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आगरा हत्याकांड में सजा: पत्नी और साले को उम्रकैद, अधिवक्ता ससुर को 7 साल की जेल, बैंक मैनेजर की गला दबाकर हत्या

आगरा के ताजगंज में बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय की गला दबाकर हत्या के मामले में अदालत ने पत्नी प्रियंका, साले कृष्णा और ससुर बिजेंद्र रावत को दोषी करार दिया। कोर्ट ने पत्नी और साले को उम्रकैद, जबकि ससुर को सात साल की सजा सुनाई है।

2 min read

आगरा

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Mahendra Tiwari

Oct 15, 2025

Gonda

सांकेतिक फोटो जेनरेट AI

आगरा के ताजगंज इलाके में बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय की हत्या के करीब दो साल बाद अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस हत्याकांड में मृतक की पत्नी, ससुर और साले को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। जहां ससुर को सात साल की जेल हुई। वहीं पत्नी और साले को उम्रकैद की सजा दी गई है।

आगरा की एडीजे-17 नितिन ठाकुर की अदालत ने बुधवार को चर्चित बैंक मैनेजर हत्याकांड में फैसला सुनाया। ताजगंज स्थित रामरघु एग्जॉटिका कॉलोनी में 12 अक्टूबर 2023 को बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक सचिन उपाध्याय की गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अदालत ने मृतक के ससुर बिजेंद्र रावत, जो उस समय कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष थे, को आपराधिक षड्यंत्र में दोषी मानते हुए सात वर्ष का कारावास दिया है। वहीं, उनकी बेटी प्रियंका उर्फ मोना और बेटे कृष्णा रावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। सचिन उपाध्याय की शादी फरवरी 2015 में बालूगंज के रहने वाले बिजेंद्र रावत की बेटी प्रियंका से हुई थी। शुरुआती दिनों में वह गुजरात में बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में कार्यरत थे। लेकिन वैवाहिक विवाद बढ़ने पर वे आगरा लौट आए और शमसाबाद शाखा में तैनात हो गए। दोनों पति-पत्नी रामरघु एग्जॉटिका कॉलोनी में साथ रहते थे। जहां आए दिन विवाद होता था।

मृतक के पिता ने दर्ज कराया था मुकदमा

मृतक के पिता केशव देव शर्मा, जो सेवानिवृत्त शिक्षक हैं। उन्होंने 18 अक्टूबर 2023 को थाना ताजगंज में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उनका आरोप था कि पारिवारिक झगड़ों से परेशान होकर प्रियंका ने अपने पिता और भाई के साथ मिलकर सचिन की हत्या की। पुलिस को जांच के दौरान घर से प्रेस, जलाए गए कपड़े और अन्य डिजिटल साक्ष्य मिले थे। जिनसे यह साबित हुआ कि घटना को आत्महत्या के रूप में दिखाने की कोशिश की गई थी।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सचिन की मौत गला दबाने से दम घुटने के कारण बताई गई थी। शरीर पर छह चोटों और हल्के जलने के निशान भी पाए गए। जांच अधिकारी निरीक्षक (क्राइम) राजकुमार ने 25 से अधिक गवाहों और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के आधार पर आरोप पत्र दाखिल किया था। जनवरी 2024 में दाखिल चार्जशीट में बिजेंद्र रावत पर धारा 201 के तहत षड्यंत्र का आरोप लगाया गया, जबकि प्रियंका और कृष्णा पर धारा 302 व 201 (हत्या और साक्ष्य मिटाने) के तहत आरोप तय किए गए।

पेट्रोल पंप के आवेदन को लेकर शुरू हुई थी घरेलू कलह

पुलिस विवेचना में यह सामने आया कि सचिन और प्रियंका के बीच घरेलू कलह लंबे समय से चल रही थी। सचिन ने अपने भाई के नाम से पेट्रोल पंप के लिए आवेदन किया था। जिससे प्रियंका नाराज थी। बताया गया कि 11 अक्टूबर की रात दोनों में झगड़ा हुआ और उसी दौरान कृष्णा रावत भी घर पहुंच गया। इसके बाद सचिन की हत्या कर दी गई और अगले दिन ससुर बिजेंद्र रावत ने मृतक के परिजनों को मौत की सूचना दी।

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में साफ हुआ कि हत्या की गई

मृतक के पिता के अनुसार, ससुर पक्ष ने पहले इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की और तत्काल पोस्टमार्टम कराने के लिए दबाव भी बनाया। मगर मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में साफ हो गया कि यह हत्या का मामला है। करीब दो साल चली सुनवाई के बाद अब अदालत ने तीनों अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए फैसला सुनाया है।