरा प्रसंस्करण केंद्र तक पहुंचने वाले रास्ते के बीच में बड़ी-बड़ी नालियां खोद दी हैं। जिससे आगे कोई जा ही नहीं सके। जबकि बीच में कचरे के बड़े-बड़े ढेर लग गए हैं। इसके बाद हम किल्लाई गांव से दूसरे रास्ते से होकर कचरा प्रसंस्करण केंद्र तक पहुंचे। जहां वीरानी ही देखने मिली।
वर्शन
कचरा प्रसंस्करण केंद्र चालू नहीं है, इसकी जानकारी मुझे लगी है। इसके नंबर सर्वेक्षण में मिले थे, उस समय चालू किया गया था। कुछ कमियां है, इस संबंध में उपयंत्री से जवाब लेकर बात करता हूं।
राजेंद्र सिंह लोधी, सीएमओ नगरपालिका दमोह
Published on:
14 Oct 2025 10:37 am
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