तहसील के अंतर्गत ग्राम सिंग्रामपुर में लगभग पांच दशक पहले निर्मित रेगुलेटर डेम और नहरें अब पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। कभी यह डेम और नहरें सिंग्रामपुर, सहसना, धनेटा और पिपरिया सहित चार गांवों की लगभग 1000 एकड़ भूमि को सिंचाई उपलब्ध कराती थीं, लेकिन वर्षों से रखरखाव की कमी और स्थानीय अतिक्रमण के कारण नहरें और डेम जमींदोज हो गए हैं और खेतों तक पानी पहुंचाना मुश्किल हो गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2008 तक इस डेम और नहर से खरीफ फसलों की सिंचाई होती थी और भू-जलस्तर केवल 100 फीट पर उपलब्ध था। वर्तमान में जलस्तर गिरकर लगभग 400 फीट तक पहुंच गया है और इस कारण ग्रामीण और किसान आठ माह तक जल संकट झेलने को मजबूर हैं। किसानों की फसलें सिंचाई के अभाव में संकट में हैं और आमजन भी पीने के पानी के लिए परेशान हैं।
2 अक्टूबर को ग्रामीण और किसान सिंग्रामपुर पहुंचे और दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर को ज्ञापन सौंपकर रेगुलेटर डेम और नहरों के पुनर्निर्माण की मांग की। इस अवसर पर राज्य मंत्री और जबेरा विधायक धर्मेंद्र सह लोधी को भी ज्ञापन दिया गया, जिस पर शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन मिला।
ज्ञापन के दूसरे ही दिन यानी 3 अक्टूबर को जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री, अनुविभागीय अधिकारी और उपयंत्री सिंग्रामपुर पहुंचे और पंच, ग्रामीणों व किसानों के साथ रेगुलेटर और नहर का निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि डेम मरम्मत योग्य है और नहर का प्रारंभिक हिस्सा सड़क किनारे अतिक्रमण के कारण बंद है, जबकि इसके बाद की लगभग 1 किलोमीटर नहर समतल स्थिति में है और अतिक्रमण मुक्त है। निरीक्षण के बाद पंचनामा तैयार किया गया, जिसमें नहर और डेम की वर्तमान स्थिति और मरम्मत योग्य हिस्सों का विवरण दर्ज किया गया।
ग्रामीणों ने अधिकारियों से कहा कि यदि डेम और नहर का पुनर्निर्माण किया जाए तो खरीफ सीजन में 1000 एकड़ भूमि सिंचाई योग्य हो जाएगी और भू-जलस्तर में सुधार होगा। उन्होंने भरोसा दिया कि यदि विभाग कार्य शुरू करता है तो सभी ग्रामीण पूरी सहयोगी भूमिका निभाएंगे। यह पहली बार नहीं है जब ग्रामीणों ने आवाज उठाई है। राष्ट्रपति के आगमन प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक और राज्यपाल के दौरे से पहले भी ज्ञापन सौंपे गए थे और आश्वासन मिला था, लेकिन समस्या जस की तस है। अब एक बार फिर राज्यपाल दौरे के पहले ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर अपनी मांग दोहराई है और उनकी निगाहें प्रशासन की ठोस कार्रवाई पर टिकी हैं, ताकि वर्षों से उपेक्षित यह डेम और नहरें एक बार फिर जीवनदायिनी साबित हो सकें।
Published on:
14 Oct 2025 10:44 am
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