Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के फैन ने किया अनोखा काम, कहां अब सदा रहेंगे मेरे साथ

अलवर शहर के रहने वाले सोनू शर्मा ने पीठ पर बाघेश्वर बाबा की तस्वीर बनवाने के साथ साथ जय बाघेश्वर भी लिखवाया है।

2 min read

अलवर

image

Jyoti Sharma

Sep 16, 2025

अलवर. एक समय था जब लोग हाथों में गोदना बनवाते थे। अब इसने टैटू का रूप ले लिया है। शहर के युवाओं में इसका अच्छा-खासा क्रेज है। युवा कुछ अलग दिखने की चाह में टैटू बनवा रहे हैं। वहीं, कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो टैटू के माध्यम से श्रद्धा और स्टाइल दोनों फॉलो कर रहे हैं।

कई युवा अपने माता-पिता की तस्वीर, नवजात बच्चे के पैर के निशान टैटू के रूप में अपने शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर बनवाते हैं। वहीं, कई युवा भोलेनाथ का त्रिशूल, डमरू, कैलाश पर्वत, शिव बारात, ओम नम: शिवाय के टैटू पसंद कर रहे हैं।

युवतियों में अपनी गर्दन पर तितली व पैर में डिजायनर टैटू बनवाने का क्रेज है। पहले अलवर के युवा दूसरे शहरों में जाकर टैटू बनवाते थे। अब अलवर में भी कई टैटू आर्टिस्ट काम कर रहे हैं। ऐसे में टैटू रोजगार का नया साधन भी बन गया है।

आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के फैन ने बनवाया टैंटू

अलवर शहर के रहने वाले सोनू शर्मा बताते हैं कि मैं आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का फैन हूं। सनातन को मानता हूं, उनके ज्यादातर कार्यक्रमों में शामिल होता हूं, सोशल मीडिया पर उनको सुनता हूं।

जब दो साल पहले अलवर आए तो मैं उनसे मिला और उन्होंने मुझे आशीर्वाद भी दिया, इस मुलाकात को यादगार बनाने के लिए मैंने उनको टैंटू अपनी पीठ पर बनवा लिया है। जो मुझे सदैव अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करता है।

इन्होंने पीठ पर बाघेश्वर बाबा की तस्वीर बनवाने के साथ साथ जय बाघेश्वर भी लिखवाया है। इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं क्योंकि कपडे़ पहनने पर ये टैंटू नजर ही नहीं आता।

टैटू एक कला है। यदि इसमें रुचि है, कोई भी इसे अपना कॅरियर बना सकता है। मुझे स्कैच बनाने का शौक था। दस साल पहले जयपुर जाकर टैटू बनाने का कोर्स किया। दूर-दूर से लोग अलवर में टैटू बनवाने आते हैं। कोर्स के दौरान स्किन की जानकारी भी दी जाती है। एक बार टैटू बनवाने के बाद उसे हटाया भी जा सकता है और उसी जगह पर दूसरा टैटू बनवाया जा सकता है।

- संजय सचदेव, टैटू आर्टिस्ट