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बड़ी खबर: रूस ने बनाई कैंसर की mRNA वैक्सीन, निशुल्क मिल रही,क्या भारत को भी मिलेगा फायदा ?

Cancer Vaccine Russia: रूस ने एक नई कैंसर वैक्सीन तैयार की है जो सभी परीक्षणों में सफल रही है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह वैक्सीन ट्यूमर को घटाने और मरीजों की जीवन दर बढ़ाने में कारगर है।

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भारत

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MI Zahir

Sep 07, 2025

Cancer Vaccine Russia

रूस ने कैंसर के इलाज के लिए टीका बना लिया है। इस पर खुश होते पुतिन। फोटो: X

Cancer Vaccine Russia: रूस के वैज्ञानिकों ने कैंसर के खिलाफ जंग में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वहां की फैडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी (FMBA) ने एक नई mRNA-आधारित एक ऐसी वैक्सीन (Cancer vaccine Russia) तैयार की है, जो अब इस्तेमाल के लिए लगभग तैयार है। एजेंसी की प्रमुख वेरोनिका स्क्वोर्त्सोवा (Veronika Skvortsova) ने ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम 2025 में इस वैक्सीन (mRNA cancer vaccine) की घोषणा की। एफएमबीए (FMBA) की ओर से तैयार की गई यह वैक्सीन Enteromix नाम से जानी जाती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसने सभी प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स में शानदार परिणाम दिए हैं। ट्यूमर से पीड़ित मरीजों में इसका असर साफ देखा गया, जैसे ट्यूमर के आकार में कमी और कैंसर कोशिकाओं की बढ़त में रुकावट। इस वैक्सीन (Russian FMBA vaccine) को खासतौर पर बड़ी आंत का कैंसर( Colorectal Cancer) के लिए विकसित किया गया है।

कैंसर के इस टीके की खाासियत

एफएमबीए प्रमुख स्क्वोर्त्सोवा के अनुसार पिछले तीन सालों में इस टीके की सुरक्षा पूरी तरह से साबित हो गई है। इसे कई बार इस्तेमाल करने पर भी यह प्रभावी और सुरक्षित रहा है। इस रूसी टीके से ट्यूमर का आकार कम होता है और उनका बढ़ना भी धीमा पड़ जाता है।

वैक्सीन का ट्रायल और असर

वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन पर तीन साल से ज्यादा समय तक काम किया है। जानवरों पर किए गए परीक्षणों में न सिर्फ ट्यूमर सिकुड़ा, बल्कि मरीज की जीवन प्रत्याशा भी बढ़ी। इसके कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पाए गए, जिससे इसकी सुरक्षा की पुष्टि हुई है। अब इसके मानव परीक्षण (ह्यूमन ट्रायल्स) भी शुरू हो चुके हैं।

कैसे काम करती है ये वैक्सीन ?

यह वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है, जो कोविड-19 वैक्सीन के दौरान दुनिया भर में लोकप्रिय हुई थी। यह तकनीक शरीर के इम्यून सिस्टम को कैंसर कोशिकाओं की पहचान करना सिखाती है, जिससे शरीर खुद उन्हें नष्ट करने लगता है। खास बात यह है कि यह टीका व्यक्तिगत इलाज (Personalized Therapy) के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है — यानी हर मरीज के कैंसर की प्रकृति के अनुसार इसमें बदलाव किया जा सकता है।

और किन कैंसर पर हो रहा है काम ?

शुरुआत में यह वैक्सीन कोलोरेक्टल कैंसर के लिए इस्तेमाल होगी, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि वे ब्रेन कैंसर (ग्लियोब्लास्टोमा) और आंख के कैंसर (ऑक्यूलर मेलेनोमा) के लिए भी इसी तकनीक से टीके बना रहे हैं। इन पर काम अपनी अंतिम चरण में है।

यह आम लोगों के लिए कब तक उपलब्ध होगी ?

रूस की सरकार ने संकेत दिया है कि रूस में यह वैक्सीन 2025 की पहली तिमाही में कुछ अस्पतालों में ट्रायल उपयोग के तहत दी जा चुकी है, और जल्द ही बड़े पैमाने पर उपयोग की संभावना है। इसकी कीमत लगभग 3 लाख रूबल (करीब $2800) हो सकती है, लेकिन रूस में इसे सरकारी हेल्थ सिस्टम के तहत फ्री ऑफ कॉस्ट देने की योजना है।

वैश्विक शांति के लिए उम्मीद की किरण

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस वैक्सीन को "स्वास्थ्य विज्ञान में क्रांतिकारी कदम" बताया है। यह सिर्फ रूस के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए कैंसर से लड़ने की दिशा में एक नई उम्मीद है।

दुनिया में कितने लोग कैंसर से पीड़ित हैं ?

दुनियाभर में कैंसर के मामलों की संख्या हर साल तेज़ी से बढ़ रही है। 2022 में करीब 2 करोड़ नए मरीजों की पहचान हुई और करीब 97 लाख लोगों की मौत कैंसर की वजह से हो गई। यह आंकड़े वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) और GLOBOCAN की रिपोर्ट से सामने आए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, 2050 तक कैंसर के मामले 75% तक बढ़ सकते हैं। इसकी मुख्य वजहें हैं – बढ़ती उम्र, खराब लाइफस्टाइल, तंबाकू और प्रदूषण।

भारत में कैंसर का क्या हाल है ?

भारत में भी कैंसर की समस्या गंभीर होती जा रही है। 2024 में लगभग 15.3 लाख नए मामले दर्ज हुए और 8.2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत कैंसर से हुई। ये आंकड़े भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR के अनुसार हैं। रिपोर्ट कहती है कि 2025 के अंत तक भारत में यह संख्या 15.7 लाख को पार कर सकती है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और पुरुषों में मुँह व फेंफड़ों का कैंसर सबसे ज़्यादा पाया जा रहा है।

सोचने पर मजबूर करते हैं आंकड़े

बहरहाल इतनी बड़ी संख्या में लोगों का कैंसर से पीड़ित होना सिर्फ मेडिकल नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक चुनौती भी है। लोगों को समय पर जांच नहीं मिलती और इलाज बहुत महंगा है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि सरकार और समाज मिलकर जागरूकता बढ़ाएं और इलाज सुलभ बनाएं। ऐसे में कैंसर की वैक्सीन का आविष्कार होना उम्मीद की किरण के समान है।