इंदौर नाका स्थित आश्रय-गृह
सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं आला अफसरों की अनदेखी से बेपटरी हो गई है। डे-एनयूएलएम ( दीन दयाल योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन ) के तहत संचालित आश्रय-गृह में शहरी बेघर लोगों को सुविधाओं का टोटा है। इंदौर नाका बस स्टैंड के निकट स्थित आश्रय-गृह बदहाल है। गंदगी के बीच टूटे-फूटे बेड, फटे गद्दे और मटमैला चादर-तकिया से बदबू आ रही है।
यही नहीं आधे से अधिक बेड जर्जर हैं। दो बेड की प्लाईवुड में होल है। मनोरंजन के लिए लगी एलईडी भी लंबे समय से बंद है। परेशान करने वाली बात यह कि महिला कक्ष में केयर टेकर का पूरा परिवार रहता है। आश्रय-गृह के बाहर लगे बोर्ड में सुविधाओं के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। एक दो सेवाओं को छोड़ दिया जाए। तो निगम की ज्यादातर सेवाएं थोथा साबित हो रहीं हैं।
आश्रय-गृह में कहने को बेघरबार, घुमक्कड़ जाति, नि:शक्त और बेसहारा गरीब लोगों के लिए है। हकीकत में यहां मजदूरी करने वाले कई लोग रात्रि में विश्राम करते हैं। हैरानी की बात तो यह कि सुबह शाम और देर रात्रि का कई ऑटो चालकों का भी डेरा रहता है।
आश्रय-गृह में नियमित साफ-सफाई होती है। सुविधाओं का पुख्ता इंतजाम है। महिलाओं के आने पर केयर टेकर उस कमरे में नहीं रहते हैं। टीवी में तकनीकी सुधार करना है। बेड की सूचना मिली है। जल्द मरम्मत कराए जाएंगे। नवनीत शुक्ला, नोडल अधिकारी, डे-एनयूएलएम योजना
अस्पताल परिसर में स्थित आश्रय-गृह की भी व्यवस्था बेपटरी है। दिन में दीन दयाल रसोई से भोजन की व्यवस्था रहती है। दोपहर बाद रसोई नहीं भोजन की व्यवस्था नहीं होने से ठहरने वालों को दिक्कत होती है। बेड पर बिस्तर और लगे गद्दे व चादर-तकिया भी गंदे हैं।
आश्रय गृह में मनोरंजन के लिए लगी एक एलईडी लगी है। वह भी लंबे समय से खराब है। महिला कक्ष में केयर टेकर का परिवार एलईडी लगी हुई है। यहां ठहरने के लिए दैनिक समाचार पत्रों का भी टोटा है। अभी हाल में दो अलग-अलग आलमारी में अध्ययन के लिए पुस्तकें रखी हुई हैं। लेकिन ताले में कैद है।
इंदौर नाका स्थित आश्रय-गृह की बदहाली बाहर ही देखने को मिल जाएगी। परिसर में घास-फूस के साथ गंदगी की लेयर जमा है। इस परिसर में वाहन का अतिक्रमण है। भीतरी छोर में साफ-सफाई होती है लेकिन वह भी खानापूर्ति जैसी स्थिति है।
Published on:
17 Oct 2025 12:00 pm
बड़ी खबरें
View Allखंडवा
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग