भारतीय वायुसेना के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ आ चुका है। करीब 60 सालों तक सेवा देने के बाद, MiG-21 फाइटर जेट्स को सितंबर 2025 तक पूरी तरह रिटायर कर दिया जाएगा राजस्थान के नाल एयरबेस पर तैनात आखिरी स्क्वाड्रन अब धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं। MiG-21 कभी भारतीय वायुसेना की रीढ़ मानी जाती थी, लेकिन समय के साथ इसकी तकनीक पुरानी हो गई और लगातार हादसों के चलते इसे लेकर कई सवाल उठने लगे।
अगर MiG-21 के इतिहास की बात करें, तो इसे 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। ये भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था। 1965 के भारत-पाक युद्ध में इसका सीमित इस्तेमाल हुआ, लेकिन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, 1999 की करगिल जंग और 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे अहम ऑपरेशनों में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह वहीं दौर था जब इस मिशन के दौरान, एक MiG-21 को पाकिस्तानी एयर फॉरस ने मार गिराया था और विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने पकड़ लिया, जिसके बाद इस विमान की काफी चर्चा हुई थी।
ऐसे में MiG-21 के रिटायर होने के बाद अब इन जेट्स की जगह LCA तेजस मार्क 1A लेगा, जो भारत में ही बना एक आधुनिक और हल्का फाइटर जेट है। HAL यानी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के प्रमुख डी. के. सुनील के अनुसार, मार्च 2026 तक भारतीय वायुसेना को तेजस के कम से कम छह विमान मिल जाएंगे। हालांकि, इसमें कुछ देरी भी हुई है क्योंकि तेजस में लगने वाले इंजन समय पर नहीं पहुंच सके। ये इंजन अमेरिका की GE Aerospace कंपनी से आने थे।
बता दें कि अब जब MiG-21 का युग खत्म हो रहा है, ये सिर्फ एक विमान की विदाई नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना की नई तकनीक और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।