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Nagaur patrika…22 करोड़ हर साल सरकार को, फिर भी ट्रांसपोर्ट नगर को तरस रहे ट्रक ऑपरेटर…VIDEO

नागौर.सरकार को हर साल 22 करोड़ रुपए का टैक्स देने वाले ट्रांसपोर्टरों को आज तक एक अदद ट्रांसपोर्ट नगर तक नहीं मिल पाया। 20 वर्षों से जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन अब तक केवल “सोच-विचार” और “भविष्य में देखेंगे” के भरोसे ही ट्रांसपोर्ट सोसायटी को टालता आ रहा है। ट्रांसपोर्टरों […]

नागौर.सरकार को हर साल 22 करोड़ रुपए का टैक्स देने वाले ट्रांसपोर्टरों को आज तक एक अदद ट्रांसपोर्ट नगर तक नहीं मिल पाया। 20 वर्षों से जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन अब तक केवल “सोच-विचार” और “भविष्य में देखेंगे” के भरोसे ही ट्रांसपोर्ट सोसायटी को टालता आ रहा है। ट्रांसपोर्टरों का मानना है कि करोड़ों का राजस्व देने के बाद भी प्रशासन उनको ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीनें क्यों नहीं दे रहा है। परेशान ट्रांसपोर्टरों का कहना है सरकार एक साल उनसे किसी भी तरह का टैक्स नहीं ले तो फिर वह खुद के स्तर ही अपना ट्रांसपोर्ट नगर बना सकते हैं। इनकी ओन से बीकानेर रोड, डेह, मूण्डवा और जोधपुर रोड आदि जगहों में कई विकल्प प्रशासन को बताए जा चुके हैं। मास्टर प्लान में भी बालवा रोड रीको एरिया में प्रस्तावित स्थल भी है, लेकिनइसके बाद भी न तो सरकार सुन रही है, और न ही रीको जमीन देने को तैयार। ऐसे में सवाल यही है कि क्या नागौर ट्रांसपोर्टरों की मेहनत का राजस्व यूं ही बर्बाद जाएगा…?
रीको ने भी किया इनकार
नागौर मास्टर प्लान 2011 के प्रारूप के अनुसार बालवा रोड स्थित रीको एरिया के पास ट्रक एवं बस टर्मिनल प्रस्तावित है। लेकिन, जब ट्रांसपोर्ट सोसायटी ने वहां ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीन मांगी, तो रीको ने इसे देने से इनकार कर दिया। इससे ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों में नाराजगी है।
बढ़ता राजस्व, घटती सुविधाएं
नागौर जिले में प्रतिवर्ष ट्रकों एवं बसों से करीब 22 करोड़ रुपए का राजस्व सरकार को मिलता है। जिले में कुल 700-800 ट्रक व 400-500 बसों का संचालन होता है। अकेले नागौर क्षेत्र से ही प्रतिदिन औसतन 100 गाडिय़ों की लोडिंग होती है। खींवसर, डेगाना व अन्य खनिज क्षेत्रों से 300 से 400 गाडिय़ां जिप्सम, लाइमस्टोन, चुना, पशु आहार, दालें, मसाले आदि लोड करके बाहर भेजी जाती हैं। जिले के अन्य क्षेत्रों के वाहनों की संख्या जोड़े जाने पर यह आंकड़ा और बढ़ जाता है। यहां जयपुर, जोधपुर व बीकानेर से लगभग 25-30 गाडिय़ां रोजाना माल खाली करती हैं, और फिर वापस परचून सामग्री लोड कर जाती हैं। हैंड टूल्स की गाडिय़ां भी यहां से संचालित होती हैं।
व्यवस्थित योजना की जरूरत
ट्रांसपोर्ट सोसायटी का कहना है कि नागौर व्यापार, खनन, कृषि और उद्योग क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रहा है। जिले भर के ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर, व्यवसायियों और किसानों को सुगम परिवहन की आवश्यकता है, लेकिन उनके लिए ट्रांसपोर्ट नगर की कोई योजना आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई। अन्य जिलों में ट्रांसपोर्ट नगर वर्षों पहले ही विकसित कर दिए गए हैं, लेकिन नागौर अब भी पीछे है।

क्या कहते हैं ट्रांसपोर्टर
हम हर साल सरकार को करोड़ों का टैक्स देते हैं, लेकिन सरकार हमें सिर्फ आश्वासन देती है। अगर एक साल टैक्स माफ कर दिया जाए, तो हम खुद अपनी जमीन खरीदकर ट्रांसपोर्ट नगर बना लें। हमें सिर्फ 20 बीघा जमीन की जरूरत है।
—बजरंगलाल शर्मा, सचिव, ट्रांसपोर्ट सोसायटी नागौर
प्रशासन से 20 साल से ट्रांसपोर्ट नगर के लिए जमीन की मांग की जा रही है। नगरपरिषद एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों से सालों से मुलाकात की जा रही है। हर बार हमें केवल आश्वास मिलता है, जमीन नहीं।
-सुखराम सोलंकी, अध्यक्ष ट्रांसपोर्ट सोसायटी नागौर

एक नजर में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की स्थिति

प्रतिवर्ष राजस्व 22 करोड़ रुपए
नागौर जिले में संचालित ट्रक 700-800 लगभग
नागौर जिले में संचालित बसें400-500 लगभग
नागौर शहर: प्रतिदिन लोडिंग गाडिय़ां 100
मुख लोडिंग सामग्री: जिप्सम, दाल, मसाले, चुना, परचून, हैंड टूल्स
प्रस्तावित स्थल: बीकानेर रोड, जोधपुर रोड, मूण्डवा, डेह क्षेत्र

अब भी नहीं चेते तो और बिगड़ेगी स्थिति
ट्रकों व बसों की बढ़ती संख्या और शहर में अव्यवस्थित खड़ी गाडिय़ों से ट्रैफिक जाम, हादसे और अव्यवस्था का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। अब यदि प्रशासन ने जल्द ट्रांसपोर्ट नगर की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले दिनों में नागौर की व्यापारिक और नागरिक व्यवस्था दोनों प्रभावित हो सकती है।