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कई परिवारों पर टूटा कहर: बच्चों के सिर से छिन गया पिता का साया, सूना हो गया मां का आंचल

हादसे की खबर सुनते ही उनकी मां और छोटे बच्चे पापा के लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन मेगा हाईवे पर वह इंतजार अधूरा रह गया। उनके शव सैंपल जांच के बाद घर लाए जाएंगे।

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Photo: Patrika

पुलिस थाना क्षेत्र के सड़ा सरहद पर बुधवार रात हुई भीषण सड़क दुर्घटना ने चार परिवारों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। मोहनसिंह राजपूत, संभूसिंह, प्रकाश मेघवाल और पांचाराम देवासी-चार घनिष्ठ मित्र-एक पल में लपटों में समा गए। उनके साथ मौजूद दिलीपसिंह गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में जीवन संघर्ष कर रहे हैं। यह हादसा केवल चार दोस्तों की मौत की नहीं बल्कि उनके पीछे छोड़े गए परिवारों और बच्चों की त्रासदी की कहानी है।

छोटे बच्चे पापा का और मां बेटे का कर रही इंतजार

मोहनसिंह राजपूत (32) दो छोटे बच्चों के पिता थे- एक की उम्र 7 वर्ष और दूसरे की 4 वर्ष। छह साल पहले पिता के निधन के बाद मां उनके साथ रहती थी। मोहनसिंह दो भाई हैं, जिनमें से बड़ा भाई अलग रहता है। हादसे ने परिवार पर दोहरी त्रासदी डाली, क्योंकि मोहनसिंह और संभूसिंह दोनों काका बेटा भाई थे।

हादसे की खबर सुनते ही उनकी मां और छोटे बच्चे पापा के लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन मेगा हाईवे पर वह इंतजार अधूरा रह गया। उनके शव सैंपल जांच के बाद घर लाए जाएंगे। हादसे की जानकारी सुनकर परिवार रो-रोकर बुरे हाल में है। मोहनसिंह राजपूत का बड़ा भाई बबसिंह के ऊपर अब मां के साथ-साथ भाई के परिवार की जिमेदारी आ गई है।

शादी का सपना रह गया अधूरा

पांचाराम देवासी (24) पहले दिल्ली में ऑटो पार्ट्स का व्यवसाय करते थे। उनकी सगाई हो चुकी थी और कुछ ही दिनों में शादी होने वाली थी। परिवार खेती-बाड़ी पर निर्भर था। पिता लुबाराम (50) और माता मोहिनी देवी दोनों पशुपालन का कार्य करते हैं। हादसे ने उनकी जीवन की खुशियों को बीच में ही रोक दिया। पांचाराम के बड़े भाई बांकाराम पर अब माता-पिता की जिमेदारी आ गई है।

एक साथ मेरे गांव के चार परिवार उजड़ गए

डाभड ग्राम पंचायत के सरपंच पांचाराम विश्नोई ने बताया कि यह चारों परिवार सीधे-साधे, मेहनती किसान थे। मेरी एक ही पंचायत से चार खुशियों के दीप बुझ गए। हादसे की खबर से पूरा गांव स्तब्ध है। गांव में मातम पसरा है, हर घर में सन्नाटा है और हर आंख नम है। छोटे बच्चों ने अपने पिता की राह देखना छोड़ दी है और माता-पिता की आशाएं अधूरी रह गई हैं। भगवान किसी के साथ ऐसी त्रासदी न करें।

संभूसिंह (21) दो भाइयों में बड़ा था। छोटा भाई महेंद्र सिंह पढ़ाई कर रहा है। पिता दीप सिंह (52) खेती-बाड़ी करते हैं, जबकि माता गृहिणी हैं। संभूसिंह परिवार का भरोसेमंद पुत्र और छोटे भाई की पढ़ाई का सहारा था। अब उसके चले जाने से परिवार की चिंता दोगुनी हो गई है। खेती-बाड़ी पर निर्भर परिवार की हादसे ने नींव हिला दी है। अब माता-पिता की सेवा और खुद की पढ़ाई की जिमेदारी महेंद्र सिंह पर आ गई है। दोनों भाई अभी तक पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन दोस्तों के संग हादसे में संभूसिंह की जान चली गई।

एक पुत्र की पहले मौत, दूसरे का लगा सदमा

प्रकाश मेघवाल (23) अपने पिता चापाराम के छह पुत्रों में से एक थे। जिसमें एक बड़ा पुत्र दस साल पहले ही गुजर चुका था। प्रकाश के दो छोटे बच्चे एक 5 वर्ष और दूसरा एक वर्ष का है। अब उन्हें पिता की याद और खामोशी सहनी पड़ेगी। प्रकाश के माता-पिता और पत्नी की आंखों में केवल आंसू हैं। प्रकाश परिवार की आर्थिक और सामाजिक जिमेदारियों का भार संभालते थे, और उनका आकस्मिक निधन परिवार के लिए भारी सदमा है। अब चापाराम के घर में चार पुत्र हैं, जिनके ऊपर भाई के परिवार और माता-पिता को संभालने की जिमेदारी आ गई है।


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