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दमोह की शिक्षक शीला पटेल को मिला राष्ट्रपति पुरस्कार

विद्यार्थी के स्तर पर जाकर पढ़ाना बड़ी कला, बच्चों की मैम नहीं कहलाती हैं शीला दीदी,बीते साल राज्यपाल से पुरस्कृत, शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से राष्ट्रपति से होंगी सम्मानित

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दमोह

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Samved Jain

Sep 08, 2025

बीते साल राज्यपाल से पुरस्कृत, शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से राष्ट्रपति से होंगी सम्मानित

बीते साल राज्यपाल से पुरस्कृत, शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से राष्ट्रपति से होंगी सम्मानित


दमोह. वो बच्चों के साथ खेलती है। उनके जैसे बात करती हैं। उनके साथ पढऩे, लंच करने बैठ जाती हैं और इसी दौरान बच्चों को तक वह पहुंचा देती हैं, जो बच्चे ग्रहण करना चाहते हैं। विद्यार्थी के स्तर तक जाकर पढ़ाने की इस कला ने शीला पटेल को बच्चों की मैम नहीं शीला दीदी बना दिया है। उनकी दूसरी विशेषता नवाचार को प्रयोगात्मक रूप से सफलता तक ले जाना है। उसके लिए वह न तो मौसम देखती हैं और न समय। अपने अनोखे परफॉर्म के दम पर शिक्षक शीला पटेल २०२४ में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान से पुरस्कृत हो चुकी हैं और अब २०२५ में वह राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से पुरस्कृत होंगी। इसके लिए वह दिल्ली जा चुकी हैं।

  • बच्चों के साथ बच्चे की तरह रहती है शीलापथरिया ब्लॉक के देवरान टपरिया प्राथमिक शाला में प्राथमिक शिक्षका शीला पटेल का कार्य करने का तरीका शुरू से अलग ही है। उनके वीडियो देखकर अधिकारी भी हैरान रह जाते हैं। शीला बच्चों को एक शिक्षका के रूप में अध्ययन नहीं कराती हैं, बल्कि उनके अंदाज ही कुछ अलग होते हैं। वह नवाचार तो करती हैं, लेकिन उसमें भी अनेक प्रयोग करती हैं। बच्चों के साथ बच्चे की तरह रहकर पढ़ाना उनकी प्रमुख कला है। इसीलिए, बच्चे उन्हें शीला दीदी कहकर पुकारते हैं।
  • एक ही लक्ष्य, मेरे बच्चे बेस्ट कैसे बनेशिक्षका शीला पटेल कहती है मेरा एक ही लक्ष्य रहता है कि मेरे बच्चे बेस्ट कैसे बनें? इसके लिए में हर समय मेहनत करती हूं। स्कूल जाने से आने तक सिर्फ बच्चों पर ही फोकस रहता हैं। एक-एक बच्चा कैसे बढ़त कर सकता हैं। कमजोर बच्चा है तो उसे कैसे पढ़ा सकते हैं। मैदानी स्तर पर बच्चों से जुडऩा होता हैं, उनकी टोन में बोलना पड़ता है। उनके अंदर के भाव को समझना होता है, तब हम उन्हें समझा पाते है, पढ़ा पाते हैं। मेरे स्कूल के बच्चों को स्कूल लाना नहीं पड़ता है, वह स्वयं की आते हैं।
  • अभिभावकों को भी किया कनेक्टशिक्षका शीला पटेल ने बताया कि बच्चों को तैयार करने के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी कनेक्ट करना होता है, तब जाकर एक कड़ी बन पाती है। बच्चों के प्रति आत्मीय भाव, उनकी रुचि के अनुसार पढ़ाई कराना, खेल-खेल में बच्चों को शिक्षित करना, नवाचार में ऐसे तरीकों को खोजना जिससे बच्चे स्कूल आने तत्पर रहें। स्कूल में स्वच्छता, देशभक्ति और आपसी सदभाव के गुण बच्चों में लाना उनका पहला मकसद रहा। इसी पैटर्न पर काफी समय से पढ़ाई कराते आ रही हैं। बच्चों और अभिभावकों का भी काफी सपोर्ट रहा है।
  • जिज्ञासु और हैरान करने वाली शिक्षका है शीलापुरस्कार प्रभारी अनिल जैन ने बताया कि प्राथमिक शिक्षका शीला पटेल का पढ़ाने का तरीका औरों से अलग है। बच्चों को समझने की विशेष प्रतिभा है। एक प्रकरण के बारे में उन्होंने बताया कि कक्षा में अध्ययनरत एक बच्चे के अभिभावकों ने बच्चे कुछ समय के लिए बाहर ले जाने के लिए कहा तो बच्चों ने जाने से मना कर दिया था। बच्चे का कहना था कि वह दीदी के साथ रहेगा और स्कूल में पढ़ेगा, क्योंकि इससे उसे मजदूरी नहीं करना होगा। दरअसल, उसके माता-पिता दिल्ली मजदूरी करने जा रहे थे। इस तरह के भाव बच्चों में उत्पन्न करने में भी शीला पटेल का विशेष योगदान रहा।