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UP Pollution Alert: सांसों पर मंडराने लगा खतरा: दिवाली से पहले ही जहर बनती हवा

UP Climate Update: उत्तर प्रदेश में दिवाली से पहले ही हवा की गुणवत्ता बिगड़ने लगी है। आगरा, लखनऊ और कानपुर समेत कई शहरों का एक्यूआई लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। एक्यूआई 200 पार होते ही प्रदूषण नियंत्रण के तहत सख्त कदम उठाए जाएंगे।

4 min read

आगरा

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Ritesh Singh

Oct 13, 2025

प्रदूषण की गिरफ्त में यूपी! अब हर सांस के लिए लड़ाई जरूरी (फोटो सोर्स : X)

प्रदूषण की गिरफ्त में यूपी! अब हर सांस के लिए लड़ाई जरूरी (फोटो सोर्स : X)

UP Pollution: दिवाली से पहले ही उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब होने लगी है। मौसम में ठंडक आने और नमी बढ़ने के साथ-साथ धूल, धुआं और कचरा जलाने जैसी गतिविधियों ने प्रदूषण के स्तर को तेजी से ऊपर धकेल दिया है। ऐसे में प्रशासन और पर्यावरण विभाग ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। एक्यूआई (AQI) यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक के 200 पार होते ही ग्रैप का पहला चरण स्वतः लागू हो जाएगा। इसमें निर्माण कार्यों पर नियंत्रण, खुले में कचरा जलाने पर प्रतिबंध, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने, और शहरों में एंटी-स्मॉग गन तैनात करने जैसे सख्त कदम उठाए जाएंगे।

आगरा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित, लखनऊ और कानपुर से आगे निकला

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रविवार को जारी बुलेटिन के अनुसार, आगरा का एक्यूआई 160 दर्ज किया गया, जो लखनऊ (118) और कानपुर (135) जैसे बड़े शहरों से अधिक रहा। इसका अर्थ यह है कि आगरा की हवा “मध्यम से खराब श्रेणी (moderate to poor category)” में पहुँच चुकी है, जबकि अभी त्योहारी सीजन और पराली जलाने का चरम दौर आना बाकी है। शहर के कई इलाकों जैसे शाहजहां गार्डन, रोहता, शास्त्रीपुरम, सेक्टर 3 बी आवास विकास, संजय प्लेस और मनोहरपुर में रविवार को एक्यूआई 150 से 200 के बीच दर्ज किया गया, जो स्पष्ट संकेत है कि हवा में प्रदूषण के कण (PM2.5 और PM10) तेजी से बढ़ रहे हैं।

क्या है GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान)

GRAP यानी Graded Response Action Plan, दिल्ली-एनसीआर की तरह अब उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में भी लागू किया गया है। यह एक चार-स्तरीय योजना है, जो वायु गुणवत्ता के स्तर के अनुसार क्रमिक रूप से लागू होती है -

AQI स्तरश्रेणीकार्रवाई
201–300खराब (Poor)कचरा जलाने पर रोक, निर्माण कार्य सीमित
301–400बहुत खराब (Very Poor)एंटी-स्मॉग गन, सड़क धुलाई, सार्वजनिक वाहन प्रोत्साहन
401–450गंभीर (Severe)स्कूल बंद, डीजल जनरेटर बंद, निर्माण रोक
450+अत्यंत गंभीर (Severe Plus)आपातकालीन उपाय, ट्रैफिक प्रतिबंध, औद्योगिक संचालन पर रोक

अभी पहले चरण के तहत प्रशासन ने सभी नगर निकायों, विकास प्राधिकरणों और ट्रैफिक पुलिस को एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

इन पर लग सकती है रोक

  • एक्यूआई 200 पार होते ही प्रशासन निम्नलिखित कार्रवाइयाँ शुरू कर सकता है:
  • खुले में कचरा जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध।
  • निर्माण कार्यों में धूल नियंत्रण उपाय अनिवार्य।
  • सड़क किनारे पानी का छिड़काव और सफाई बढ़ाई जाएगी।
  • एंटी-स्मॉग गन प्रमुख चौराहों और औद्योगिक क्षेत्रों में तैनात की जाएंगी।
  • सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा-निजी वाहनों के प्रयोग पर नियंत्रण।
  • डीजल जेनरेटर सेटों के इस्तेमाल पर निगरानी।

