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तीन हाथियों की मदद से चार परिक्षेत्रों की टीम कर रहे रेस्क्यू

जंगल छोड़ खेत और रहवासी क्षेत्रों में पहुंच रहे बाघ

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बाघ को पकडऩे और जंगल में खदेडऩे शुरू किया रेस्क्यू

बाघ को पकडऩे और जंगल में खदेडऩे शुरू किया रेस्क्यू

जिले के वन परिक्षेत्र कटंगी के कन्हडग़ांव सर्किल के गोरेघाट और अंबेझरी, खैरलांजी क्षेत्र के रहवासी इलाको और खेतों के नजदीक हिंसक वन्य प्राणी बाघ की दशहत बनी हुई है। जनहानि के खतरें को देखते हुए गुरूवार 16 अक्टूबर से वन विभाग ने बाघ को पकडऩे व जंगल की ओर दूर खदेडऩे रेस्क्यू शुरू किया है। ग्रामीणों के अनुसार कटंगी, खैरलांजी क्षेत्रों में करीब तीन अधिक बाघ विचरण कर रहे हैं। कई बार बाघ किसानों और ग्रामीणों को दिखाई दिए हैं। पिछले दिनों एक ग्रामीण पर हमला और मवेशियों का शिकार किए जाने के मामले भी सामने आ चुके हैं। वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी देने के बाद जंगल क्षेत्र में पिंजरा लगाया था। लेकिन अब तक बाघ को पकड़ा नहीं जा सका है। गुरूवार को दो जिलों के चार वन परिक्षेत्र की टीम अधिकारियों के नेतृत्व में अंबेझरी के जंगल में पहुंची है। तीन हाथियों की मदद से रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया है।

टीम को नहीं दिखाई दिया बाघ

डीएफओ अधर गुप्ता, एसडीओ और रेंजर की मौजूदगी में वन अमले ने हाथियों की मदद से अलग-अलग क्षेत्रों में बाघ को ट्रेक करना शुरू किया। सुबह 7 बजे शुरू किए गए रेस्क्यू के दौरान दोपहर एक बजे तक वन अमले को बाघ दिखाई नहीं दिया। इसके बाद लंच टाइम के बाद चार बजे के बाद से पुन: रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया। समाचार लिखे जाने तक बाघ का मूवमेंट दिखाई नहीं दिया था।

इन क्षेत्रों की टीम कर रही रेस्क्यू

अधिकारियों के अनुसार मौके पर कटंगी, खैरलांजी और वारासिवनी वन परिक्षेत्र की टीम के अलावा सिवनी जिले के अरी से भी अमला पहुंचा है। सभी बाघ के मूवमेंट पर नजर बनाए हुए हैं। प्रयास है कि वन्य प्राणी बाघ रहवासी क्षेत्रों तक न पहुंचे और उन्हें दूर जंगल सीमा में खदेड़ा सकें।
बता दें कि पिछले दिनों बाघ ने एक सप्ताह के भीतर खैरलांजी व कुड़वा में दो मवेशी को अपना शिकार बनाया हैं। सवा माह पूर्व एक किसान की बाघ के हमले से मौत भी हो चुकी है। ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग ने 28 दिन पूर्व आक्रामक बाघ को पकडऩे अंबेझरी के जंगल किनारे एक पिंजरा लगाकर बकरी बांधी गई। लेकिन बाघ कैद नहीं हो पाया है। मौके पर 25 ट्रैप कैमरे भी लगाए थे। परंतु कैमरे में बाघ कैद नहीं हो पाया।

पेंच से लगा है जंगल

दक्षिण वन मंडल बालाघाट के तहत कटंगी व तिरोड़ी परिक्षेत्र के जंगल महाराष्ट्र और सिवनी पेंच से लगे हंै। यहां वन्य प्राणियों की संख्या अधिक है। ऐसे में वन्य प्राणी कई बार विचरण करते हुए खेतों व गांव तक आ रहे हंै। गोरेघाट सर्किल व कन्हडग़ांव सर्किल के 15 से अधिक गांवों के जंगलों में 70-80 किमी के दायरे में बाघों का मूवमेंट अलग-अलग बना हैं। एक जानकारी के अनुसार इस वन मंडल क्षेत्र में नौ माह के भीतर पांच लोगों की बाघ के हमले से जान गई है और दो लोग घायल भी हुए हैं। यह सभी गांव जंगल से घिरे है, कई बार लोगों का खेत बाड़ी में आने जाने व मवेशी चराने के दौरान बाघ से आमना-सामना होते रहता है। बाघ जंगल किनारे खेतों में बैठा किसानों को कई बार दिखाई देता है। किसान खेत जाने से डरते हंै। खेती के कार्य प्रभावित होते हैं। ग्रामीण खेतों के किनारे फैसिंग लगाए जाने की मांग भी कर रहे हैं।