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यूरिया की डिमांड 10 हजार एमटी, इस बार खपत हुई दोगुनी, नतीजा केंद्रों पर बड़ी भीड़

एक्सक्लूसिव- खरीफ फसलों में यूरिया की जरूरत होती है कम, मक्का की बोवनी बढऩे से तीन गुनी बढ़ी जरूरत

2 min read

दमोह

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Samved Jain

Sep 08, 2025

Chhattisgarh Khad



दमोह. मौजूदा समय में यूरिया के लिए वितरण केंद्रों पर मारामारी देखने मिल रही है। हर सेंटर पर किसान सैकड़ों की संख्या में पहुंच रहे हैं, लेकिन कम को ही खाद मिल पा रही है। पत्रिका ने जब मामले में पड़ताल की तो पता चलता है कि इस बार यूरिया की खपत दोगुनी हो गई है। बीते साल खरीफ में जहां १० हजार एमटी यूरिया लगा था, इस बार अब तक १५ हजार एमटी बंट चुका है, जबकि ५ हजार एमटी की और जरूरत समझ आती है।
कृषि विभाग, किसान और बाजार से जब यूरिया की खपत बढऩे का सर्वे किया गया तो स्पष्ट हुआ कि खरीफ में फसलों का बदलना इसका मुख्य कारण है। दूसरा कारण अच्छी बारिश भी है। दरअसल, खरीफ की प्रमुख फसलें सोयाबीन और उड़द में यूरिया न के बराबर ही लगता है, जो कि बीते वर्ष की प्रमुख फसलें थीं, लेकिन इस बार १ लाख हेक्टेयर से अधिक में किसानों ने मक्का की बोवनी की है। जिससे सोयाबीन और उड़द की फसल में ४० प्रतिशत तक कमी आई है।
कृषि विभाग के अनुसार जहां सोयाबीन और उड़द में न के बराबर यूरिया लगता है, वहीं मक्का में तीन बार यूरिया देना होता है। ऐसे में किसानों को यूरिया की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ रही है। मौजूदा समय में जिले भर के खेतों में मक्का की फसल आने को हैं, ऐसे में किसान इसमें आखिरी यूरिया देने की स्थिति है। इसीलिए, यूरिया के लिए मारामारी देखने मिल रही है।

  • किसान रबी की भी करने लगे एडवांस तैयारीकिसान हल्केलाल, प्रीतम सिंह, राजेंद्र पटेल ने बताया कि खाद की मारामारी हमेशा बनी रहती है। ऐसे में खरीफ के उतरते समय में ही खाद को एकत्र करना समझदारी है। बीते साल में इस समय आसानी से यूरिया और डीएपी मिल जाती थी, इसीलिए लेने पहुंच रहे हैं, लेकिन इस बार केंद्रों पर अधिक भीड़ है। जिसका कारण मक्का है। किसानों के अनुसार खाद कम मिलने से इसका ज्यादा फर्क बड़े किसानों को पड़ा है। छोटे किसान कम में ही काम चला रहे हैं।यह भी जानना जरूरी
  • १ अप्रेल से ३० सितंबर तक रहता है खरीफ फसल का सीजन।
  • १ अक्टूबर से शुरू होता है रबी का सीजन।
  • सितंबर में खाद की एडवांस खरीदी भी करते हैं किसान।
  • डीएपी किसी भी जगह नहीं उपलब्ध, एनपीके ९०० मीट्रिक टन और टीएसपी ३८५ मीट्रिक टन
  • २ सितंबर की स्थिति में उपलब्ध यूरियादमोह २५९पथरिया १०५हटा १४०जबेरा १७६तेंदूखेड़ा १६३

-रबी २०२५-२६ के लिए उर्वरकों की मांग
यूरिया -२६५००
डीएपी- १३०००
सुपर फास्फेट - २८००
एमओपी - ४३५
एनपीकेएस- ११०००
कुल- ५३७३५ (सभी की मात्रा मीट्रिक टन में)

वर्शन
यह बात सही है कि मक्का और अच्छी बारिश की वजह से यूरिया की डिमांड इस बार अधिक है। अभी तक लक्ष्य से ५० अधिक यूरिया हम बांट चुके हैं, इसके बाद भी डिमांड जारी है। खरीफ में बीते साल १० हजार एमटी यूरिया की भी डिमांड नहीं थी।
इंद्रपाल सिंह राजपूत, डीएमओ विपणन दमोह