अधिकारियों ने कहा- तैयार है प्रशासन

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमित मिश्रा ने बताया कि सभी विभागों को पहले ही सतर्क कर दिया गया है। हमने नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस, निर्माण एजेंसियों और औद्योगिक इकाइयों को निर्देश जारी किए हैं कि वे प्रदूषण नियंत्रण के उपायों का सख्ती से पालन करें। जरूरत पड़ी तो और कड़े कदम उठाए जाएंगे।  अमित मिश्रा ने यह भी बताया कि स्मॉग और धूल की मात्रा बढ़ने के पीछे स्थानीय कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें सड़क निर्माण, वाहन उत्सर्जन और कचरा जलाना प्रमुख हैं।

मौसम में ठंडक और नमी से बढ़ा प्रदूषण

पिछले एक सप्ताह से न्यूनतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे चल रहा है। इस कारण हवा में नमी और धूल के कणों का जमाव बढ़ गया है। यह स्थिति “थर्मल इनवर्जन” कहलाती है, जिसमें ठंडी हवा के कारण प्रदूषक नीचे की परत में फंस जाते हैं और बाहर नहीं निकल पाते। इससे हवा की गुणवत्ता तेजी से गिरती है, खासकर सुबह और देर शाम के समय।

वाहनों से उत्सर्जन बना सबसे बड़ा कारण

लखनऊ, आगरा और कानपुर जैसे शहरों में बढ़ते वाहन उत्सर्जन को भी मुख्य कारण माना जा रहा है। वाहनों से निकलने वाला धुआं, डीजल जेनरेटर, और ट्रैफिक जाम से उठने वाली धूल PM 2.5 और PM 10 स्तर को तेजी से बढ़ा रही है। ट्रैफिक विभाग ने कहा कि वह वाहन चेकिंग अभियान तेज करेगा और धुआं उत्सर्जन प्रमाणपत्र (PUC) की जांच की जाएगी।

निर्माण कार्यों पर निगरानी

नगर निगम और विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिए गए हैं कि निर्माण स्थलों पर ग्रीन नेट, पानी का छिड़काव और डस्ट कलेक्शन सिस्टम का उपयोग सुनिश्चित किया जाए। निर्देशों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और कार्यस्थल बंदी की कार्रवाई की जाएगी।

एंटी-स्मॉग गन और वॉटर स्प्रिंकलर तैनात होंगे

जिला प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि अगर अगले कुछ दिनों में प्रदूषण स्तर और बढ़ा, तो शहर के प्रमुख मार्गों पर एंटी-स्मॉग गन और वॉटर स्प्रिंकलर लगाए जाएंगे। साथ ही, नगर निगम की टीमों को सुबह-शाम सड़क धुलाई करने के आदेश दिए जाएंगे।

दिवाली पर बढ़ेगा दबाव

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिवाली और उसके बाद वायु गुणवत्ता में सबसे अधिक गिरावट दर्ज होती है। पटाखों का धुआं, पराली जलाने का प्रभाव, और मौसम की स्थिरता मिलकर AQI को 400 से ऊपर पहुंचा देती है। इस बार सरकार ने पहले से तैयारी करते हुए ग्रैप लागू किया है ताकि दिवाली से पहले ही सख्ती और निगरानी शुरू हो सके।

लखनऊ-कानपुर में भी बढ़ने लगा स्तर

लखनऊ का रविवार को AQI 118 और कानपुर का 135 दर्ज किया गया। हालांकि यह “मध्यम श्रेणी” में है, परंतु पिछले सप्ताह की तुलना में 35 से 40 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। राजधानी में अलीगंज, गोमती नगर, चारबाग और आलमबाग जैसे इलाकों में सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज हुआ।

जनता से अपील -सहयोग करें

  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे-
  • खुले में कचरा या पत्तियां न जलाएं,
  • निजी वाहन की जगह साझा परिवहन का उपयोग करें,
  • घरों के बाहर गड्ढों में धूल या राख न फेंकें,
  • अपने वाहन की सर्विसिंग समय-समय पर कराते रहें।