जर्मनी के हनोवर में बीएनएम ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया। (फोटो: ANI.)
Baloch Protest Germany: जर्मनी के हनोवर शहर में बलूच नेशनल मूवमेंट (Baloch Protest Germany) ने एक बड़ा प्रदर्शन किया, जहां सैकड़ों बलूच कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान की सेना (Pakistan Army) पर बलूचिस्तान में नरसंहार का गंभीर आरोप लगाया। यह विरोध पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाइयों, ड्रोन हमलों और मानवाधिकार हनन (Human Rights Abuses) के खिलाफ था। प्रदर्शनकारियों ने बैनर और तख्तियां लहराते हुए पीड़ितों के लिए न्याय और पंजाबी सेना के हमले रोकने की मांग की। बीएनएम (BNM) ने संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ से तत्काल जांच करवाने का आग्रह किया, जो बलूचिस्तान के संघर्ष को वैश्विक मंच पर ले आया।
हनोवर के सेंट्रल स्टेशन के पास 20 अक्टूबर 2025 को बीएनएम का यह प्रदर्शन शुरू हुआ। कार्यकर्ता बलूचिस्तान के झरी इलाके में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एकजुट हुए। झरी, खुझदार जिले का एक उप-जिला, पिछले एक महीने से सेना की लगातार बमबारी का शिकार है। हालत यह है कि संचार लाइनें कटी हुई हैं, कर्फ्यू लगा है, और मानवीय सहायता पहुंच ही नहीं पा रही। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि हवाई और जमीनी हमलों में महिलाएं व बच्चे मारे गए और घर-गांव उजड़ गए। बीएनएम की रिपोर्ट के मुताबिक, यह "कत्लखाना" बन चुका है, जहां पाकिस्तानी सेना धार्मिक और राष्ट्रवादी बहानों से अपनी कार्रवाई को जाइज ठहरा रही है।
यह प्रदर्शन बलूचिस्तान के लंबे संघर्ष का हिस्सा है। 1948 में पाकिस्तान द्वारा कब्जा करने के बाद से बलूच लोग स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं। बीएनएम का कहना है कि जबरन गायब करना, फर्जी मुठभेड़ें, और ड्रोन हमले इस आक्रामकता का चरम हैं। हनोवर में जुटे बलूच प्रवासियों ने यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र से फैक्ट-फाइंडिंग मिशन भेजने की अपील की। एक कार्यकर्ता ने कहा, "दुनिया की चुप्पी हमें रोज घायल कर रही है—अब इसे तोड़ो।"
झरी की घटनाएं दिल दहला देने वाली हैं। बीएनएम के अनुसार, पंजाबी सेना ने हेलीकॉप्टर से बम गिराए, जिससे कई नागरिक मारे गए। आसपास के गांव तबाह हो गए, और बुनियादी सुविधाएं ठप हैं। कार्यकर्ताओं ने बताया कि ये हमले बलूच राष्ट्र के खिलाफ सामूहिक सजा हैं। पिछले महीने ही 20 से ज्यादा युवाओं को फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया गया। ड्रोन हमलों में निर्दोष मारे जा रहे हैं, जो पाकिस्तान की "किल एंड डंप" नीति का हिस्सा लगते हैं।
बीएनएम ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद और रावलपिंडी को बलूचिस्तान में नरसंहार रोकने के लिए दबाव डालना होगा। प्रदर्शन का अंत संकल्प के साथ हुआ—न्याय, स्वतंत्रता और मानव गरिमा के लिए लड़ाई जारी रहेगी। यह घटना बलूचिस्तान के 77 साल के कब्जे की याद दिलाती है, जब 1948 में सैन्य आक्रमण हुआ था।
