भारतीय ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह वास्तव में कोई ग्रह नहीं है वरन आकाशीय ग्रहों की गणना में संतुलन बनाने के लिए धनात्मक बिन्दु के रूप में केतु तथा ऋणात्मक बिन्दु के रूप में राहु को माना गया है। राहु का सर्वप्रथम उल्लेख समुद्र मंथन की घटना में मिलता है। मान्यता है कि राहु मानसिक रूप से व्यक्ति को प्रेरित कर उसके प्रारब्ध के अनुसार उससे कर्म करवाता है। राहु की शांति के लिए राहु के मंत्रों का जप, हनुमानजी, भगवान भोलेनाथ तथा दुर्गाजी की पूजा का उपाय बताया जाता है।
1
2
3
4
5
बड़ी खबरें
View AllPatrika Special