अलवर नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा जन्म संबंधी वास्तविक डिटेल को एडिट कर नया जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार कबूल पत्नी नरेन्द्र निवासी नांडू, राजगढ़ ने 17 जनवरी, 2016 को जनाना अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। इसी दिन अस्पताल के पहचान पोर्टल पर इसका पंजीयन भी ऑनलाइन कर दिया गया। अब परिजनों को बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ी तो उन्होंने नगर निगम में संपर्क किया, लेकिन वहां बच्चे का जन्म संबंधी रिकॉर्ड ऑनलाइन नहीं मिला। निगम कर्मचारियों ने बच्चे का जन्म संबंधी कोई रिकॉर्ड नहीं होने की बात कहकर उसे वापस भेज दिया।
नरेन्द्र ने बताया कि जनाना अस्पताल में प्रसव के दौरान बच्चे के जन्म प्रपत्र पर रजिस्ट्रेशन नंबर 08104001000000900645/ 2016 अंकित किया गया था। जिसके आधार पर ऑनलाइन पोर्टल पर बच्चे का नाम मोनिस और माता-पिता का नाम वारिसा व हनीफ खान निवासी केसरपुर, अलवर दर्ज है। जानकारी के अनुसार इस तरह की एडिटिंग केवल नगर निगम के पहचान पोर्टल पर ही संभव है।
इसमें भी केवल नाम व पता आदि ही बदले जा सकते हैं, रजिस्ट्रेशन नंबर चेंज नहीं हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि पूर्व में पोर्टल पर एडिटिंग का कार्य जिला रजिस्ट्रार आर्थिक एवं सांख्यिकी की स्वीकृति के बाद निगम के रजिस्ट्रार द्वारा किया जाता था। जबकि वर्तमान में रजिस्ट्रार एवं जिला रजिस्ट्रार की शक्तियां निगम के अधिकारियों के पास ही है। ऐसे में निगम अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा मिली भगत कर जन्म प्रमाण पत्रों में एडिटिंग कर आमजन को परेशान किया जा रहा है।
नरेन्द्र ने बताया कि निगम में बच्चे का जन्म संबंधी रिकॉर्ड नहीं मिलने पर उसने जिला अस्पताल की जन्म-मृत्य प्रमाण पत्र शाखा में संपर्क किया। लेकिन अस्पताल के ऑनलाइन पोर्टल पर भी 17 जनवरी, 2016 को कबूल पत्नी नरेन्द्र के प्रसव संबंधी कोई जानकारी नहीं मिली। जिसके बाद उसने अस्पताल में अपनी पत्नी का डिस्जार्च टिकट प्रस्तुत किया। जिस पर अंकित रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर रिकॉर्ड की जांच की उस तारीख को उसकी पत्नी द्वारा बच्चे को जन्म देना पाया गया। इसके बाद सारा मामला खुलता चला गया।
Published on:
17 Oct 2025 11:33 am
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