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एसपी मृदुल कच्छावा ने जगाई नागौर जिले के ब्लाइंड मर्डर खोलने की उम्मीद

नागौर जिले के आधा दर्ज ब्लाइंड मर्डर का आज तक नहीं हुआ खुलासा, नवनियुक्त एसपी ने कहा - अनसुलझे प्रकरणों पर हमारा विशेष फोकस, कई मामलों का खुलासा नहीं हुआ तो पुलिस ने लगा दी एफआर, किरण शर्मा, गुड्डी, तुलसीराम हत्याकांड व एसआई पूर्णमल मीणा की हत्या का खुलासा करना पुलिस के लिए बना चुनौती

Sp office

नागौर. जिले में पिछले 10 साल में हुए ज्यादातर ब्लाइंड मर्डर आज भी पुलिस के लिए पहेली बने हुए हैं। जांच अधिकारियों की उदासीनता के चलते हत्या के मामलों की फाइलों पर धूल जम रही है। जिले में हत्या के आधा दर्जन मामले ऐसे हैं, जिनमें पुलिस आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। इनमें कुछ मामले तो 7 से 10 साल पुराने हैं, जबकि कुछ दो-तीन साल पुराने हैं, जिनमें पुलिस ने नार्को टेस्ट और डीएनए टेस्ट तक करवाए, लेकिन आरोपियों का सुराग नहीं लगा। अब जिले के नवनियुक्त एसपी मृदुल कच्छावा ने मर्डर सहित अन्य अनसुलझे अपराधों की फाइलों को मंगवाकर उनको खोलने के लिए अधीनस्त अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।

जिले के अनसुलझे मर्डर प्रकरणों में 7 फरवरी 2014 को नागौर शहर के कालू खां की बाड़ी में हुई केमिकल अटेक में मां-बेटे की मौत, 26 मार्च 2015 को बड़ी खाटू थाना क्षेत्र के धीजपुरा के पास बोलेरो चालक की हत्या, 23 जून 2015 को मेड़ता रोड रेलवे ट्रेक पर डिस्कॉम के हेल्पर की हत्या कर नग्न शव डालने, 10 मार्च 2016 को जिला मुख्यालय पर डिस्कॉम कॉलोनी में केशियर किरण शर्मा की हत्या, सितम्बर 2017 में श्रीबालाजी थानाधिकारी की अज्ञात वाहन से टक्कर मारकर हत्या, जनवरी 2023 का गुड्डी हत्याकांड तथा 9 अगस्त 2023 की रात को खेत में सो रहे तुलसीराम भाटी की हत्या के राज अब तक पर्दे में ही है। इन ब्लाइंड मर्डर से ऐसा लग रहा है कि जैसे हत्या के राज मृतकों के शव के साथ ही दफन हो गए।

जांच अधिकारी बदले, लेकिन नहीं खोल पाए हत्या के राज

जिले के आधा दर्जन ब्लाइंड मर्डर को लेकर पत्रिका की ओर से की गई पड़ताल में सामने आया कि हत्या के राज खोलने के लिए पुलिस अधिकारियों ने प्रयास तो काफी किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। जिन प्रकरणों में परिजनों एवं राजनीतिक दबाव था, उनमें पुलिस ने बार-बार जांच अधिकारी बदले, लेकिन जिन मामलों में मृतकों के पीछे कोई लडऩे वाला नहीं था, उनकी फाइलें पुलिस ने देखना ही उचित नहीं समझा और कई में एफआर तक लगा दी।

ये हैं जिले के प्रमुख ब्लाइंड मर्डर

1. तुलसीराम हत्याकांड : 2 साल बाद भी पुलिस खाली हाथ

नागौर के सदर थाना इलाके के अमरपुरा गांव स्थित एक खेत पर बने कमरे की छत पर सो रहे खेत मालिक तुलसीराम भाटी (50) की 9 अगस्त 2023 की रात को धारदार हथियार से हत्या कर दी थी, जिसकी गुत्थी दो साल बाद भी अनसुलझी है। इस मामले में पुलिस ने दो संदिग्ध आरोपियों के नार्को टेस्ट और दो जनों के पॉलीग्राफ टेस्ट करवाए, लेकिन वारदात का खुलासा अब तक नहीं हो सका है। जांच अधिकारी सदर थाने के सीआई सुरेश कस्वां ने बताया कि अब तक आरोपियों का सुराग नहीं चला है, लेकिन जांच चल रही है।

