राम मंदिर सहित विभिन्न वार्डो में की गई मॉ करवा की सामुहिक पूजा विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के किए गए आयोजन
अखंड सौभाग्य का महापर्व करवाचौथ 10 अक्टूबर को जिला मुख्यालय सहित अन्य तहसील व ग्रामीण अंचलों में धार्मिक विधि विधान के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत धारण कर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय और भगवान गणेश सहित चंद्रमा की विशेष पूजा अर्चना की। इसके अलावा सुहागिन व्रतधारी महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया। जगह-जगह सामुहिक रूप माता करवा की कथा का वाचन कर मॉ करवा की विशेष आराधना की गई। रात को चंद्रोदय के बाद चलनी में चांद और अपने सुहाग के चेहरे का दीदार कर पति के हाथों जल ग्रहण कर महिलाओं व्रत खोला।
अखंड सौभाग्य के इस व्रत को लेकर नगर की महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए निर्जल व्रत धारण कर पूरे दिन विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए। शाम के वक्त सोलह श्रृंगार कर नगरके राम मंदिर सहित नगर के विभिन्न वार्डो में आयोजित सामूहिक धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया। उन्होंने माता करवा की कथा सामूहिक रूप से सुनकर मां करवा की सामूहिक आरती उतारी, वहीं सामूहिक रूप से पूजा पाठ में भाग लिया। इसके बाद देर शाम छलनी में चांद और पति का एक साथ दीदार कर पति के हाथों जल ग्रहण कर करवा चौथ का व्रत पूरा किया।
सुहागिन महिलाओं ने बताया की करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु और सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है। ताकि परिवार में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहे और पति की दीर्घायु हो। इसके अलावा उनके परिवार को हर मोड़ पर सफलता मिलती रहे। इसी उद्देश्य को लेकर सौभाग्यवती महिलाएं पूरे दिन निर्जल रहकर करवा चौथ का व्रत धारण करती हैं। सुबह उठकर जल ग्रहण करते हैं फिर पूरा दिन निर्जल रहते हैं। पूरे दिन व्रत धारी महिलाएं विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेकर मां करवा सहित अन्य देवी-देवताओं की विशेष पूजा अर्चना करती हैं। उन्होंने आगे बताया कि इस व्रत को रखने से पति पत्नी के बीच प्रेम में वृद्धि होती है। पति पत्नी दोनों ही इस व्रत का सम्मान करते हैं। रात को जब पति देव घर आते हैं तब चंद्रमा का दीदार कर उनके हाथों से जल ग्रहण करते हैं।
Published on:
10 Oct 2025 08:07 pm
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