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क्या डेढ़ साल में एक बार भी नहीं हुआ मालखाना का निरीक्षण व सत्यापन?

केलेण्डर जारी कर अफसर करते हैं वार्षिक व अद्र्धवार्षिक थाना निरीक्षण व मालखाना का सत्यापन

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केलेण्डर जारी कर अफसर करते हैं वार्षिक व अद्र्धवार्षिक थाना निरीक्षण व मालखाना का सत्यापन

केलेण्डर जारी कर अफसर करते हैं वार्षिक व अद्र्धवार्षिक थाना निरीक्षण व मालखाना का सत्यापन

बालाघाट. कोतवाली थाना के मालखाना से 55 लाख 13 हजार सौ रुपए और सोने के जेवर चोरी होने का मामला सामने आने के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आरोपी मुंशी (प्रधान आरक्षक) राजीव पंद्रे दो साल से कोतवाली थाना में तैनात था। वह डेढ़ साल से मालखाना से चोरी कर रहा था। लेकिन इसकी जानकारी किसी को नहीं थी।

कोतवाली थाना के डेढ़ साल के आकड़े पर गौर करें तो निरीक्षक प्रकाश वास्कले अप्रेल 2025 तक (करीब डेढ़ वर्ष का कार्यकाल)। उनके बाद निरीक्षक स्वप्निल दास रहे, जिनका कार्यकाल करीब सप्ताहभर रहा। वर्तमान थाना प्रभारी विजय राजपूत करीब छह माह से तैनात हैं। बताया जा रहा है कि प्रधान आरक्षक मई 2024 से चोरी कर रहा है। ऐसे में आरोपी मुशी ने तीनों थाना प्रभारियों के कार्यकाल में चोरी किया है।

खास बात है कि थानों का वार्षिक व अद्र्धवार्षिक निरीक्षण पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, नगर पुलिस अधीक्षक करते हैं। इसका बकायदा कलेण्डर जारी होता है और बारीकी से एक-एक चीज देखी जाती है। अब सवाल यह है कि डेढ़ वर्ष से थाना में चोरी हो रही थी तो क्या इस दौरान किसी ने निरीक्षण व सत्यापन नहीं किया? यदि किया तो क्या केवल औपचारिकताएं पूरी की? क्या इस पूरे मामले के लिए थाना प्रभारी सहित इन अधिकारियों की कोई जवाबदारी नहीं बनती है। यदि कोतवाली थाना का मालखाना सुरक्षित नहीं है तो शहर की सुरक्षा कैसे होगी? इस घटना के बाद यह भी सवाल खड़ा हो गया है।

नवरात्र में चुराया 30 लाख 68 हजार 900 रुपए

आरोपी प्रधान आरक्षक (मुंशी) पंद्रे ने कुल 32 अपराधों में जब्त रुपए और जेवरों में से 55.13 लाख रुपए व जेवर की चोरी की है। अप.क्र. 472/25 में 40 लाख रुपए व इलेक्ट्रानिक सामान व दस्तावेज मालखाना में जमा थे। इसमें से 30 लाख 68 हजार नौ सौ रुपए आरोपी ने नवरात्र में चुराकर खर्च करने की बात स्वीकार किया है। यानी सबसे अधिक रुपए की चोरी उसने इसी माह किया है।

14 को पूर्व सांसद ने दी जानकारी

कोतवाली थाने का मालखाना प्रभारी व मुंशी करीब डेढ़ वर्ष से चोरी कर रहा था। अनुमान है कि इसकी जानकारी पुलिस अधिकारियों को छह को हो गई। उसने सात को फंदा लगाकर खुदकुशी का प्रयास किया। सुबह छह बजे उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। नौ को जब वह स्वस्थ्य होकर लौटा तब उसकी उपस्थिति में मालखाना का सत्यापन शुरू किया गया। बताया जा रहा है कि 10 को पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए, लेकिन 12 को रात्रि 11.30 बजे पुलिस ने एफआईआर किया। 14 को पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने प्रेसवार्ता लेकर इसकी जानकारी दी। इसके बाद यह मामला सामने आया। इसके पूर्व पारदर्शिता की बात करने वाली पुलिस इस मामले को छुपा रही थी। पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने गुरुवार को भी इस मामले में मीडिया से मुखातिब होकर पुलिस अधीक्षक सहित संबंधित अधिकारियों पर सवाल खड़ा करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कहा है कि इस मामले को लेकर वे हाईकोर्ट तक जाएंगे।