न्यायालय ने आरोपी चंपालाल उर्फ नंदू (23) पिता जालम निवासी ग्राम छनेरा, पंधाना को भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) के तहत दोषी पाया। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विनोद कुमार पटेल ने की। अदालत ने कहा कि यह हत्या नृशंस और समाज को झकझोर देने वाली है।
डीएनए रिपोर्ट और एसआई यादव की मौजूदगी बनीं निर्णायक कड़ी
डीएनए रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने पुष्टि की कि आरोपी के कपड़ों और कुल्हाड़ी पर मृतक रामनाथ का खून पाया गया। इसके साथ ही घटना स्थल पर एसआइ रामप्रकाश यादव की उपस्थिति को भी अदालत ने अहम साक्ष्य माना। मामले की जांच में एसपी मनोज राय के निर्देशन में साक्ष्य जुटाने और गवाहों को अदालत तक पहुंचाने में पुलिस ने तत्परता दिखाई।
सात माह में निपटा मामला, परिवार को मिला न्याय
पुलिस अधीक्षक राय ने बताया कि मामला नृशंस हत्या का था। मामले में डीएनए रिपोर्ट करवाना और साक्ष्यों को समय पर कोर्ट पहुंचाना मुख्य काम था। डीएनए रिपोर्ट को समय पर अदालत तक पहुंचाना और अभियोजन के साथ त्वरित समन्वय ही इस तेज फैसले की वजह बना। सिर्फ 7 माह में अदालत ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाकर मृतक के परिवार को न्याय दिलाया।
पत्नी की आंखों के सामने काट दी थी पति की गर्दन
ग्राम छनेरा निवासी शांतिबाई बिलोटिया ने बताया कि 12 दिसंबर 2024 की रात करीब 2.30 बजे उसका पति रामनाथ बाथरूम करने के लिए घर से बाहर निकला था। कुछ देर बाद ही चिल्लाने की आवाज सुनकर वह बाहर आई तो देखाा की पड़ोसी चंपालाल उर्फ नंदू धानक उसके पति पर कुल्हाड़ी से वार कर रहा था और कह रहा था तू जादू-टोना करता है। जब शांतिबाई चिल्लाई तो आरोपी भाग गया लेकिन थोड़ी देर बाद फिर लौटकर आया और रामनाथ की गर्दन काट दी।
आरोपी के खौफ से गांव वालों ने बंद कर लिए थे दरवाजे
चिल्ला चोट सुनकर रामदयाल धानक और मृतक का बड़ा भाई जेठ नारायण और भी मोहल्ले के लोग मेरे घर के आस-पास आ गए थे। रामनाथ की गर्दन अलग कर शव के पास कुल्हाड़ी लेकर आरोपी नंदू खड़ा रहा। उसने सबको धमकाया था कि कोई पास में आएगा तो उसे भी कुल्हाड़ी से काट दूंगा। आरोपी के डर की वजह से लोगों ने घर अंदर जाकर अपने दरवाजे तक बंद कर लिए थे।
– 12 दिसंबर 2024 की घटना
– मार्च 2025 में चालान डायरी पेश
– 120 से अधिक पेज की चालान डायरी
– 15 गवाह
– 7 माह चला केस