Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दमोह में महात्मा गांधी: लोगों ने गुरुद्वारा में ही स्थापित करा दी गांधी की मूर्ति

बजरिया वार्ड में स्थित गुरुद्वारा में जब भी कोई गुरुग्रंथ साहिब के दर्शन के लिए पहुंचता है, तो पहले उन्हें महात्मा गांधी के स्टेच्यू के दर्शन होता है

2 min read

दमोह

image

Samved Jain

Oct 14, 2025

Mahatma Gandhi in Damoh

Mahatma Gandhi in Damoh

दमोह. स्वच्छता, नशामुक्ति और जातपात से दूर उनके उपदेश आज भी लोगों के दिलों में हैं। दमोह में जिस बस्ती में गांधी आए थे, वहां के लोगों के दिल में वह महात्मा की तरह बस गए। यही वजह थी कि गांधी ने जिस गुरुद्वारा की स्थापना की, उसी गुरुद्वारे में लोगों ने गांधीजी की प्रतिमा भी स्थापित कर दी है। तब से लगातार बजरिया वार्ड में स्थित गुरुद्वारा में जब भी कोई गुरुग्रंथ साहिब के दर्शन के लिए पहुंचता है, तो पहले उन्हें महात्मा गांधी के स्टेच्यू के दर्शन होता है।
दरअसल, 1933 में दमोह पहुंचे महात्मा गांधी ने न सिर्फ नशा और गलत आचरण के विरुद्ध अलख जगाई, बल्कि समाज सुधार के लिए धर्म स्थल की स्थापना भी की थी। गांधी दमोह के हरिजन वार्ड में गुरुद्वारा की स्थापना करके गए थे, जो अब भी यहां बना हुआ है। महात्मा गांधी मध्यप्रदेश के दमोह में भी 2 दिसंबर 1933 को आए थे। बताते है कि महात्मा गांधी सागर के अनंतपुरा बलेह होते हुए दमोह पहुंचे थे, जिनका व्यापारियों ने मोरगंज गल्ला मंडी में जोरदार स्वागत किया था। वह भी साथ हो लिए और महात्मा गांधी के आह्वान पर वह भी उनके आंदोलनों की राह पर चल पड़े।
उस दौरान मोरगंज गल्ला मंडी में व्यापारियों द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें अपार भीड़ मौजूद थी। इस दौरान यहां एक गुरुद्वारे की नींव भी रखी थी। साथ ही उन्होंने संदेश दिया था कि आप लोग शराब छोड़ दें, उसके बाद वार्ड के लोगों ने भी प्रण लिया और उसके बाद शराब छोड़ दी।
इस बस्ती में सभी लोग गुरु नानक देव के बताए मार्ग कर्म करो, जप करो और दान करो के मूल वाक्य को अपनाए हुए हैं। यहां रहने वाले युवा प्रांशुल बताते हैं कि उनके परिजन बताते है कि जब महात्मा गांधी आए और उन्होंने लोगों को नशा मुक्त करते हुए एक धर्म की राह पर चलने को कहा। उस दौरान हरिजन वार्ड के लोग गुरुनानक देव के सिद्दांतों को मानते थे, जिसके कारण महात्मा गांधी ने स्वयं अपने हाथों से गुरुद्वारा की नींव रखी। जहां पूरे प्रदेश में सबसे बड़े गुरुग्रंथ साहिब स्थापित है।
इस गुरुद्वारा से जुड़े बृजेश बृज बताते हैं कि उनके बुजुर्गों की विरासत को बाल्मिकी समाज के लोग संभाले हुए हैं और गुरुवाणी पढऩा इस वार्ड के बच्चे भी जानते हैं। यहां के लोगों को अभी भी लगता है कि महात्मा गांधी की आत्मा यदि कहीं बसती है तो वह दमोह के इसी गुरुद्वारे में ही बसी हुई है। यही कारण है कि गुरुद्वारा के प्रवेश में ही गांधी जी का स्टेच्यू भी बनाया गया है।


दुर्गा पंडालों गरबा रहे बच्चे, विसर्जन आज
मगरोन. गांव की समस्त नवदुर्गा उत्सव समितिों में रात्रि में बच्चियों के द्वारा गर्भारणतया का कार्यक्रम किया जाता है। एक से एक देवी गीतों पर बच्चियों के द्वारा प्रस्तुत की गई। जिससे सभी भक्तों की भीड़ भाड़ दिखाई दी। सभी ने मां के दरबार में पहुंचकर मां का आशीर्वाद लिया। सभी बच्चों के नृत्य का आनंद लिया। गुरुवार को बड़े धूमधाम के साथ रावण दहन कार्यक्रम होगा। राम लक्ष्मण सहित सभी ग्रामवासी अपने-अपने दरवाजे पर लाइट की व्यवस्था एवं साफ सफाई की व्यवस्था रखेंगे। बच्चों के द्वारा गरबा नृत्य किया जाएगा। साथ ही मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।