Jupiter Transits In Rahu Constellation: ज्योतिषी नीतिका शर्मा के अनुसार देव गुरु बृहस्पति ने 14 मई 2025 को मिथुन राशि में अतिचारी होकर गोचर किया था और 14 जून 2025 को राहु के नक्षत्र आर्द्रा में प्रवेश किया है। गुरु अतिचारी अवस्था में ही 13 अगस्त तक यहां भ्रमण करेंगे। गुरु का राहु के नक्षत्र में अतिचारी गोचर (guru Gochar 2025 in ardra nakshatra) देश-दुनिया में उथल-पुथल ला सकता है।
मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ भविष्य फल भास्कर के अनुसार जब क्रूर ग्रह वक्री हों और शुभ ग्रह अतिचारी हों तब असामान्य वर्षा और दुर्भिक्ष से जन-धन की हानि होती है। इसके अलावा यह नक्षत्र दुर्घटना, राजनीतिक विभाजन, प्राकृतिक आपदाएं, असामान्य वर्षा , महामारी, आर्थिक संकट, वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता तकनीकी उन्नति, विद्रोह और उथल-पुथल का प्रतीक माना जाता है। इससे 13 अगस्त तक यह खतरा बना हुआ है।
ज्योतिषाचार्य शर्मा के अनुसार गुरु की अतिचारी चाल का मतलब है कि बहुत तेज चलना। आमतौर पर गुरु एक राशि से दूसरी राशि में 12 से 13 महीने का समय लेते हैं, लेकिन गुरु अतिचारी होने पर जल्दी राशि परिवर्तन करते हैं। इससे लोगों के जीवन के सभी क्षेत्रों में जैसे करियर, पारिवारिक जीवन, लव लाइफ, तरक्की, ज्ञान, शिक्षा, भाग्य, धर्म, संतान, धन, वैवाहिक जीवन पर जल्दी जल्दी प्रभाव बदलते हैं।
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार बृहस्पति 7 साल तक अतिचारी रहने वाले हैं, इसका दुनियाभर में काफी अधिक प्रभाव देखने को मिल सकता है। बहरहाल, अभी आद्रा नक्षत्र में गोचर कर रहे अतिचारी गुरु के प्रभाव से लोगों के करियर आर्थिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा युद्ध संकट, आर्थिक मंदी आदि की स्थितियां बन सकती हैं।
गुरु की चाल में तेजी होने से दुनियाभर में कई युद्ध हो सकते हैं। कई देशों के बीच युद्ध होने की आशंका मानी जा रही है। इसके साथ ही एक बार फिर 1929 जैसी आर्थिक मंदी की ओर दुनिया बढ़ सकती है। गुरु के अतिचारी होने से धर्म संबंधित विवाद बढ़ सकते हैं। विभिन्न धर्मों के लोग अपनी परंपराएं दूसरों के ऊपर थोपने की कोशिश कर सकते हैं। देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में ऐसी स्थिति देखने को मिल सकती है। विभिन्न जातीय, धार्मिक और वैचारिक समूहों के बीच मतभेद गहरे हो सकते हैं, जो अंततः सांप्रदायिक दंगे, नस्लीय संघर्ष, और आंतरिक गृहयुद्ध जैसी स्थितियों को जन्म देंगे।
बृहस्पति का यह गोचर राजनीतिक जगत में भारी उथल-पुथल ला सकता है। दुनियाभर के कई देशों में सत्ता पक्ष के खिलाफ जनाक्रोश तीव्र हो सकता है। लोगों का धैर्य टूटने लगेगा, और सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन, जन आंदोलन और राजनीतिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है। कुछ राष्ट्रों में यह आंदोलन इतने उग्र रूप ले सकते हैं कि वहां सत्ता परिवर्तन, तख्तापलट, या सेना द्वारा सत्ता ग्रहण जैसी स्थितियां बन सकती हैं। शासन-प्रशासन और राजनीतिक दलों में तेज संघर्ष होंगे।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार बृहस्पति का यह गोचर व्यापार में तेजी लाएगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आय में इजाफा होगा। राजनीति में बड़े स्तर पर परिवर्तन देखने को मिलेगा। मौसम की असामान्यता से देश में कई जगह ज्यादा बारिश होगी। भूकंप, तूफान, बाढ़, भूस्खलन, ग्लेशियर टूटने, पहाड़ टूटने, सड़कें और पुल भी टूटने की आपदाएं आ सकती हैं।
हिमालय, आर्कटिक और अंटार्कटिका जैसे क्षेत्रों में ग्लेशियर पिघलना, हिमस्खलन और जलस्रोतों में असंतुलन से जन-धन की भारी हानि की आशंका बनी हुई है। जलवायु परिवर्तन इस समय चरम पर रहेगा, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जीवन स्तर प्रभावित हो सकता है। बीमारियों का संक्रमण बढ़ सकता है।
बृहस्पति का यह गोचर यातायात, औद्योगिक और तकनीकी दृष्टिकोण से भी संवेदनशील रहेगा। इस दौरान अति आत्मविश्वास के कारण दुर्घटनाएं अधिक हो सकती है। हवाई जहाज, ट्रेनों, और जहाजों में तकनीकी खराबी या मानवीय भूलों के कारण गंभीर घटनाएं होंगी। इसके अलावा, आगजनी, विस्फोट, गैस लीक, और फैक्ट्रियों में हादसे बढ़ सकते हैं।
रक्षा उपकरणों और बिजली संयंत्रों में भी छोटी लापरवाहियां भारी तबाही का कारण बन सकती हैं। बस और रेलवे यातायात से जुड़ी बड़ी दुर्घटना होने की भी आशंका है। सामुद्रिक तूफान और जहाज-यान दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं। खदानों में दुर्घटना और भूकंपन से जन-धन हानि होने की आशंका बन रही है।
बृहस्पति का यह गोचर सृजन और संघर्ष दोनों की ओर इशारा कर रहा है। जहां एक ओर गुरु का यह गोचर काल संघर्ष और संकट का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह तेजी से होने वाली तकनीकी प्रगति का भी द्योतक है। बृहस्पति ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा का प्रतिनिधि ग्रह है, और आर्द्रा नकहस्त्र उसमें ऊर्जा और शोध की तीव्रता भरता है।
इस काल में ड्रोन, रक्षा तकनीक, और अंतरिक्ष अनुसंधान में आश्चर्यजनक सफलताएं मिल सकती हैं। चंद्रमा, मंगल, और अन्य ग्रहों पर मानव मिशनों की गति तेज होने की संभावना है। वैज्ञानिक शोध, औषधि निर्माण, और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों में भी नयी खोजें होंगी। इसके अलावा एआई और क्वांटम कम्प्यूटिंग में क्रांतिकारी विकास संभव है।
इस समय हं हनुमते नमः, ऊं नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें। प्रतिदिन सुबह और शाम हनुमान जी के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं। लाल मसूर की दाल शाम 7:00 बजे के बाद हनुमान मंदिर में चढ़ाएं। हनुमान जी को पान का भोग और दो बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है। महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए। माता दुर्गा, भगवान शिव और हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए।
Published on:
02 Jul 2025 08:22 pm