High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोक अदालत के पारित छोटी राशि के अवॉर्ड के विरुद्ध याचिका दाखिल करने पर भारतीय जीवन बीमा निगम को फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया। कोर्ट ने कहा कि इतनी छोटी राशि के खिलाफ ट्वीट याचिका दाखिल करना अत्यंत आश्चर्जनक है। कोर्ट ने कहा कि याचिका दाखिल करने में जो वकील की फीस एवं कानूनी खर्च हुआ। वह स्थायी लोक अदालत के अवार्ड की राशि से अधिक प्रतीत होता है।
High Court: लोक अदालत द्वारा पारित अवार्ड की राशि के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पर भारतीय जीवन बीमा निगम को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने इतनी छोटी राशि के खिलाफ याचिका दायर करने पर आश्चर्य व्यक्त किया। कोर्ट ने कहा कि कानूनी दांव पेंच में जो खर्च हुआ है वह अवार्ड की राशि से अधिक प्रतीत होता हैं।
कोर्ट ने एलआईसी के वरिष्ठ अधिकारी को यह स्पष्ट करने के लिए शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया कि उक्त अवार्ड की राशि पॉलिसीधारक को क्यों नहीं दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि इतनी तुच्छ राशि के खिलाफ बीमा कंपनी ने रिट याचिका जबकि इस प्रकार की प्रथा की इस न्यायालय द्वारा समय-समय पर निंदा की गई है।
दरअसल अस्थाई लोक अदालत में पॉलिसी धारक मेघ श्याम शर्मा को जमा की गई राशि वापस करने के साथ-साथ सात प्रतिशत ब्याज और पांच हजार रुपये मुकदमा खर्च के रूप में चुकाने का निर्देश दिया गया था। महज 74 हजार 508 रुपये के अवार्ड को चुनौती देते हुए याचिका की। यह आदेश उस आवेदन पर हुआ। जिसमें पॉलिसीधारक ने जमा की गई प्रीमियम राशि की वापसी की मांग की थी। लोक अदालत ने एलआईसी को जमा राशि वापस करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट में एलआईसी ने तर्क दिया कि पॉलिसीधारक ने पॉलिसी की सभी शर्तों का पालन नहीं किया था। इसलिए वह किसी भी राशि के हकदार नहीं हैं। इस दलील को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि पॉलिसीधारक केवल अपनी जमा राशि की वापसी मांग रहा है। लोक अदालत ने कोई अतिरिक्त या अवैध राहत नहीं दी है। कोर्ट ने एलआईसी को इतनी छोटी राशि के लिए चुनौती देने पर फटकार भी लगाई है।
Published on:
01 May 2025 04:11 pm