दमोह/ नोहटा. पांच साल पहले मथुरा वृंदावन में परिवार के साथ से गुम हुआ युवक जब अचानक से घर पहुंचा तो परिजन भी विश्वास नहीं कर सके। वापसी की उम्मीद छोड़ चुके परिजनों ने जैसे ही बेटे को देखा, उनकी आंखों में आंसू आए। यह कहानी थोड़ी फिल्मी जरूर है, लेकिन यह सब संभव हो सका है, एक समाजसेवी संस्था के कारण, जिसे चैन्नई में सड़कों पर बसर करते हुए २०२१ में युवक राजू मिला था। मानसिक रोगी राजू उस समय खुद का नाम, पता और कुछ भी बताने में सक्षम नहीं था। ऐसे में चैन्नई की श्रद्धा फाउंडेशन ने राजू को सड़क से उठाकर सहारा दिया। उपचार के लिए मुंबई भेजा और उसकी देखरेख भी की। इन ५ सालों में राजू की मानसिक स्थिति में सुधार हुआ और उसने अपना नाम, पता और थोड़ा बहुत जो याद आया, बताना शुरू किया। जिस पर संस्था ने बिना देर किए उसे, उसके घर तक पहुंचाने का जिम्मा भी उठाया। संस्था की ओर से राजेश कुमार मौर्या मुंबई से राजू लोधी को लेकर नोहटा पहुंचे। राजू ने अपना पता नोहटा ही बताया था। नोहटा में मौर्या ने उसकी बताई लोकेशन पर सर्च किया, लेकिन वह गलत निकली। चार से पांच जगहों पर पता करने के बाद भी जब सही लोकेशन नहीं मिली तो मौर्या राजू को लेकर नोहटा पुलिस थाने पहुंचे। जहां से उसके घर की तलाश के नए प्रयास शुरू हुए। सोशल मीडिया और ग्रुपों पर राजू की फोटो डालकर पता लगाने का प्रयास किया गया, जहां से कप्तान सिंह लोधी व अन्य ने उसे पहचान लिया। कुछ ही देर में राजू लोधी की पहचान ग्राम पंचायत नोहटा के ग्राम गाड़ाघाट निवासी के रूप में हुई। इसके बाद संस्था कर्मचारी उसे लेकर उसके गांव पहुंचे। जहां परिजनों ने राजू को देख खुशी जाहिर की। इस दौरान गांव के लोगों ने संस्था कर्मचारी का भी स्वागत किया।
राजू के घर लौटते ही परिवार की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। गाड़ाघाट निवासी देशराज लोधी ने भावुक होकर संस्था का आभार माना। कप्तान सिंह लोधी ने श्रद्धा फाउंडेशन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे क्षेत्र का लड़का पांच वर्षों से लापता था। संस्था ने उसका नि:शुल्क इलाज किया और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद घर तक पहुंचाया।
राजू लोधी के परिवार की बात करें तो परिवार में कुल 7 सदस्य हैं। परिजनों ने बताया कि राजू लोधी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। वह स्वयं को पहचानने की हालत में नहीं थे और शहर की गलियों में भटककर जो मिलता उसी से जीवन यापन कर रहे थे। हम सभी काम करने २०२१ में मथुरा वृंदावन गए थे, जहां राजू बिछड़ गया था। काफी प्रयास के बाद भी नहीं मिला था, जिसकी गुमइंसान रिपोर्ट भी वहां दर्ज है। संस्था ने आगे भी राजू लोधी के उपचार की जिम्मेदारी उठाते हुए यह भरोसा दिलाया है कि आने वाले दो वर्षों तक उनकी दवाओं का खर्च नि:शुल्क उठाया जाएगा और दवाएं घर तक पहुंचाई जाएगी।
Published on:
14 Oct 2025 11:02 am
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