2. गुड्डी हत्याकांड : आरोपी पकड़ा गया, पर शव नहीं मिला

श्रीबालाजी थाना इलाके में जनवरी 2023 में हुई गुड्डी हत्या के आरोपी अनोपाराम को पकडऩे में पुलिस को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी, पर उसका लापता शव आज भी पुलिस ढूंढ़ नहीं पाई है। हालांकि हत्या के कुछ दिन बाद गुड्डी की खोपड़ी, एक हड्डी-जबड़ा आदि मिल चुके थे, शव के मिले टुकड़ों के डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट में यह खुलासा हो गया कि वो गुड्डी के थे। लेकिन शव को कहां छिपाया, इसी रहस्य को जानने के लिए अनोपाराम का नार्को टेस्ट के साथ पॉलीग्राफ टेस्ट कराया था, कई बार अलग-अलग तरीकों से पूछताछ की गई, लेकिन आरोपी ने शव का ठिकाना नहीं बताया।

3. साढ़े 9 साल बाद भी नहीं खुला डिस्कॉम केशियर किरण की हत्या का राज

डिस्कॉम के नागौर शहर एईएन कार्यालय की केशियर किरण शर्मा की 10 मार्च 2016 को उसी के क्वार्टर में हत्या कर दी गई। घटना के बाद केशियर के मकान पड़ौसी तत्कालीन एईएन अर्जुनसिंह ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट देकर हत्या का मामला दर्ज कराया था। किरण के पति की पहले ही मौत हो चुकी थी, इसलिए पीछे उसकी पैरवी करने वाला कोई नहीं रहा। नतीजन पुलिस ने 11 सितम्बर 2017 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नागौर में एफआर पेश कर दी, लेकिन नागौर सीजेएम कोर्ट की ओर से 11 फरवरी 2019 को दिए गए आदेश पर पुलिस को किरण शर्मा हत्याकांड की फाइल रिऑपन करनी पड़ी। साढ़े 9 साल बीत गए, लेकिन हत्या का राजफाश नहीं हुआ।

4. केमिकल अटेक से मां-बेटे की हत्या

शहर के कालू खां की बाड़ी में 7 फरवरी 2014 की रात को हिस्ट्रीशीटर बाबू खां व उसके परिवार को केमिकल डालकर जलाने का प्रयास हुआ, जिसमें गंभीर रूप से झुलसे बाबू खां व उसकी मां हनीफा की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए चार जनों के खिलाफ कोतवाली थाने में नामजद मुकदमा दर्ज करवाया था। पुलिस ने जांच शुरू की। करीब 11 महीने बाद जोधपुर की प्रयोगशाला ने इस बात की पुष्टि कर दी कि बाबू खां के घर में आग ज्वलनशील पदार्थ से लगी थी। इसके बाद पुलिस ने जांच नए सिरे से शुरू की, लेकिन आज तक न तो हत्यारों को गिरफ्तार किया गया है और न ही हत्या का राज खुला।

5. डिस्कॉमकर्मी का निर्वस्त्र शव बांधा था रेलवे ट्रेक पर

23 जून 2015 की रात अज्ञात लोगों ने मेड़ता रोड से सात किलोमीटर दूर खेडूली रेलवे स्टेशन के पास कुचामन क्षेत्र के ग्राम इण्डोली निवासी अजय कुमार (21) पुत्र घासीराम सारण की हत्या करने के बाद पहचान मिटाने के लिए शव को निर्वस्त्र अवस्था में रेलवे ट्रेक से बांध दिया था। वारदात के बाद मेड़ता रोड थाना पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच की, लेकिन हत्या का राज नहीं खुल पाया।

6. खाई में मिला शव, किसने मारा? आज तक पता नहीं

जिले के बड़ी खाटू थाना क्षेत्र के धीजपुरा मार्ग स्थित कबीर आश्रम के पास 26 मार्च 2015 को डेगाना थाना क्षेत्र के लंगोड़ गांव निवासी रामनिवास मेघवाल (28) पुत्र पुनाराम मेघवाल का खाई में गड़ा शव मिला था। युवक की नुकीले हथियार से वार कर हत्या की गई थी। इस संबंध में मृतक के भाई रिछपाल ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करवाया था। घटना को साढ़े 9 साल हो गए, लेकिन पुलिस अब तक इसका राजफाश नहीं कर पाई है।

पुराने अनसुलझे प्रकरणों पर विशेष फोकस

जिले के ब्लाइंड मर्डर सहित जो भी अनसुलझे प्रकरण हैं, चाहे वो किसी भी अपराध के हों। एनडीपीएस, चोरी, नकबजनी व मर्डर के प्रकरणों को एनालिस्ट किया गया है, हमारी टीम सक्षम है, इसलिए जितने भी अनसुलझे प्रकरण हैं और तमाम डिफरेंट क्राइम के मामले हैं, उन पर हमारा विशेष फोकस है। कोई भी प्रकरण अनसुलझा न रहे, इसके लिए हम प्रयास करेंगे।

- मृदुल कच्छावा, पुलिस अधीक्षक, नागौर