प्रदर्शन में बीएनएम के कई नेता मौजूद थे। जर्मनी चैप्टर के अध्यक्ष शर हसन बलूच, उपराष्ट्रपति सफिया बलूच, संयुक्त सचिव शाली बलूच, और अन्य जैसे जब्बार बलूच, सामी बलूच, लुकमान बलूच, हम्माद बलूच, सारा बलूच, मुजीब अब्दुल्लाह बलूच, अकबर सब्ज, सलाम बलूच, और सफिया गोहर ने भाषण दिए। उन्होंने पाकिस्तान की आक्रामकता की निंदा की और इसे बलूच राष्ट्र पर सजा बताया। शाली बलूच ने महिलाओं की भूमिका पर जोर दिया, जो क्रांति में अग्रणी हैं।
वक्ताओं ने कहा कि बलूच संघर्ष न्याय और आत्मनिर्णय की लड़ाई है। उन्होंने यूएन, ईयू, और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे संगठनों से तुरंत कार्रवाई की मांग की। एक वक्ता ने कहा, "झरी को कत्लखाना बनाने वाली सेना को रोकना होगा।" बीएनएम ने वैश्विक चुप्पी को तोड़ने का आह्वान किया, जो बलूच पीड़ितों के घावों को गहरा रही है। यह प्रदर्शन बलूचिस्तान के इतिहास को भी उजागर करता है—1839 में खान बलूच मीराब खान की शहादत से लेकर 1947 में स्वतंत्रता घोषणा तक।
बलूचिस्तान का इतिहास दर्द भरा है। 19वीं सदी से ब्रिटिश कब्जे के खिलाफ लड़ाई चली, और 1947 में आजादी मिली। लेकिन 1948 में पाकिस्तान ने धोखे और सैन्य बल से कब्जा कर लिया। तब से जबरन गायब करना, हत्याएं, और संसाधनों का शोषण जारी है। बीएनएम जैसे संगठन स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं। हाल के महीनों में महरंग बलूच जैसे नेताओं की गिरफ्तारी ने आंदोलन को और तेज किया।
हनोवर प्रदर्शन मार्च 2025 में 77वीं वर्षगांठ पर हुए विरोध की याद दिलाता है। ईद के समय भी जून 2025 में जर्मनी में बलूच नरसंहार के खिलाफ प्रदर्शन हुए। ये घटनाएं दिखाती हैं कि बलूच डायस्पोरा वैश्विक समर्थन जुटा रहा है। फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट (एफबीएम) ने भी सितंबर 2021 में हनोवर में "फर्जी मुठभेड़ों" के खिलाफ रैली की थी।
प्रदर्शन ने वैश्विक ध्यान खींचा। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #ZehriUnderSiege और #BNMProtests ट्रेंड कर रहे हैं। बीएनएम के पोस्ट को सैकड़ों लाइक्स मिले, जहां कार्यकर्ता पाकिस्तान की क्रूरता पर वीडियो शेयर कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील है कि फैक्ट-फाइंडिंग मिशन भेजें। लेकिन पाकिस्तान की चुप्पी बरकरार है, जो बलूच आंदोलन को और मजबूत कर रही है।
बीएनएम का मानना है कि वैश्विक दबाव से ही बदलाव आएगा। उन्होंने ईयू और यूएन से बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों पर रिपोर्ट जारी करने की मांग की। अगर ये मांगें मान ली गईं, तो यह बलूचिस्तान के लिए नया दौर ला सकता है। कार्यकर्ता कहते हैं, "हमारी लड़ाई रुकने वाली नहीं—यह स्वतंत्रता की जंग है।"
बहरहाल यह प्रदर्शन बलूच डायस्पोरा की ताकत दिखाता है। जर्मनी, यूके, और अमेरिका में बलूच समुदाय सक्रिय है। बीएनएम की वेबसाइट पर हाल के बयान और फुटेज उपलब्ध हैं, जो झरी की तबाही दिखाते हैं। आंदोलन ने महिलाओं को आगे लाकर नई ऊर्जा दी है। भविष्य में ऐसे प्रदर्शन बढ़ेंगे, जो पाकिस्तान पर दबाव बनाएंगे। बलूचिस्तान की आजादी की पुकार अब यूरोप की सड़कों पर गूंज रही है। (ANI)
Published on:
21 Oct 2025 03:26 pm
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