पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ का बड़ा बयान (फोटो - IANS)
पाकिस्तान Pakistan) के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी (Asif Ali Zardari) चीन के 10 दिन के दौरे पर हैं और सीपीईसी की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं। हालांकि इसकी वास्तविकता अब पाकिस्तान के चेहरे पर पसीने ला रही है।
कूटनीतिक मैग्जीन 'द डिप्लोमैट' की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान को सपना दिखाया था कि सीपीईसी से देश में विकास की गंगा बहेगी लेकिन हकीकत कुछ और ही निकल रही है।
दूसरी ओर, चीन को उम्मीद थी कि वह किसी युद्धकालीन स्थिति में चर्चित मलक्का ट्रेप में नहीं फंस जाए। इसलिए वह पाकिस्तान के ग्वादर के जरिए अपने लिए एक और समुद्री रास्ता खोलने में सफल रहेगा। लेकिन चीन और पाकिस्तान, दोनों के लिए ही, सीपीईसी के शुरू होने के कई साल बाद भी दिखाने के लिए बहुत ही कम सफलता है।
चीन के दौरे पर जरदारी जहां पाकिस्तान और चीन की दोस्ती की तारीफ कर रहे हैं, वहीं उनका देश सुरक्षा के र्मोचे पर फेल साबित हो रहा है। पाकिस्तान के आर्थिक संकट की वजह से निवेशकों का भरोसा कम हो रहा है।
दूसरी ओर पाकिस्तान चीन के नागरिकों पर हमले रोक नहीं पा रहा है। इससे चीन की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। माना जा रहा है कि चीन के दबाव में ही अब पाकिस्तानी सेना अपने ही नागरिकों पर फाइटर जेट से हमले कर रही है।
गत 6 मार्च को चीन के राजदूत ने सार्वजनिनक रूप से पाकिस्तानी नेतृत्व को बलूचिस्तान में चीनी नागरिकों को सुरक्षा मुहैया नहीं करा पाने के लिए फटकार लगाई थी।
पाकिस्तान के योजना आयोग के मुताबिक सीपीईसी के 95 में से केवल अभी 32 ही पूरे हो सके हैं। इस बीच चीन ने कई साल से भारत से चली आ रही प्रतिस्पर्द्धा को किनारे रखते हुए फिर से दोस्ती बढ़ाना शुरू किया है।
यह देरी पाकिस्तान को अब विशेष रूप से बहुत भारी पड़ रही है। ऊर्जा और आधारभूत ढांचे के प्रोजेक्ट बहुत देरी से चल रहे हैं और उनकी लागत भी बहुत बढ़ गई है।
लाहौर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्री अली हसनैन ने कहा कि सीपीईसी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट विदेशी मुद्रा पर निर्भर हैं।
इसके चलते पाकिस्तान की सरकार अब 9.5 अरब डॉलर के कर्ज के दलदल में फंस चुकी है। यही नहीं सीपीईसी की सुरक्षा भी अब पाकिस्तान और चीन के लिए बड़े संकट का सबब बन चुकी है।
इस सबके के बीच, तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान आयोजित दूसरे पाकिस्तान-चीन बी2बी निवेश सम्मेलन के दौरान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने औपचारिक रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) चरण 2 (सीपीईसी 2.0) के रूप में भी जाना जाता है, के शुभारंभ की घोषणा की थी। जानकारों का कहना है कि इस पर आगे बढ़ने से पहले चीन पाकिस्तान से सीपीईसी की सुरक्षा को लेकर आश्वासन चाहता है।
पाकिस्तान ने सीपीईसी की सुरक्षा के लिए 15 हजार सैनिकों को तैनात किया है ताकि बीएलए के हमलों से चीनियों को बचाया जा सके। इसके बाद भी गत जुलाई महीने में ग्वादर में एक हमला हुआ और चीन के 5 इंजीनियर घायल हो गए।
पाकिस्तानी सेना जिस तरह से आतंकवाद निरोधक अभियान के नाम पर अपने ही नागरिकों पर हमले कर रही है, उससे स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ रहा है। यही नहीं इन हमलों से चीनी कंपनियों का पाकिस्तान के अंदर काम करने के लिए बीमा का खर्च बढ़ रहा है।
निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक कई प्रोजेक्ट से लोगों को हटा लिया गया है ताकि सुरक्षा खतरे से निपटा जा सके। हाल ही में चीन ने रेलवे को अपग्रेड करने के सीपीईसी के प्रोजेक्ट से खुद को अलग कर लिया।
Published on:
24 Sept 2025 07:51 am
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