
खाद्य एंव नागरिक आपूर्ति विभाग छतरपुर
छतरपुर. गरीबों के हिस्से का अनाज लूटने वाले रईसों की पोल खुल गई है। आयकर और जीएसटी विभाग की जांच में सामने आया है कि जिले में दो लाख से अधिक संपन्न परिवार बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) सूची में फर्जी तरीके से शामिल होकर मुफ्त राशन और सरकारी सुविधाएं ले रहे हैं। इस खुलासे के बाद जिला आपूर्ति कार्यालय ने एक्शन मोड अपनाया है। अब तक एक हजार अपात्र उपभोक्ताओं ने अपनी पात्रता पर्ची सरेंडर कर दी है। यह बड़ा फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब आयकर और जीएसटी विभाग ने जिला आपूर्ति कार्यालय को इनपुट भेजा कि कई बीपीएल कार्डधारकों की वार्षिक आय छह लाख रुपए से अधिक है और उनमें से कई कारोबारी, सरकारी कर्मचारी और फर्म संचालक हैं।
आयकर विभाग ने ऐसे 1790 परिवारों की सूची जिला आपूर्ति विभाग को भेजी है जिनकी आय छह लाख रुपए से अधिक है। इनमें से 25 परिवार ऐसे हैं जिनका सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपए से ज्यादा है। ये सभी व्यापारी, फर्म संचालक या कंपनी डायरेक्टर हैं। इतना ही नहीं, जिले में 378 कंपनियों के डायरेक्टर भी बीपीएल सूची में शामिल पाए गए हैं, जबकि उनके खातों में लाखों रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है। आपूर्ति विभाग ने सभी संदिग्धों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। नोटिस मिलते ही कई लखपति बैकफुट पर आ गए और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए उन्होंने बीपीएल पात्रता पर्ची सरेंडर कर दी।कानूनी शिकंजे से बचने के लिए सरेंडर
सालों से बीपीएल कार्ड के जरिये न सिर्फ मुफ्त राशन, बल्कि आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज जैसी सुविधाएं भी ले रहे थे। अब जब जांच में आयकर और जीएसटी का डेटा सामने आया, तो कई लोगों ने खुद ही अपनी पात्रता सरेंडर करने की सहमति दी। हालांकि अब तक किसी भी रसूखदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। जानकार बताते हैं कि विभागीय कार्रवाई अभी प्राथमिक स्तर पर चल रही है और सरकार के निर्देशों के अनुसार ही अगली कार्यवाही होगी।
जिला आपूर्ति अधिकारी सीताराम कोठारे ने बताया आयकर और जीएसटी के इनपुट के आधार पर 6 लाख रुपए से अधिक आय वाले एक हजार से अधिक बीपीएल उपभोक्ताओं की पात्रता बंद कर दी गई है। अपात्र उपभोक्ताओं के नोटिस का जवाब मिलने के साथ लगातार कार्रवाई जारी है।
छतरपुर जिले में आयकर विभाग के अनुसार करीब 2 लाख ऐसे उपभोक्ता हैं जो वास्तविक रूप से गरीब नहीं हैं, लेकिन बीपीएल सूची में शामिल होकर हर महीने सस्ते राशन का लाभ ले रहे हैं। कई फर्मों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों से जुड़े लोग वर्षों से इस योजना का अनुचित लाभ उठा रहे हैं।
राज्य सरकार ने सभी जिलों में बीपीएल सूची की पुन: जांच के आदेश दिए हैं। आयकर और जीएसटी विभाग से मिली जानकारी के आधार पर अब पात्रता सूची का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। इसके तहत ऐसे सभी लोगों को हटाया जाएगा जिनकी आय निर्धारित सीमा से अधिक है या जिनके पास व्यापारिक फर्म, दुकान या कृषि भूमि है।
सूत्रों के अनुसार, जिले में फर्जी बीपीएल कार्डधारकों के कारण सरकार को हर महीने लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। एक औसत बीपीएल कार्ड पर परिवार को 35 किलो अनाज दिया जाता है। यदि 2 लाख अपात्र लोग इसका लाभ ले रहे हैं, तो यह करीब 70 लाख किलो अनाज प्रतिमाह का दुरुपयोग है। सालाना यह आंकड़ा करोड़ों में पहुंचता है। प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि पात्रता पर्ची सरेंडर करने के बाद भी जांच जारी रहेगी। यदि किसी ने जानबूझकर फर्जी दस्तावेज देकर बीपीएल सूची में नाम शामिल कराया है, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
27 Oct 2025 10:44 am
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