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छतरपुर का वुडन फर्नीचर क्लस्टर: जमीन मिली, लेकिन योजना छह साल से अटकी, 1200 युवाओं के रोजगार के सपने अधर में

योजना का उद्देश्य जिले के लकड़ी कारीगरों, छोटे उद्योगपतियों और फर्नीचर कारोबारियों को एक मंच पर लाकर संगठित उद्योग के रूप में स्थापित करना था।

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jila udhyog avam byapar kendra

जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र

मध्य प्रदेश सरकार की वर्ष 2019 में शुरू की गई महत्वाकांक्षी योजना एक जिला एक उत्पाद के तहत छतरपुर जिले को वुडन फर्नीचर क्लस्टर के रूप में विकसित करने की योजना बनी थी। इस योजना का उद्देश्य जिले के लकड़ी कारीगरों, छोटे उद्योगपतियों और फर्नीचर कारोबारियों को एक मंच पर लाकर संगठित उद्योग के रूप में स्थापित करना था। लक्ष्य था कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलें और छतरपुर पूरे देश में फर्नीचर उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बन सके। लेकिन छह वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी यह योजना सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है और जमीन मिलने के बावजूद इसका कार्यान्वयन ठप पड़ा हुआ है।

जमीन का लंबा सफर और बार-बार बदलाव

शुरुआत में जिला प्रशासन ने नारायणपुरा रोड पर 73 एकड़ जमीन चिन्हित की थी। मार्च 2021 में तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने इस भूमि को क्लस्टर के लिए आरक्षित कर दिया। इसके बाद एमएसएमई मंत्रालय की ओर से सामान्य सुविधा केंद्र का प्रस्ताव तैयार किया गया और 2020 से 2021 तक लगातार कई उच्च स्तरीय बैठकें हुईं, जिसमें उद्योग मंत्री, सांसद, जिला प्रशासन और 100 से अधिक फर्नीचर कारोबारी शामिल हुए। लेकिन जमीन का निरीक्षण करने पर व्यापारियों ने नारायणपुरा रोड की भूमि उद्योग के लिए अनुपयुक्त बताई। इसके बाद प्रशासन ने नया स्थान खोजा और अंतत: धामची गांव में 43 एकड़ जमीन चिन्हित की। यह जगह फोरलेन हाईवे से मात्र 300 मीटर की दूरी पर स्थित है और लॉजिस्टिक व परिवहन के लिहाज से काफी सुविधाजनक मानी जा रही है। राजस्व विभाग ने सीमांकन कर इसे उद्योग विभाग को सौंप दिया।

सर्वे और नक्शा तैयार न होना, क्लस्टर थमा

जमीन मिलने के बावजूद उद्योग विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली ने योजना को ठप कर दिया। अब तक न तो विस्तृत सर्वे हुआ और न भूखंडों का नक्शा तैयार किया गया। क्लस्टर में कितने प्लॉट होंगे, किस जगह फैक्ट्री लगेगी और कहाँ कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनेगा, इस पर कोई ठोस योजना नहीं बनी।

रोजगार की उम्मीदें अधर में

फर्नीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्मण विश्वकर्मा का कहना है, वुडन क्लस्टर से 1200 से अधिक युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद थी। कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनने से छोटे कारीगरों को आधुनिक मशीनों और तकनीक की सुविधा मिलती। उनकी आय बढ़ती और छतरपुर देश के बड़े फर्नीचर हब में शुमार होता। लेकिन अब यह सपना अधर में लटका है। वे बताते हैं, अभी कारीगर अपने वर्कशॉप में सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहे हैं। न मशीनें हैं न सरकारी मदद। यदि क्लस्टर शुरू होता, तो टैक्स रियायतें, ई-मार्केटिंग और राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन का अवसर मिलता।

विभागीय सुस्ती और भ्रष्टाचार का असर

जिले के औद्योगिक क्षेत्र चंद्रपुरा में प्लॉट आवंटन में गड़बड़ी सामने आने के बाद उद्योग विभाग के जीएम और प्रभारी को निलंबित किया गया। इसके बाद विभाग में हलचल तो आई, लेकिन वुडन क्लस्टर की प्रक्रिया अब भी धीमी है। जानकारों का कहना है कि विभागीय प्राथमिकताएं बदल गई हैं और क्लस्टर को बैकफुट पर रखा गया है।

कितने सपनों पर विराम?

2019 से अब तक सात उच्चस्तरीय बैठकें, 100 से अधिक व्यापारियों की रुचि, दो बार जमीन का चयन और फिर भी कोई ठोस प्रगति नहीं। यह न केवल कारीगरों की उम्मीदों को ठेस पहुंचा रहा है, बल्कि एक जिला एक उत्पाद जैसी महत्वाकांक्षी योजना की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। धामची गांव की 43 एकड़ जमीन आज भी खाली पड़ी है। फोरलेन से नजदीक होने के बावजूद उद्योग का कोई ठोस नक्शा तैयार नहीं हुआ। कारीगर अब भी असंगठित स्थिति में हैं और युवाओं के रोजगार के सपने अधर में हैं। अब यह देखना बाकी है कि उद्योग विभाग और राज्य सरकार इस योजना को गति दे पाएंगे या यह भी कागजों पर दर्ज एक और असफल परियोजना बनकर रह जाएगी।

फैक्ट फाइल

- 2019 में शुरू हुई एक जिला एक उत्पाद योजना में वुडन फर्नीचर क्लस्टर शामिल।

- नारायणपुरा रोड (73 एकड़) और धामची गांव (43 एकड़) भूमि चिन्हित।

- भूमि मिलने के बावजूद सर्वे, नक्शा और प्लॉट योजना नहीं बनी।

- 1200 युवाओं को रोजगार मिलने का सपना अधर में।

- विभागीय सुस्ती और भ्रष्टाचार ने प्रगति को रोक दिया।

- अब भविष्य इस बात पर टिका है कि क्या योजना को फिर से गति दी जाएगी।


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