
अहिर यादव और गोवारी समाज ने मनाई दिवाली
शहर के सरकारी बस स्टैंड स्थित खिलिया मुठिया मंदिर और कोसमी स्थित आखर मैदान में बुधवार को को जैसे ही गाय खेलने लगी, तो सभी सामाजिक बंधुओं में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी ने मंदिर प्रागंण और आखर मैदान में बनाए गोबर के गोवर्धन से गोबर उठाया और एक-दूसरे को तिलक लगाकर गले मिलकर बंधाईयां दी। आखर मैदान में भारी शोर-गुल और जनसमुदाय के बीच पारम्परिक रूप से गोवर्धन की पूजा अर्चना कर गाय खिलाई गई। इसके बाद गोवारा और अहीर समाज के लोगों ने शानदार अहीरी नृत्य प्रस्तुत किया।
गोवारी पूजा स्थल में गोवारा समाज के सभी मित्र-बंधुओं ने जोर शोर से तैयारी की थी। जिसमें शहनाई का जुलबंधी कार्यक्रम दोपहर मेें पेश किया गया। समाज के बुजुर्ग वर्ग ने गोवर्धन स्थल पर गाय खिलाने का कार्यक्रम विधि विधान से किया। आखर मैदान में गोबर से गोवर्धन पर्वत को फूलों से सजाया गया था। इससके बाद बाजार से गोवारी समाज के सदस्यों ने अनाज उघाई की। इसी अनाज से खिचड़ी बनाकर गौ माता को खिलाई गई।
गाय के बच्चे को गोवारी समाज के पूज्यनीय व्यक्ति ने छिपाकर रखा गया। गाय को बछड़ा न दिखने की वजह से वह अपना बछड़ा ढूंढने की कोशिश करने लगी। गाय को बिचकाने के लिए जोर-जोर से शहनाई बजाने लगे और डरा कर गाय के आमने सामने उसे हमरने के लिए मजबूर करने लगे। देखते ही देखते गाय आक्रोशित हो गई। गाय के बछड़े को गोवर्धन पर लेटा दिया गया और गाय अपने बछड़े के उपर से लांघ गई। बस फिर खुशियां की घड़ी में एक दूसरे को गोबर का तिलक लगाकर बंधाईयों का दौर शुरु हो गया।
अहीर समाज के नवीन यादव, गोरु, शंभू यादव, विक्की, राकेश सहित अन्य लोगों ने बताया कि आक्रोशित होकर जब गाय चिंघाडऩे लगी मानो ऐसा लगता है कि स्वयं ब्रजवासी गोवर्धन भगवान कृष्ण पूजा स्थल पर आशीर्वाद स्वरुप अपना सूक्ष्म रुप देकर चले जाते हैं। गोवर्धन पूजा व गाय खिलवान के बाद से गांव गांव मड़ई मेला का दौर शुरू हो जाता है। यहां पारंपरिक वेशभूषा में अहीर व गोवारी समाज के लोग नृत्य कर सनातन संस्कृति और ग्रामीण परंपरा का आभास कराते हैं।
Published on:
23 Oct 2025 04:32 pm
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