शहबाज़ शरीफ़ और शी जिनपिंग।( फाइल फोटो: एक्स.)
China Pakistan Terrorism: दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ जंग छिड़ी हुई है, लेकिन कुछ देशों की दोहरी नीति इसे और जटिल बना रही है। इस मामले में चीन और पाकिस्तान (China Pakistan Terrorism) दुनिया को उल्लू बना रहे हैं। एक तरफ चीन संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर आतंकवाद उन्मूलन के लिए तीन बड़े प्रस्ताव (UN Anti-Terror Proposals) रख रहा है, जहां सामूहिक सहयोग, कानूनी ढांचे को मजबूत करना और समग्र अभियान पर जोर दिया जा रहा है। वहीं, उसका सबसे करीबी सहयोगी पाकिस्तान आतंकी संगठनों को पनाह देकर क्षेत्रीय अस्थिरता फैला रहा है। पाक गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने बलूच विद्रोहियों पर हमले करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा और आईएसकेपी का गठजोड़ बनाया है। यह विरोधाभास न केवल दक्षिण एशिया की शांति के लिए खतरा (India Security Threat) है, बल्कि वैश्विक स्तर पर 'डबल स्टैंडर्ड' का उदाहरण भी बन रहा है। आइए, इस काले खेल की उलझी हुई परतें खोलते हैं।
चीन की हालिया यूएन प्रस्तावों में कंग शुआंग ने साफ कहा है कि आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है, इसलिए सभी देश एकजुट होकर लड़ें। पहला प्रस्ताव सामूहिक ताकत पर, दूसरा अंतरराष्ट्रीय कानूनों को सख्त करने पर और तीसरा व्यापक रणनीति पर आधारित है। चीन का 'ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव' इसी का हिस्सा है, जहां वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के साथ संयुक्त एक्सरसाइज कर रहा है। लेकिन सवाल यह है कि चीन की यह पहल कितनी ईमानदार है? जब उसके चीनी नागरिकों पर पाकिस्तान में हमले हो रहे हैं, जैसे बलूचिस्तान में चाइनीज इंजीनियरों की हत्या, तो भी बीजिंग पाकिस्तान को खुला समर्थन दे रहा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन पाकिस्तान के काउंटर-टेररिज्म को सपोर्ट करता है, लेकिन वास्तव में यह CPEC प्रोजेक्ट्स की सुरक्षा के लिए है।
पाकिस्तान का रोल इस खेल का सबसे काला अध्याय है। आईएसआई ने दशकों से आतंकी संगठनों को हथियार, फंडिंग और ट्रेनिंग देकर भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर चलाई है। लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे ग्रुप्स पाकिस्तान से ही कश्मीर में हमले करवाते हैं। 2025 में पाहलगाम अटैक में LeT के पाकिस्तानी नागरिकों की संलिप्तता साबित हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान की 'डीप स्टेट' अब ISKP को भी बलूच राष्ट्रवादियों के खिलाफ इस्तेमाल कर रही है। बलूचिस्तान में LeT और ISKP का गठजोड़ आईएसआई की साजिश है, जहां मीर शफीक जैसे एजेंट हथियार बांट रहे हैं। क्योंकि 2025 में मास्टुंग कैंप पर बलूच विद्रोहियों का हमला और उसके बाद जिरगा में जिहाद की घोषणा इसकी पुष्टि करते हैं।
दरअसल यह खेल भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है। चीन पाकिस्तान को अपना 'आयरन ब्रदर' मानता है, क्योंकि CPEC उसके BRI का गेटवे है। लेकिन पाकिस्तान आतंक को कंट्रोल करने में नाकाम है, जिससे चीनी नागरिकों पर हमले बढ़ गए हैं। दक्षिण एशिया इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट्स कहती हैं कि पाकिस्तान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को पनाह देता है, जो ISKP को मजबूत बनाते हैं। उधर X पर ट्रेंडिंग पोस्ट्स में यूजर्स चीन की हिपोक्रिसी पर सवाल उठा रहे हैं, जैसे SCO में भारत के 'नो डबल स्टैंडर्ड्स' बयान को नजरअंदाज करना आदि।
भारत के लिए यह खतरा गंभीर है। कश्मीर में LeT-ISKP का विस्तार भारत पर निशाना साध रहा है। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट की स्टडी बताती है कि पाकिस्तान तालिबान को सपोर्ट करता है, ताकि अफगानिस्तान में प्रभाव बनाए रखे। लेकिन यह रणनीति उल्टी पड़ रही है, क्योंकि ISKP अब पाकिस्तान में ही हमले कर रहा है।
बहरहाल इस खेल को तोड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव जरूरी है। भारत ने SCO और BRICS में 'नो डबल स्टैंडर्ड्स' का मंत्र दिया है। चीन अगर सच्ची शांति चाहता है, तो पाकिस्तान पर सख्ती करे। वरना, यह फॉर्मूला महज कागजी रहेगा, और आतंक का साया दक्षिण एशिया पर मंडराता रहेगा। अब जबकि वैश्विक एकता ही असली हथियार है, इन देशों की दोहरी नीति इसे कमजोर कर रही है।
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Updated on:
08 Oct 2025 08:22 am
Published on:
07 Oct 2025 07:06 pm
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