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कभी होटलों में रूम सर्विस, कैटरिंग और फैक्ट्री में फर्नीचर का काम करने वाले एक युवक के शायराना शौक और धार्मिक आस्था ने उसे नई राह दिखाई। शेरो-शायरी और धार्मिक वीडियो बनाकर वह कुछ ही वर्षों में सोशल मीडिया का सितारा बन गया। 6 लाख से ज्यादा लोग उसके मुरीद है।
उसने यह भी साबित कर दिया कि जीवन की मुश्किल राहों में जिसने हार नहीं मानी, वही मंज़लि अवश्य पाता है। कभी मामूली तनख्वाह पर मुम्बई की भीड़ का हिस्सा बना यह युवक अब अपनी आवाज़ और आस्था से लाखों लोगों के दिलों में जगह बना चुका है। भक्ति और शेरो-शायरी ने उसकी ज़दिंगी बदली है। हम बात कर रहे हैं जिले के फतेहनगर निवासी किशनसिंह चौहान उर्फ कृशु की। इसकी सरल ज़दिंगी और सच्चे भाव लोगों को भा गए हैं।
भक्ति और शेरो-शायरी का संगम: कृशु के वीडियोज़ में श्रद्धा और शेरो-शायरी का सुंदर मेल देखने को मिलता है। कभी वह सांवलिया से अपने मन की बात करता है, तो कभी जीवन के संघर्षों को शेरों के रूप में पेश करता है। उसके शब्दों में सादगी है, पर असर गहरा। वह प्रदेश के विभिन्न मंदिरों और आस्था स्थलों पर घूमता है और कंटेंट बनाता है।
कृशु के पिता फतेहनगर की एक मिल में काम करते हैं। चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटा है। परिवार की सामान्य जरूरतें पूरी करने के लिए उसने प्राइवेट नौकरी की। 3 साल तक उसने होटल में रूम सर्विस और कैटरिंग का काम किया। कुछ समय के लिए वह मुम्बई चल गया। मुम्बई में उसने फर्नीचर की फैक्ट्री में काम किया। मुम्बई में दिल नहीं माना तो वापस लौट आया। यहां उसने स्कैनर बनाने का काम शुरू किया।
स्कैनर बनाकर सांवलियाजी से लौटने वक्त उसने सांवरियाजी के स्वागतद्वार पर एक वीडियो बनाया। यही वीडियो उसके जीवन का टर्निंग पाइंट साबित हुआ। वीडियो जबरदस्त हिट हुआ। लाखों लोगों ने उसे देखा, शेयर किया और सराहा। यही वह पल था जिसने कृशु के भीतर नया आत्मविश्वास भर दिया। इसके बाद उसने कंटेंट क्रिएशन की दुनिया में खुद को उतारा।
कभी मामूली तनख्वाह पर काम करने वाला कृशु आज सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन चुका है। उसकी आमदनी बढ़ी है, पहचान कायम हुई है। सबसे बड़ी बात उसने अपनी आस्था को ही अपनी ताकत बना लिया है। कृशु की कहानी यह साबित करती है कि अगर ईमानदारी, मेहनत और विश्वास हो तो छोटी-सी जगह से भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है।
उसने हाल में स्नातक किया है। उसका एक और लक्ष्य है कि बड़ा कवि और शायर बने। कुमार विश्वास और राहत इंदौरी को सुनकर ही उसने लिखना शुरू किया। उन्हीं को वह अपना आदर्श मानता है।
Published on:
25 Oct 2025 03:40 pm
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