
उदयपुर. इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की शुरुआत खास खगोलीय घटनाओं के साथ होने जा रही है। 7 सितंबर, 2025 को भाद्रपद मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और उत्तरी-दक्षिणी अमरीका के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह दृष्टिगोचर होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य रहेगा। गौरतलब है कि पहला चन्द्रग्रहण 13 और 14 मार्च की मध्य रात्रि को लगा था।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि 7 अगस्त को चंद्र ग्रहण रात्रि 9.57 बजे प्रारंभ होकर रात 1.26 बजे तक चलेगा। उपच्छाया प्रवेश रात्रि 8.57 पर होगा। इसका सूतक काल दोपहर 12.57 बजे से ही आरंभ हो जाएगा, जो ग्रहण की समाप्ति तक प्रभावी रहेगा। सूतक काल में पूजा-पाठ व शुभ कार्य वर्जित रहेंगे।चंद्र ग्रहण के बाद 21 सितंबर, 2025 को सूर्य ग्रहण होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो न्यूजीलैंड, पैसिफिक क्षेत्र और अंटार्कटिका में दिखाई देगा। भारत में यह दृष्टिगोचर नहीं होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं रहेगा।
श्राद्ध पक्ष की शुरुआत7 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा और इसी दिन पितृ पक्ष का आरंभ भी हो जाएगा। पितृ पक्ष 21 सितंबर तक चलेगा। चंद्र ग्रहण के कारण श्राद्ध और ग्रहण का संयोग एक साथ होने से इसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रहेगा।
ग्रहण का ज्योतिषीय महत्वयह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगेगा। राहु-केतु और सूर्य-बुध की युति से यह ग्रहण विशेष योग बना रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जातकों को सावधानी बरतनी चाहिए।
बृहत्संहिता का संकेतप्रसिद्ध ग्रंथ बृहत्संहिता में उल्लेख है कि यदि एक ही माह में सूर्य और चंद्र ग्रहण हों, तो प्राकृतिक आपदाएं, राजनीतिक अस्थिरता और जनहानि के योग बनते हैं। वर्ष 1979 में भी ऐसे ही ग्रहणों के समय देश-दुनिया में बड़े हादसे हुए थे।
Published on:
27 Aug 2025 06:02 pm
बड़ी खबरें
View Allउदयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग

